नई दिल्ली: कोच रवि शास्त्री भारतीय क्रिकेट की ऐसी शख्सियत हैं, जिनके जितने मुरीद है, उनके ही आलोचक भी हैं. शास्त्री की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि कोच चुनने वाली चयनसमिति चाहकर भी उन्हें नहीं हटा पाती. दूसरी ओर, आलोचक और ट्रोलर्स उन्हें कप्तान विराट कोहली का ‘यस मैन’ तक बता देते हैं. इस सबके बावजूद शास्त्री में कुछ तो खास है कि जहां क्रिकेट खेलना सबसे मुश्किल है, वहीं इस हीरे की चमक बढ़ जाती है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्रिकेट में सबसे मुश्किल चुनौती ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया (India vs Australia) में हराना है या वहां बेहतर प्रदर्शन करना है. जब हम इतिहास के पन्ने पलटते हैं, तो देखते हैं कि भारतीय क्रिकेटरों में यह काम सबसे बखूबी से रवि शास्त्री ने ही किया है. भारत ने ऑस्ट्रेलिया में पहली जब पहली वनडे सीरीज जीती तो इसके हीरो रवि शास्त्री ही थे. इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में दोहरा शतक बनाने का सूखा भी शास्त्री ने ही खत्म किया, जब उन्होंने 1991 में 206 रन बनाए. इतना ही नहीं, भारतीय टीम बड़े-बड़े दिग्गज कप्तानों की अगुवाई में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई, लेकिन कामयाबी उसे ही मिली, जिसके साथ रवि शास्त्री (टीम के कोच) थे. हो सकता है कि आपको यह सब संयोग लगे. अगर ऐसा है तो आप ऑस्ट्रेलिया में रवि शास्त्री के आंकड़े देख लीजिए. 

यह भी पढ़ें: रवि शास्त्री ने विराट कोहली को भरी मीडिया के सामने किया सैल्यूट, जानिए क्यों

बेंसन एंड हेजेज सीरीज का वो सुपरहीरो 
भारत ने 1983 में जब वेस्टइंडीज को हराकर विश्व कप जीता, लेकिन कई आलोचकों रह-रहकर यह सवाल उठाते रहे कि यह जीत ‘तुक्का’ थी. वेस्टइंडीज ने हमारे विश्व चैंपियन बनने के कुछ दिन बाद ही भारत को भारत में ही बुरी तरह से हराया. इससे आलोचक और मुखर हो गए. ‘कपिल एंड कंपनी’ ने इन आलोचकों को बेंसन एंड हेजेज सीरीज जीतकर करारा जवाब दिया. भारतीय जीत के सबसे बड़े हीरो थे रवि शास्त्री. उन्होंने छह देशों के इस वनडे टूर्नामेंट में 182 रन बनाए और 8 विकेट झटके. सबसे अधिक रन बनाने के मामले में वे तीसरे नंबर पर थे. जबकि, विकेट लेने के मामले में शिवरामाकृष्णन (10), रोजर बिन्नी (9), कपिल देव (9) के साथ लगभग बराबरी पर खड़े थे. उन्होंने 8 विकेट झटके थे.  


सिडनी में दोहरा शतक और वार्न की पिटाई 
रवि शास्त्री ऑस्ट्रेलिया दौरे पर दूसरी बार 1991-92 के दौरे पर जाते हैं. भारतीय टीम इस बार ऑस्ट्रेलिया में पांच टेस्ट मैच खेलती है. इनमें से चार में वह हार जाती है और एक मैच ड्रॉ होता है. यानी भारत मुश्किल से क्लीनस्वीप टाल पाता है. वह ऐसा रवि शास्त्री की बदौलत ही कर पाता है. रवि सिडनी में 206 रन की पारी खेलते हैं. यह ऑस्ट्रेलिया में किसी भी भारतीय का पहला दोहरा शतक था. शास्त्री की डबल सेंचुरी के साथ-साथ यह मैच शेन वार्न के पदार्पण के लिए भी याद किया जाता है, जो पूरे मैच में सिर्फ एक विकेट ले सके थे. 

...और ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक जीत 
रवि शास्त्री को आमतौरपर ऐसा कोच माना जाता है, जो कप्तान की हां में हां मिलाता है. यही वजह थी कि ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रवाना होने से पहले विराट कोहली ने भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि रवि ‘यस मैन’ नहीं हैं. बहरहाल, रवि ने एक साल पहले ही यह कह दिया था कि विराट की कप्तानी वाली टीम, पिछले 15-20 साल में विदेश दौरे पर जाने वाली सबसे बेहतरीन टीम है. इस पर बड़ा बवाल हुआ. उनके इस बयान को ऐसे प्रचारित किया गया, जैसे उन्होंने किसी का अपमान कर दिया हो. बहरहाल, वे अपने बयान पर अड़े रहे. वे डटे रहे और उनके इस बयान को ‘विराट ब्रिगेड’ ने साबित भी कर दिया. आखिर आज कोहली एंड कंपनी ने डाउनअंडर (DOWN UNDER) का वह किला भी फतह कर लिया है, 71 साल से अजेय था. भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड दौरे के मुकाबले ऑस्ट्रेलिया में ना सिर्फ बेहतर प्रदर्शन किया, बल्कि बेहतर प्लानिंग और बेहतर कॉम्बिनेशन भी दिखा. और इसके लिए कोच को श्रेय देना ही पड़ेगा. 

यह भी पढ़ें: VIDEO: विराट ब्रिगेड ने ‘मेरे देश की धरती’ गाने पर किया भांगड़ा, गाया- ये मेरा दिल...​

ऑस्ट्रेलिया में ऐसे निखरते हैं रवि शास्त्री 
अब एक नजर रवि शास्त्री के आंकड़ों पर डाल लेते हैं, जो ऑस्ट्रेलिया में बेहतरीन होते जाते हैं. रवि ने कुल 80 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें उन्होंने 35.79 की औसत से 3830 रन बनाए हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका प्रदर्शन निखरकर आता है. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 77.75 की औसत से 622 रन बनाए हैं. इसी तरह उन्होंने 40.96 की औसत से 151 टेस्ट विकेट लिए हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यही औसत गिरकर 33.96 रह जाता है. वनडे क्रिकेट की बात करें तो उन्होंने सबसे ज्यादा 27 विकेट ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही लिए हैं. हालांकि, बैटिंग में उनका प्रदर्शन थोड़ा कमजोर हो जाता है. शास्त्री का ओवरऑल सभी टीमों के खिलाफ बल्लेबाजी औसत 29.04 है, जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घटकर 26.78 रह जाता है.