Sunil Gavaskar: सुनील गावस्कर, जिन्हें क्रिकेट का बाजीगर कहें तो गलत नहीं होगा. महज साढ़े पांच फुट के बल्लेबाज और वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू. कैरेबियाई टीम के लंबे-चौड़े गेंदबाजों के सामने अच्छे-अच्छे बल्लेबाजों की रूह कांप जाती है लेकिन गावस्कर न उनकी बाउंसर का डर था न तेजी का. उन्होंने डेब्यू सीरीज में ही हाहाकार मचा दिया. भारतीय क्रिकेट में कई ऐसे खिलाड़ी रहे, जिन्होंने खूब नाम कमाया और रिटायरमेंट के बाद सभी का फोकस उनके बेटों पर रहा, लेकिन वे उम्मीदों र खरे नहीं उतरे.


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सुनील गावस्कर का यादगार डेब्यू


सुनील गावस्कर ने टीम इंडिया के लिए लंबे समय तक योगदान दिया. उन्होंने कई ऐतिहासिक जीत की इबारत लिखीं. डेब्यू से ही गावस्कर अपने बल्लेबाजी से गेंदबाजों में खौफ भर दिया था. साल 1971 में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू किया और 774 रन ठोक डाले थे. इस दौरान उन्होंने 3 फिफ्टी और इतने ही शतक ठोके थे. इतना ही नहीं, गावस्कर ने आखिरी मैच में डबल सेंचुरी ठोकर इस सीरीज में इतिहास लिख दिया था. गजब बैटिंग टेक्निक देख सभी को अंदाजा हो गया था कि उनके खून में क्रिकेट है. 


जूनियर गावस्कर 1 साल नहीं टिके


सुनील गावस्कर के बेटे रोहन गावस्कर ने भी टीम इंडिया के लिए अपना छोटा योगदान दिया. उन्हें सौरव गांगुली की कप्तानी में साल 2004 में खेलने का मौका मिला. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रोहन ने अपना डेब्यू किया और उन्हें पर्याप्त मौके भी मिले. लेकिन पिता की तरह क्रिकेट में खुद का नाम कमाने में जूनियर गावस्कर फेल नजर आए. महज 11 वनडे के बाद ही उनके क्रिकेट करियर पर विराम लग गया. 


अर्जुन तेंदुलकर भी बेल रहे पापड़


ऐसी ही कुछ पिता-बेटे की कहानी सचिन तेंदुलकर की रही है. मास्टर ब्लास्टर दुनिया के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक रहे, जिसके चलते उन्हें क्रिकेट के भगवान की उपाधि दी गई. उन्होंने भी अपने बेटे अर्जुन तेंदुलकर के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. पिता ने महज 16 साल की उम्र में डेब्यू कर लिया था. लेकिन अर्जुन तेंदुलकर क्रिकेट के भारी कंपटीशन में अभी संघर्ष करते दिख रहे हैं.