नई दिल्ली: शेफाली वर्मा आईसीसी महिला टी20 वर्ल्ड कप (ICC Womens T20 World Cup) में धमाल मचा रही हैं. वे आज दुनिया की नंबर-1 टी20 महिला खिलाड़ी हैं. महिला टी20 वर्ल्ड कप (Womens T20 World Cup 2020) में सबसे अधिक रन भी उनके ही नाम है. अब वे देशभर की चहेती क्रिकेटर बन चुकी हैं. लेकिन शेफाली वर्मा  (Shafali Verma) को यहां तक पहुंचने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा है. कड़ी प्रैक्टिस से लेकर रहनसहन तक बदलना पड़ा है. एक बार तो ऐसी स्थिति बन गई कि क्रिकेट खेलने के लिए उन्हें उन्हें अपने बाल ही कटवाने पड़ गए. 

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क्रिकेटप्रेमी जानते हैं कि भारत की बॉयकट ओपनर शेफाली वर्मा जब तक क्रीज पर होती हैं, तब तक विरोधी गेंदबाजों की शामत बनी रहती है. पूरी दुनिया उनकी तूफानी बैटिंग की दीवानी हो चुकी है. उनके प्रशंसकों में सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग से लेकर ब्रेट ली तक मौजूद हैं. लेकिन शेफाली को अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी है. 

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आईसीसी ने शेयर किया वीडियो 
आईसीसी ने बुधवार को शेफाली वर्मा से बातचीत का एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में शेफाली अपने क्रिकेटर बनने और शुरुआती परेशानियों पर बात कर रही हैं. शेफाली बताती हैं कि उनके पिता भी पहले क्रिकेट खेलते थे. लेकिन उन्हें समर्थन नहीं मिला और वे अपना सपना पूरा नहीं कर पाए. शेफाली आगे कहती हैं, ‘मेरे पापा ने सोचा कि उनका सपना पूरा नहीं हुआ तो क्या हुआ, अपने बच्चों को ही क्रिकेटर बनाया जाए.’

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भाई के साथ खेलने गई और बन गई क्रिकेटर
शेफाली ने कहा, ‘पापा एक दिन मेरे भाई को लेकर क्रिकेट खिलाने ले गए. मुझे भी साथ ले गए. भाई करीब एक घंटे खेला. पापा ने मुझसे कहा कि मैं सिर्फ बॉल उठाकर देती रहूं. मैं ऐसा ही करती रही. इसके बाद पापा को शायद मुझ पर तरस आ गया. उन्होंने आखिर में मुझे भी दो-तीन गेंदें खेलने को कहा. मैंने अच्छे शॉट लगा दिए. प्रैक्टिस के बाद मैंने पापा से कहा कि क्या मैं क्रिकेट खेल सकती हूं तो उन्होंने कहा कि बिलकुल खेल सकती हो.’




... तो क्रिकेट के लिए बाल कटवा लो 
शेफाली बताती हैं कि शुरुआती एक-दो साल उनके पिता ने ही उन्हें और उनके भाई को प्रैक्टिस करवाई. शेफाली लड़कों के साथ खेलती थीं और इस कारण उन्हें अपने बाल कटवाने पड़े थे. शेफाली बताती हैं, ‘मैं लड़कों के साथ खेलती थी. कई बार लड़के मुझसे कहते थे कि ये लड़की है या ये क्या खेलेगी. इस पर एक दिन मैंने पापा से कहा कि वे मुझे खिला नहीं रहे तो क्या मैं बाल कटवा लूं. इस पर पापा ने कहा कि यदि क्रिकेट के लिए बाल कटवाने हैं तो बिलकुल कटवा सकती हो.’

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एकेडमी मिली तो शुरू हुई सुबह-शाम प्रैक्टिस 
शेफाली कहती हैं कि संघर्ष बहुत कठिन रहा. काफी दिन बाद उन्हें लड़कियों के लिए एकेडमी मिली. इसके बाद उन्होंने सुबह-शाम खेलना शुरू किया. वे बहुत अच्छा खेलने लगीं. इसके बाद उन्हें लड़कों के साथ प्रैक्टिस भी कराई गई. शेफाली ने अंडर-23 टीम में भी अच्छा प्रदर्शन किया. फिर नेशनल टीम में चुन ली गईं. 

भाई की जगह खेली और जीता अवॉर्ड
शेफाली एक बार अपने भाई की जगह खेलीं और मैन ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड भी जीता था. उन्होंने बताया, ‘एक बार मेरा भाई बीमार हो गया. पापा ने कहा कि अब तो तू खेल नहीं पाएगा. इस पर मैंने कहा कि क्या मैं इसकी जगह जाऊं. पापा ने हां कह दिया. मैं बॉयकट थी और लड़कों के साथ मैच खेली और मैन ऑफ द सीरीज रही.’