नई दिल्ली: बीसीसीआई (BCCI) के चयनकर्ता इन दिनों टीम इंडिया का कोचिंग स्टाफ चुनने में व्यस्त हैं. उनके द्वारा चुना गया स्टाफ ही अगले दो साल तक टीम इंडिया (Team India) के साथ रहेगा. इस बीच, वीरेंद्र सहवाग ने इस चयनसमिति पर ही सवाल उठा दिए हैं. उन्होंने कहा पूर्व लेग स्पिनर अनिल कुंबले (Anil Kumble) को टीम का मुख्य चयनकर्ता बनना चाहिए. अनिल कुंबले टेस्ट और वनडे क्रिकेट में भारत के सबसे कामयाब गेंदबाज हैं. उन्होंने टेस्ट मैचों में 619 और वनडे मैचों में 334 विकेट झटके हैं. 

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वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) ने बुधवार को यहां द सलेक्टर ऐप लॉन्च कार्यक्रम में हिस्सा लिया. सहवाग इस दौरान चयनकर्ता बनने के एक सवाल को सफाई से टाल गए. उन्होंने इसका जवाब हां या ना में दिए बिना कहा, ‘चयनकर्ता बनने में कई सीमाएं हैं. जैसे- वह कॉमेंट्री नहीं कर सकता या कॉलम नहीं लिख सकता. इसलिए मैंने चयनकर्ता बनने के बारे में नहीं सोचा.’ लेकिन अगर आप चयनकर्ता बनें तो अच्छी टीम चुन सकते हैं. इस सवाल के जवाब में सहवाग ने कहा कि वे चयनकर्ताओं को अब भी सलाह देते हैं. 

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कुंबले चयनकर्ता पद के लिए सही उम्मीदवार
पूर्व ओपनर ने साथ ही कहा, ‘जब कुंबले कप्तान बने थे तब वे मेरे रूम में आए. उन्होंने कहा कि आप जैसे खेलते हो वैसे ही खेलो क्योंकि आप अगली दो सीरीज तक टीम से नहीं निकाले जाओगे. इससे मुझे बहुत आत्मविश्वास मिला. मुझे लगता है कि कुंबले मुख्य चयनकर्ता के पद के लिए सही उम्मीदवार होंगे.’ अनिल कुंबले 2007-08 में भारतीय टीम के कप्तान रह चुके हैं. वे 2016 से 2017 तक भारतीय टीम के मुख्य कोच भी थे.  


मैंने कोच बनने के बारे में नहीं सोचा 
एक सवाल के जवाब में सहवाग ने कहा, ‘मैंने कभी भी कोच बनने के बारे में नहीं सोचा. इसलिए आवेदन भी नहीं किया. पिछली बार बोर्ड के सचिव ने मुझसे आवेदन के लिए कहा था. इसलिए तब मैंने आवेदन दिया था और इंटरव्यू में भी गया था. इस बार मुझसे किसी ने ऐसा नहीं कहा और मैंने नहीं किया.’

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हितों का टकराव मेरी समझ से बाहर 
बेबाक बोल के लिए मशहूर वीरेंद्र सहवाग बीसीसीआई के नए संविधान के तहत हितों के टकराव के मसले पर भी बोलने से नहीं चूके. उन्होंने कहा, ‘यह हितों का टकराव मेरी समझ से बाहर है. एक खिलाड़ी के लिए हर चीज पर प्रतिबंध लगाना कहां तक ठीक है. हम ऐसा कैसे कर सकते हैं. अगर कोई एकेडमी चलता है तो चयनकर्ता नहीं बने, यह तो समझ में आता है क्योंकि उसे टीम चुननी है. लेकिन वह कोच क्यों नहीं बन सकता. कोच तो चुनी हुई टीम के साथ काम करता है. इसमें हितों का टकराव कैसे हो सकता है.’