नई दिल्ली: घरेलू क्रिकेट में सबसे अधिक रन बनाने वाले वसीम जाफर का कहना है कि क्रिकेट उनके लिए एक नशा है और वे इसी नशे की तलाश में 40 साल की उम्र में भी इस खेल में रमे हुए हैं. जाफर घरेलू क्रिकेट में 15 हजार से अधिक रन बना चुके हैं. जाफर ने कहा कि उनके पास खेलने के लिए अब ज्यादा समय नहीं है, लेकिन जब तक उनके अंदर आग है, वे क्रिकेट के साथ अपना जुड़ाव जारी रखेंगे. वसीम जाफर पिछले दो सीजन से विदर्भ के लिए खेल रहे हैं. विदर्भ ने जाफर के टीम में आने के बाद दो साल में चार खिताब (2 रणजी, 2 ईरानी कप) जीत चुके हैं. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वसीम जाफर ने इस साल रणजी ट्रॉफी में 1,037 रन बनाए और विदर्भ को रणजी ट्रॉफी का खिताब बचाए रखने में मदद की. वे रणजी ट्रॉफी इतिहास के सबसे सफल बल्लेबाज हैं. इसमें उनके नाम 11,775 रन हैं. साल 2000 में भारत के लिए पहला मैच खेलने वाले जाफर ने भारत के लिए 31 टेस्ट मैच खेले और 1944 रन बनाए. एक समय भारतीय टेस्ट टीम का अहम हिस्सा रहे वसीम घरेलू क्रिकेट में बल्ले से लगातार रन उगलते रहे हैं. हालांकि, 2008 में टीम इंडिया से बाहर होने के बाद वे कभी भी राष्ट्रीय टीम में वापसी नहीं कर सके. 

यह भी पढ़ें: IPL 2019: आईपीएल का शेड्यूल जारी, धोनी और कोहली की टीमों के बीच होगा पहला मुकाबला

मैं अभी भी सुधार करना चाहता हूं 
वसीम जाफर मानते हैं कि किस्मत में जो होता है, वो होकर रहता है. इसी कारण वे अपने अतीत से संतुष्ट तथा वर्तमान में क्रिकेट के सुरूर के साथ जीने का लुत्फ उठा रहे हैं. उम्र के इस पड़ाव पर भी न रुकने और प्रतिदिन प्रेरित रहने के सवाल पर जाफर ने कहा, ‘मैं क्रिकेट खेलना, बल्लेबाजी करना पसंद करता हूं. इसका कारण यही है कि मैं अभी भी क्रिकेट का लुत्फ उठाता हूं. बल्लेबाजी करते हुए जो नशा होता है, उस नशे की तलाश मुझे अभी भी रहती है. मैं अभी भी सुधार करना चाहता हूं. मैं अभी भी अच्छा करना चाहता हूं.’

विदर्भ की जीत ने खेलने का नशा बढ़ा दिया है  
मुंबई के रहने वाले जाफर ने कहा कि विदर्भ के साथ दो खिताबी जीत ने इस खेल के साथ उनके जुड़ाव और इससे जुड़े नशे में और इजाफा किया है. जाफर ने कहा, ‘जब आप अच्छा खेलते हो, उसका मजा ही कुछ और है. मैं इस मजे को आसानी से छोड़ना नहीं चाहता. जब तक वो आग लगी हुई है, तब तक मैं खेलता रहूंगा. साथ ही विदर्भ के साथ जो दो सीजन गुजरे हैं, उसमें जिस तरह से हमने क्रिकेट खेली है और ट्रॉफी जीती हैं, उससे भी मेरा शौक बढ़ गया है. अगर मैं किसी और टीम के लिए खेल रहा होता और वो इस तरह से नहीं खेली होती तो शायद बात ही कुछ और होती. जब आप ट्रॉफी जीतते हो और प्रदर्शन अच्छा रहता है तो वो और मजा देता है.’

विदर्भ के लिए खिताबी हैट्रिक बनाना चाहते हैं 
अपने भविष्य को लेकर जाफर का कहना है कि अब उनकी ख्वाहिश विदर्भ के साथ ही अपने करियर का समापन करने की है और वह विदर्भ को रणजी ट्रॉफी की हैट्रिक लगाते हुए देखने की है. उन्होंने कहा, ‘मैं तो कोशिश करूंगा कि विदर्भ से खेलते हुए ही मेरा करियर खत्म हो और हम जीतें. मेरी और चंद्रकांत पंडित की जोड़ी बनी रहे. अगले सीजन में हम दोनों रहें और हम अपने खिताब को एक बार फिर डिफेंड कर सकें. अब अगले सीजन के लिए खिताबी जीत की हैट्रिक लगा सकें, यही मोटिवेशन है.’

वापसी के सवाल पर बोले- दुख तो रहता ही है 
वापसी न कर पाने के सवाल पर जाफर ने कहा, ‘दुख तो रहता ही है. मैं 2008 के आसपास टीम से बाहर हो गया था. उसके बाद मैंने घरेलू क्रिकेट में काफी रन बनाए, लेकिन किन्हीं कारणों से मैं दोबारा टीम में आ नहीं सका. इसके लिए अब किसी को दोष देकर कोई मतलब नहीं है. अब वो सब चीजें गुजर चुकी हैं. उस समय जो चयनकर्ता थे, जो कप्तान थे. उन्हें जो लगा वो उन्होंने किया. मैं उसके बारे में सोच के निराश नहीं होना चाहता.’

किसने सोचा था कि मैं 40 की उम्र में 2 रणजी ट्रॉफी जीतूंगा
वसीम जाफर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि जो होता है अच्छे के लिए होता है. हर चीज का कोई कारण होता है. जो आपकी किस्मत में होता है, वो होकर रहता है. मुझे लगता है कि वो मेरी किस्मत में नहीं था. अगर होना होता तो वह कहीं न कहीं से जुड़कर आ जाती. मैं इस बारे में नहीं सोचता हूं. जो होना होता है, हो जाता है. किसने सोचा था कि मैं 40 की उम्र में जाकर दो रणजी ट्रॉफी, दो ईरानी कप जीतूंगा और एक सीजन में 1000 से अधिक रन बनाऊंगा. कौन नहीं चाहता कि वह भारत के लिए और न खेले लेकिन आपके या मेरे चाहने से कुछ नहीं होता. जो होता है, उसे स्वीकार करना होता है और आगे बढ़ना होता है.’

(आईएएनएस)