नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल ने आज दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि मैचों (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय) की तैयारी में अगर कोई अधिकारी किसी भी तरह की अड़चन पैदा करता है तो इसकी विफलता का पूरा दोष डीडीसीए अधिकारियों पर आएगा।


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मुदगल ने पत्र की प्रति बीसीसीआई के महाप्रबंधक (प्रशासन) एमवी श्रीधर और वरिष्ठ अधिकारी अमृत माथुर को भी भेजी है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मुदगल ने यह पत्र डीडीसीए के दो संयुक्त सचिवों दिनेश शर्मा और सुभाष शर्मा के पत्र के बाद लिखा है जिन्होंने लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग करने के लिए चेतन चौहान सहित सात निदेशकों को बर्खास्त करने की मांग की थी।


इनमें से अधिकांश अधिकारियों को मुदगल ने डीडीसीए के निर्बाध संचालन के अलावा अंतरराष्ट्रीय मैचों के आयोजन के लिए चुना है। चीजों से अवगत लोगों का मानना है कि दोनों संयुक्त सचिवों ने यह पत्र अध्यक्ष एसपी बंसल के कहने पर लिखा है जिससे कि 20 अक्टूबर को भारत और न्यूजीलैंड के बीच होने वाले आगामी वनडे अंतरराष्ट्रीय मैच में मुश्किलें पैदा की जा सकें।


मुदगल ने लिखा, ‘डीडीसीए के सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि सुनिश्चित किया जाए कि उनके अंदरूनी विवाद किसी भी तरह से 20 अक्तूबर 2016 को यहां होने वाले भारत-न्यूजीलैंड एकदिवसीय मैच और मौजूदा घरेलू मैचों के आयोजन में बाधा उत्पन्न नहीं करें।’ उन्होंने कहा, ‘मैचों के आयोजन के लिए चैक की क्लियरेंस रोककर पैदा की गई बाधा या किसी अन्य तरीके से ना सिर्फ डीडीसीए की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा बल्कि बीसीसीआई और देश की छवि को भी नुकसान होगा।’ मुदगल ने लिखा, ‘इसलिए न्यूजीलैंड मैच खत्म होने तक अपने मतभेद सुलझा लीजिए। तब तक अगर माननीय उच्च न्यायालय का आदेश भी आ जाएगा तो डीडीसीए में मेरा कार्यकाल भी संभवत: खत्म हो जाएगा।’