मुंबई: भारतीन नौसेना ने बुधवार को देश के पहले ’गहन जलमग्न बचाव वाहन’ (डीएसआरवी) को अपनी सेवा में शामिल कर लिया और मुंबई और विशाखापत्तनम में स्थाई रूप से जल्द ही तैनात करने के लिए एक और ऐसे ही वाहन को हासिल करने की प्रक्रिया में है.


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नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने इस विशेष वाहन को नौसेना के बेड़े में शामिल करने के अवसर पर कहा,‘इस वाहन की प्रणाली ने भारतीय नौसेना को विश्व नौसेना के ऐसे छोटे समूह में शामिल कर दिया है जिनके पास समेकित पनडुब्बी बचाव क्षमता है.' नौसेना ने 15 अक्तूबर को डीएसआरवी के जांच परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था.


'डीएसआरवी (शामिल करना) एक ऐतिहासिक घटना'
एडमिरल लांबा ने कहा,‘डीएसआरवी (शामिल करना) एक ऐतिहासिक घटना है, और यह विशिष्ट पनडुब्बी बचाव क्षमता प्राप्त करने में नौसेना के केंद्रित वर्षों के प्रयासों की परिणति को दर्शाती है. इन क्षमताओं के साथ, भारतीय नौसेना विश्व नौसेना के चुनिंदा समूह में शामिल हो गई है जो ऐसी विशिष्ट उपकरणों को संचालित करते हैं.’ उन्होंने कहा कि ऐसा दूसरा वाहन भारत के लिए रवाना हो चुका है और उसे विशाखापत्तम में नौसेना के इकाई में तैनात किया जाएगा. 


उन्होंने कहा कि इसे हिंद महासागर क्षेत्र में और उससे आगे बचाव सेवाओं को प्रदान किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नौसेना भारत के मित्र देशों को इसकी सेवाएं प्रदान कर सकती है.


आईएनएस निस्तार ऐसी पहली बचावकर्ता पनडुब्बी है, और इसके बाद आईएनएस निरीक्षक आयेगा, जो गोताखाोरी और पनडुब्बी बचाव वाले पोत की दोहरी भूमिका निभायेगा.


एडमिरल लांबा ने बताया कि 1980 के दशक की शुरुआत में एक ऐसे समर्पित वाहन की आवश्यकता महसूस की गई थी. उन्होंने कहा कि शामिल पनडुब्बी स्कॉटलैंड स्थित जेएफडी का एक तीसरी पीढ़ी उत्पाद है जो जेम्स फिशर ऐंड संस पीएलसी का एक हिस्सा है. इसमें नवीनतम तकनीक और क्षमता है.


यह वाहन वर्तमान में भारतीय नौवहन निगम द्वारा निर्मित मूल पोत (मदर शिप) आईएनएस साबरमती पर तैनात है. इसे मुंबई में रखा जाएगा. जेएफडी ने 19 करोड़ 30 लाख पाउंड के भुगतान पर और दो डीएसआरवी की आपूर्ति और उसके रखरखाव के 25 साल का अनुबंध हासिल किया है.


वाहन एक बार की गोताखोरी में 14 लोगों को बचा सकता है
नौसेना के एक अधिकारी ने कहा कि 80 से अधिक नौसैनिक कर्मियों ने डीएसआरवी परिचालनों पर प्रशिक्षण लिया है और भविष्य में भी इसका अभ्यास जारी रहेगा. अधिकारी ने कहा कि वाहन एक बार की गोताखोरी में 14 लोगों को बचा सकता है.


अधिकारी ने कहा कि नौसेना ने डीएसआरवी के लिए दो मदर शिप जहाजों के निर्माण के लिए हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड को 9,000 करोड़ रुपये का अनुबंध किया गया है और इसकी आपूर्ति 2020 तक होनी है.


नौसेना ने कहा कि डीएसआरवी को मदर शिप पर स्थायी रूप से तैनात किया जाएगा और आपातकालीन बचाव के मामले में इसे दूर किया जा सकता है. परीक्षणों के दौरान, डीएसआरवी ने 300 फीट की गहराई पर पनडुब्बी को बचाया. 


इन समुद्री परीक्षणों ने समुद्र में फंसी पनडुब्बियों के बचाव अभियान शुरू करने की डीएसआरवी की क्षमता साबित कर दी है और इसने नौसेना को महत्वपूर्ण क्षमता प्रदान की है. परीक्षणों के दौरान, डीएसआरवी को 666 मीटर तक सफलतापूर्वक गहराई में भेजा गया, जो भारतीय जल में 'मानव निर्मित पोत' द्वारा गहन जलमग्न के लिए एक रिकॉर्ड है.


(इनपुट - भाषा)