नई दिल्ली : दुनिया के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई को शर्मिदगी उठानी पड़ी जब रविवार को उसकी आधिकारिक वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.बीसीसीआई.टीवी बंद हो गई. बोर्ड की वेबसाइट रविवार की शाम तक काम चालू नहीं हो पायी थी और सबसे शर्मनाक स्थिति यह थी कि ऐसा तब हुआ जबकि भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन में दूसरा वनडे खेल रही थी. इसकी वजह यह बताई गई कि वेबसाइट का डोमेन समय पर रीन्यू नहीं किया जा सका. बताया जा रहा है कि इसके लिए बीसीसीआई जिम्मेदार नहीं है.


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बीसीसीआई वेबसाइट भारतीय पुरुष और महिला क्रिकेट टीम के अलावा घरेलू क्रिकेट से जुड़ा डाटा मुहैया कराने के अहम स्रोत है. साइट पर बोर्ड से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज भी दिये जाते हैं.इंटरनेट पर www.bcci.tv नाम की इस वेबसाइट पर भारतीय क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से जुड़े वीडिया, प्रेस ब्रीफिंग और फोटो मौजूद थे लेकिन रविवार को ये वेबसाइट खुल ही नहीं रही थी. 


जब BCCI को उठानी पड़ी शर्मिंदगी, Domain रीन्यू न होने से वेबसाइट हुई बंद


इसी घटना की वजह से सब जगह यह संदेश गया कि दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई अपनी आधिकारिक वेबसाइट का डोमेन रिन्यू कराने में सक्षम नहीं है, जिससे अब बोर्ड की वेबसाइट ने काम करना बंद कर दिया.


कहानी का यह है खास एंगल
वेबसाइट के डोमेन को समय पर न रीव्यू कर पाने के पीछे भी एक कहानी है. दरअसल बीसीसीआई का इंटरनेट डोमेन अब भी ललित मोदी के नाम है, जिन्होंने इसे रीन्यू करवाने के लिए समय पर भुगतान नहीं किया. बीसीसीआई का डोमेन दो फरवरी 2006 से दो फरवरी 2019 तक वैध था. इसको अपडेट करने की तिथि हालांकि तीन फरवरी 2018 थी. बीसीसीआई ने ललित मोदी को आर्थिक अनियमितताओं के आरोप में 2010 से बैन कर रखा है. तभी से आईपीएल का यह पूर्व कमिश्नर लंदन में रह रहा है लेकिन बीसीसीआई से उसका 'नाता' अभी पूरी तरह टूटा नहीं है. 


सत्रों के मुताबिक चूंकि वेबसाइट मोदी के कंट्रोल में है, इसलिए कोर्ट के आदेशानुसार माना जा रहा था कि उन्हें ही इसे रीन्यू करवाना था. इसके लिए बोर्ड के अधिकारियों को भारत में मौजूद मोदी के स्टाफ से संपर्क करना था. हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को ललित मोदी के वकील ने बताया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. हालांकि वेबसाइट अब काम कर रही है. 


बीसीसीआई के एक अध्यक्ष ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, 'मोदी ने वेबसाइट का डॉमेन 2006 में खरीदा था. वेबसाइट का मालिकाना हक अब भी उनके नाम है. बीसीसीआई द्वारा उन्हें बैन किए जाने के बाद भी यह नहीं बदला.


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इंटरनेट डॉमेन 2014 में कानूनी विवाद का विषय बना जब बीसीसीआई ने वेबसाइट का मालिकाना हक उसे ट्रांसफर किए जाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 


यह है डोमेन नेम की कहानी 
बेबसाइट का डोमेन नेम रजिस्टर करना पड़ता है. जिसकी एक निश्चित समय के लिए वैधता होती है और उस अवधि के बाद उस डोमेन को रीन्यू करना पड़ता है. इस डोमेन के आगे शब्द, अक्षर और अन्य चिन्ह जोड़कर ही यूआरएल बनाए जाते है. जिससे की सारी दुनिया के वेबपेजों में उनकी एक खास पहचान होती हैं जिससे कि वे यूआरएल के अथाह सागर में पहचाने जाते है.  बीसीसीआई का डोमेन दो फरवरी 2006 से दो फरवरी 2019 तक वैध था. इसको अपडेट करने की तिथि हालांकि तीन फरवरी 2018 थी. समय पर ऐसा न हो पाने की वजह से वेबसाइट पंजीकरण करवाने वाली रजिस्टर.काम और नेमजेट.काम ने इस डोमेन नाम का सार्वजनिक बोली के लिये रख दिया था और उसे अब तक सात बोली मिल गईं जिनमें सबसे बड़ी बोली 270 डालर की थी. 


वेबसाइट डाउन होने का बाद कुछ यूं दिखाई दी (Screen Grab)

हाल ही में दुनिया के सबसे शक्तिशाली बोर्ड ने सितंबर में 2.55 बिलियन डालर में स्टार स्पोर्ट्स को आईपीएल के मीडिया अधिकार बेचे थे. इसके अलावा बोर्ड को आईसीसी से सर्वाधिक 405 मिलियन डालर राजस्व भी मिलता है.