बोपन्ना-रामनाथन का बड़ा कमाल, टाटा ओपन का खिताब किया अपने नाम
भारत के रोहन बोपन्ना और रामकुमार रामनाथन की जोड़ी ने रविवार को यहां टाटा ओपन महाराष्ट्र के फाइनल में ल्यूक सैविल और जॉन-पैट्रिक स्मिथ की शीर्ष वरीयता प्राप्त ऑस्ट्रेलिया की जोड़ी को हराकर अपना दूसरा एटीपी विश्व टूर खिताब जीता.
नई दिल्ली: भारत के रोहन बोपन्ना और रामकुमार रामनाथन की जोड़ी ने रविवार को यहां टाटा ओपन महाराष्ट्र के फाइनल में ल्यूक सैविल और जॉन-पैट्रिक स्मिथ की शीर्ष वरीयता प्राप्त ऑस्ट्रेलिया की जोड़ी को हराकर अपना दूसरा एटीपी विश्व टूर खिताब जीता. भारतीय जोड़ी ने पहले सेट में पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए एक घंटे 44 मिनट तक चले मुकाबले को 6-7(10) 6-3 10-6 से अपने नाम किया.
बोपन्ना और रामकुमार ने किया कमाल
बोपन्ना और रामकुमार ने पिछले महीने ऑस्ट्रेलियाई ओपन से पहले एडिलेड स्पर्धा में पहली बार एटीपी टूर पर जोड़ी के रूप में जीत दर्ज की थी. बोपन्ना के करियर का यह 21 वां एटीपी युगल खिताब है जबकि रामकुमार के लिए यह इस स्तर पर यह दूसरी ट्रॉफी है. इस खिताब से रामकुमार अपने करियर में पहली बार युगल में शीर्ष -100 रैंकिंग में पहुंचेंगे. यह जोड़ी 16370 डॉलर (लगभग 12.22 लाख रुपए) की पुरस्कार राशि आपस में साझा करेगी और दोनों को 250 - 250 रैंकिंग अंक का फायदा होगा. बोपन्ना ने 2019 में हमवतन दिविज शरण के साथ इस प्रतियोगिता को जीता था.
शानदार प्लानिंग से मिली जीत
मैच की शुरुआत चार गेम में दोनों जोड़ियों ने बड़ी सर्विस का सहारा लिया जिसमें रामकुमार और ल्यूक ने एक-एक अंक गंवाए. भारतीय जोड़ी के पास 3-2 की बढ़त थी और उसके पास पैट्रिक-स्मिथ की सर्विस तोड़ने का मौका था लेकिन वे सफल नहीं हुए. स्कोर के 6-6 होने के बाद टाई ब्रेकर में बोपन्ना की एक असहज गलती का खामियाजा इस जोड़ी को उठाना पड़ा. दूसरे गेम में भारतीय जोड़ी को अच्छी शुरुआत की जरूरत थी और उन्होंने तीसरे गेम में ल्यूकी की सर्विस तोड़ कर ऐसा ही किया.
41 साल के बोपन्ना का कमाल
बोपन्ना 41 साल की उम्र में भी अपना शानदार खेल जारी रखे हुए है. उन्होंने इस जीत के बाद कहा, ‘अनुभव से चीजें आसान हो जाती है. कई वर्षों के अनुभव की सबसे बड़ी बात यह है कि मेरा शरीर इस समय बहुत अच्छा महसूस कर रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘मैंने बहुत योग किया जिससे मुझे बहुत मदद मिली और मैं बैंगलोर में अपने योग शिक्षक (मोहन) का बहुत आभारी हूं, जिनके प्रयास ने मेरे लिए इतना अंतर पैदा किया कि मैं इस उम्र में भी कुछ नया करने की कोशिश कर सकता हूं.’