War in Red Sea: ईरान और अमेरिका के बीच हालात जंग जैसे हो गए हैं. लाल सागर में ईरान ने अमेरिकी टैंकर पर कब्जा कर लिया. ईरान के इस कदम से बौखलाए अमेरिका ने दो युद्धपोतों पर 3000 से ज्यादा नौसैनिक सवार कर लाल सागर में भेज दिए हैं. दूसरी ओर, ईरान ने भी अमेरिकी को चेतावनी देते हुए कहा कि वह अमेरिका के किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देगा. उसने लाल सागर के इलाकों में तैनात अपनी नेवी को हाई अलर्ट पर रखा है.


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यूएस नेवी के पांचवें बेड़े के मुताबिक, यूएसएस कार्टर हॉल और यूएसएस बाटन युद्धपोतों पर सवार होकर अमेरिकी नौसैनिक लाल सागर पहुंच गए हैं. इनके आने से लाल सागर में अमेरिका की मिलिट्री पावर और बढ़ गई है. 


अमेरिका का आरोप है कि ईरान ने पिछले दो साल में 20 इंटरनेशनल झंडे वाले जहाजों को या तो अपने कंट्रोल में लेने की कोशिश की या फिर उनको जब्त कर लिया. 


अब जानिए US युद्धपोतों के बारे में


अमेरिका ने दो युद्धपोत लाल सागर में भेजे हैं. पहला है यूएसएस बाटन. यह एक एम्फीबियस अटैक शिप है. यह लैंडिंग क्राफ्ट के अलावा रोटरी और फिक्स्ड विंग ले जाने में सक्षम है. दूसरा है यूएसएस कार्टर हॉल. डॉक लैंडिंग शिप होने के कारण इसमें एम्फीबियस व्हीकल, टैंक और बाकी वाहन ट्रांसपोर्ट किए जा सकते हैं. इस जहाज से समुद्री तट पर वाहन और नौसैनिक आसानी से उतर सकते हैं.


ईरान ने कर रखा है नाक में दम


दरअसल अमेरिका का कहना है कि 5 जुलाई को ओमान के करीब इंटरनेशनल वाटर्स में कमर्शियल टैंकर्स को ईरान ने दो बार जब्त करने की कोशिश की, जिसको उसकी सेना ने विफल कर दिया. यूएस नेवी के पांचवें बेड़े के प्रवक्ता कमांडर टिम हॉकिन्स हमारे काम के दौरान ये यूनिट्स जरूरी ऑपरेशनल क्षमता को बढ़ाती हैं. इस कदम से हम ईरान के उत्पीड़न से जहाजों को बचाने और इलाके की अस्थिर गतिविधियों को रोकने का काम करेंगे.


वहीं ईरान की मैरिटाइम सर्विसेज ने बताया कि दो टैंकर्स में से एक बहामियन झंडे वाला रिचमंड वोयाजर था. इसकी एक ईरानी जहाज से टक्कर हो गई थी. इस कारण क्रू के 5 सदस्य घायल हो गए थे. इसके बाद ईरान ने अप्रैल और मई की शुरुआत में रीजनल वॉटर्स में एक ही हफ्ते में दो टैंकर्स को जब्त कर लिया. नवंबर में इजरायली टैंकर पर ड्रोन हमला हुआ था, जो ओमान तट पर गैस लेकर जा रहा था. इसी के बाद यह घटनाएं हुई हैं. इस अटैक के लिए अमेरिका और इजरायल ने ईरान को कसूरवार ठहराया था.