Digvijay Singh Tweet On EVM: एक समय था जब वोट डालने के लिए मतपेटियों का इस्तेमाल किया जाता था, जिससे मतदान केंद्रों में खूब हमले होते थे. मतपेटियां चुराने से लेकर जाली वोटिंग करके नतीजों को पलटा जाता था. ये हमले राजनीतिक पार्टियों के लिए काम करने वाले असामाजिक तत्व किया करते थे. लेकिन फिर ईवीएम मशीन आई और ऐसी घटनाएं खत्म हो गईं. लेकिन इस मशीन ने नए सवाल को पैदा कर दिया. वो है, क्या EVM मशीन्स हैक हो सकती हैं? देखा जाता है कि जो पार्टियां चुनाव हारती हैं वो सवाल उठाना शुरू कर देती हैं कि ईवीएम मशीनों को हैक किया जा सकता है. भारत में 5 राज्यों के चुनाव हुए. मध्यप्रदेश में बीजेपी ने फिर जीत हासिल की. कांग्रेस नेता दिग्वजय सिंह ने दावा किया कि चिप से ईवीएम मशीन को हैक किया जा सकता है.


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दिग्वजय सिंह ने किया ये दावा


दिग्वजय सिंह ने X (पूर्व में ट्विटर) पर ट्वीट किया, 'चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है. मैंने 2003 से ही ईवीएम द्वारा मतदान का विरोध किया है. क्या हम अपने भारतीय लोकतंत्र को पेशेवर हैकरों द्वारा कंट्रोल करने की अनुमति दे सकते हैं! यह प्रश्न है जिसका सॉल्यूशन सभी राजनीतिक दलों को करना होगा. माननीय ECI और माननीय Supreme Court क्या आप कृपया हमारे भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करेंगे?'


क्या है सच?


बता दें, भारत ही नहीं कई देशों में EVM का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में जानना जरूरी हो जाता है कि क्या सच में ईवीएम मशीन हैक हो सकती हैं. जो दावे किए जाते हैं उसमें दम है या नहीं. आइए जानते हैं क्या होती है EVM मशीन, कैसे काम करती है और किन देशों में ईवीएम के जरिए वोटिंग होती है. इसके साथ ही जानेंगे कि क्या ईवीएम हैक हो सकती है या नहीं. 


क्या है दावों का सच?


EVM हैकिंग की चर्चा सालों से हो रही है. हार वाली पार्टियां ईवीएम को ही दोषी मानती हैं. लेकिन आखिर दावों में दम है भी या नहीं. क्या सच में किसी चिप की मदद से ईवीएम को हैक किया जा सकता है. बता दें, 2017 में चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों को ईवीएम को हैक करने का खुला चैलेंज दिया था. उसने कहा था कि कोई भी राजनीतिक पार्टी इलेक्शन कमीशन के दफ्तर आकर ईवीएम को हैक करने की कोशिश कर सकता है. 


कैसे होती है EVM से वोटिंग?


EVM मशीन में कई बटन होते हैं, जहां पार्टियों के नाम और चिन्ह रहता है. साथ ही प्रत्याशी का नाम भी रहता है. मतदाता मतदान के लिए एक बटन दबाते हैं. उसके बाद अगर वो किसी दूसरी पार्टी का बटन दबाते हैं तो पहला ही मान्य माना जाता है. वोट डालने के बाद ही पास में एक मशीन लगी रहती है, जो आपके द्वारा वोट डालने वाली पार्टी का नाम दिखाती है.


जल्दी हो सकती है काउंटिंग?


बैलेट पेपर से मतों की गणना में कम से कम 40 घंटे का समय लगता है तो वहीं ईवीएम मशीन से कुछ ही घंटों में गिनती हो जाती है.


इन देशों में भी होती है EVM से वोटिंग


बता दें, भारत के अलावा ब्राजील, फिलीपींस, भूटान, नेपाल, नामिबिया, नॉर्वे, कनाडा, वेनेजुएला, रोमानिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में EVM से ही मतदान किया जाता है.