नई दिल्ली : मोबाइल फोन समेत कुछ सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उत्पादों पर भारत में आयात शुल्क लगाए जाने के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) में जापान की तरफ से दायर मामले में जारी विचार-विमर्श में यूरोपीय संघ, चीन और थाईलैंड भी शामिल होना चाहते हैं. सिंगापुर, कनाडा और चीनी ताइपे जैसे प्रौद्योगिकी निर्यातक कुछ इस चर्चा में पहले ही शामिल होने की इच्छा जता चुके हैं.


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यूरोपीय संघ, चीन और थाईलैंड ने विश्व व्यापार संगठन को लिखा है कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) वस्तुओं के व्यापार में उनका बड़ा हित जुड़ा है इस लिए वे इस मामले में परामर्श प्रक्रिया में जुड़ने के इच्छुक हैं. जापान ने मोबाइल फोन समेत कुछ इलेक्ट्रानिक एवं संचार प्रौद्योगिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क लगाने को लेकर 14 मई को भारत के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में शिकायत की है. उसका दावा है कि भारत का ऐसे उत्पादों पर शुल्क लगाना डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन है क्योंकि भारत ऐसे उत्पादों पर शुल्क का स्तर शून्य प्रतिशत रखने का बचन दे चुका है.


एक अलग सूचना में चीन ने कहा कि मामले में उसका भी हित जुड़ा है क्योंकि वह दुनिया में सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों का मुख्य निर्यातक है. पहले ही भारत के खिलाफ इस प्रकार का मामला दर्ज करा चुका यूरोपीय संघ ने भी कहा है कि उसका व्यापार हित जुड़ा है और वह परामर्श प्रक्रिया से जुड़ना चाहता है. थाईलैंड ने भी दावा किया कि इससे उसकी ऐसी वस्तुओं बिक्री और निर्यात पर असर पड़ेगा.


डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत परामर्श विवाद निपटान प्रक्रिया का पहला चरण है. अगर इस प्रक्रिया का संतोषजनक नतीजा नहीं आता है, जापान मामले में निर्णय के लिये विवाद समिति गठित करने का डब्ल्यूटीओ से आग्रह कर सकता है. जो भी देश परामर्श प्रक्रिया से जुड़ना चाहते हैं, उन्हें भारत और जापान से मंजूरी लेने की जरूरत होती है. उल्लेखनीय है कि भारत ने बढ़ते चालू खाते के घाटे पर अंकुश लगाने के लिये पिछले साल अक्टूबर में कुछ संचार प्रौद्योगिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया.