Govt action against parcel scam: पैकेजों का फर्जी झांसा देकर ठगी करना, भारत में ऑनलाइन धोखाधड़ी का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है. पिछले कुछ महीनों में कई भारतीय इस जालसाजी के चलते लाखों और करोड़ों रुपये गंवा चुके हैं. इस धोखाधड़ी में, ठग सोशल मीडिया के जरिए लोगों से संपर्क करते हैं और जाली पुलिस या सरकारी अधिकारी बनकर फर्जी गिरफ्तारी का डर दिखाकर पैसे वसूलने की कोशिश करते हैं. इस बढ़ती हुई धोखाधड़ी से निपटने के लिए, भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं ताकि इस फर्जी गतिविधि को रोका जा सके और अपने नागरिकों की रक्षा की जा सके.


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सरकार का एक्शन


इकॉनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) और दूरसंचार विभाग (DoT) मिलकर विदेशों से आने वाली फर्जी कॉलों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. ये कॉल करने वाले खुद को अक्सर NCB (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो), CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो) या ऐसे ही दूसरे सरकारी विभागों के अधिकारी बताते हैं. इसके अलावा, I4C माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि ठग सरकारी विभागों के फर्जी लोगो का इस्तेमाल न कर सकें. ठग अक्सर लोगों को फंसाने के लिए सरकारी विभाग का नाम लेकर भरोसा दिलाने की कोशिश करते हैं.


I4C के CEO राजेश कुमार ने इस स्थिति की गंभीरता को बताते हुए कहा, 'ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां फोन करने वाला खुद को पुलिस या सरकारी विभाग का अधिकारी बताता है और कहता है कि आपकी गिरफ्तारी हो गई है और आपको पैसे देने होंगे. पीड़ित को किसी सामान्य भारतीय नंबर से फोन किया जाता है, लेकिन कॉल स्पूफिंग का इस्तेमाल करके उन्हें ऐसा लगता है कि कॉल CBI, RBI, NIA या बैंक से आ रही है. हजारों फर्जी स्काइप आईडी बनाई गई हैं जो भारतीय सरकारी विभागों की तरह दिखती हैं. I4C ने माइक्रोसॉफ्ट को अब तक 1,500 ऐसी फर्जी स्काइप आईडी की जानकारी दे दी है.'


कैसे किया जाता है ये फ्रॉड


ये धोखाधड़ी आमतौर पर ऐसे फोन कॉल से शुरू होती है, जो किसी भारतीय नंबर से आता हुआ लगता है. असली में ये ठग सोशल मीडिया या सीधे फोन करके लोगों को फंसाने की कोशिश करते हैं. कॉल स्पूफिंग नाम की तकनीक का इस्तेमाल करके ये अपनी आवाज बदल लेते हैं और सरकारी विभागों के अधिकारी बनकर बात करते हैं. वो आपको बताते हैं कि आपके नाम पर कोई पार्सल आया है जिसमें गलत चीज़ें हैं, जैसे ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या ऐसी ही कोई गैरकानूनी चीज़. कभी-कभी ये ये भी कहते हैं कि आपका कोई रिश्तेदार किसी अपराध या दुर्घटना में फंस गया है और उसे जेल में डाल दिया गया है.


डिजिटल अरेस्ट


एक बार जब पीड़ित डर जाता है और ठग की बातों में फंस जाता है, तो वे इस फर्जी मामले को सुलझाने के लिए पैसे मांगते हैं. पैसे हड़पने के लिए ये कई तरीके इस्तेमाल करते हैं, जैसे विदेश में पैसे भेजना, सोने के गहने देना, क्रिप्टोकरेंसी (ऑनलाइन पैसा) देना या एटीएम से पैसे निकालना. कुछ मामलों में, पीड़ितों को 'डिजिटल अरेस्ट' का सामना भी करना पड़ता है, जहां उन्हें तब तक वीडियो कॉल पर रहना पड़ता है जब तक कि पेमेंट न कर दी जाए.


सरकार ने लोगों से की ये अपील


उधर, सरकार लोगों से सावधान रहने और किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज की रिपोर्ट करने का आग्रह कर रही है. राजेश कुमार ने लोगों को जागरूक रहने के महत्व को बताते हुए ये सलाह दी है, 'लोगों को धोखाधड़ी वाले फोन नंबरों, व्हाट्सएप अकाउंट या वेबसाइट लिंक्स की शिकायत साइबर क्राइम की वेबसाइट पर करनी चाहिए. ये शिकायत 'संदिग्ध जानकारी' सेक्शन में की जा सकती है. इसके अलावा, आप उसी वेबसाइट के 'संदिग्ध डेटा रिपोजिटरी' सेक्शन में जाकर फोन नंबरों की सच्चाई भी पता कर सकते हैं.'


कैसे बचें ऑनलाइन स्कैम से?


फोन की सच्चाई जांचें: कोई भी कदम उठाने से पहले हमेशा फोन करने वाले की पहचान की जांच करें. उन कॉलों पर भरोसा न करें जो तुरंत पैसे या आपकी गोपनीय जानकारी मांगती हैं.


संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करें: किसी भी संदिग्ध कॉल, मैसेज या पहचान की रिपोर्ट करने के लिए साइबर क्राइम वेबसाइट का इस्तेमाल करें. इससे अधिकारियों को धोखाधड़ी करने वालों को पकड़ने और उनके काम को बंद करने में मदद मिलती है.


अपनी निजी जानकारी शेयर करने से बचें: जब तक आप फोन करने वाले की पहचान के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त न हों, तब तक फोन पर अपनी निजी या वित्तीय जानकारी शेयर न करें.


जानकारी रखें: नए धोखाधड़ी के तरीकों और बचाव के उपायों के बारे में सरकार द्वारा जारी की गई सलाह से खुद को अपडेट रखें.