AI Chat Bot: ChatGPT का इस्तेमाल पिछले कुछ महीनों में काफी ज्यादा बढ़ गया है, ऐसा इसलिए है क्योंकि चैट जीपीटी आपको मिनटों में समस्या का समाधान प्रदान कर सकता है. चाहे बच्चों का प्रोजेक्ट हो या कोई रिसर्च वर्क हो, हर फील्ड में इसकी मदद ली जा सकती है और ग्राहक इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. ChatGPT कई यूजर्स के लिए वरदान भी साबित हुआ है, हालांकि इसका इस्तेमाल अगर सही तरीके से ना किया जाए तो ये घातक भी साबित हो सकता है. इसकी लॉन्चिंग के लगभग 6 महीने बाद, AI चैटबॉट को लेकर लोगों के मन में काफी डर है और इसके पीछे एक बड़ी वजह है. 


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तकनीकी विशेषज्ञों ने तर्क दिया है कि चैटबॉट कई बार 'भ्रम' पैदा कर सकता है और इस तरह के विश्वास के साथ तथ्यात्मक रूप से गलत जानकारी प्रदान कर सकता है कि यूजर इसे सच मान सकता है. इसलिए, ChatGPT का उपयोग जानबूझकर या अनजाने में गलत सूचना फैलाने के लिए किया जा सकता है. ऐसे में ये घातक बन जाता है और लोगों को शायद इस बारे में जानकारी नहीं होगी. अगर कोई यूजर एआई चैटबॉट पर आंख मूंदकर भरोसा करता है और इसकी प्रतिक्रियाओं की दोबारा जांच नहीं करता है तो ऐसा करना उसे परेशानी में डाल सकता है. 


वकील के साथ हुई ऐसी ही घटना 


न्यूयॉर्क में एक वकील के साथ हाल ही में कुछ ऐसा ही हुआ है, जिसने कानूनी शोध के मकसद से चैटजीपीटी का इस्तेमाल किया और अब अदालत की सुनवाई में परेशानी का सामना कर रहा है.


ChatGPT ने अमेरिकी वकील को डाला परेशानी में 


एक रिपोर्ट के अनुसार, न्यूयॉर्क के एक वकील को अदालती सुनवाई का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उसकी फर्म के एक सहयोगी ने कानूनी शोध के लिए चैटजीपीटी का इस्तेमाल किया. अदालत ने पाया कि एक चल रहे मामले में वकील और उसकी फर्म द्वारा संदर्भित कई कानूनी मामले कभी अस्तित्व में नहीं थे. न्यायाधीश ने इस घटना को "अभूतपूर्व परिस्थिति" करार दिया।


पीटर लोडुका एक अदालती सुनवाई का सामना करने वाले वकील हैं और उनके सहयोगी, जिन्होंने शोध के लिए चैटजीपीटी का इस्तेमाल किया उसका नाम स्टीवन ए श्वार्ट्ज हैं, रिपोर्ट के अनुसार श्वार्ट्ज 30 साल से ज्यादा वर्षों से वकालत कर रहे हैं और कई मामलों में वो ओपनएआई के टूल का इस्तेमाल करते थे. 


श्वार्ट्ज से इस बारे में जब सवाल किया गया तब उन्होंने कहा कि उन्हें एआई टूल द्वारा गलत सूचना देने की संभावना के बारे में पता नहीं था. उन्होंने इसके लिए माफ़ी भी मांगी है और आगे क्रॉस चेक किए बगैर ऐसे किसी फैक्ट पर विश्वास ना करने का वादा भी किया है. श्वार्ट्ज ने यह भी स्पष्ट किया कि लोडुका को इस बात की जानकारी नहीं थी कि शोध कैसे किया गया और वह किसी भी तरह से इसका हिस्सा नहीं थे.


दरअसल मामला एक एयरलाइन पर मुकदमा करने वाला व्यक्ति को लेकर था, जब उस व्यक्ति की कानूनी टीम ने अपने तर्क का समर्थन करने के लिए पिछले अदालती मामलों का हवाला देते हुए एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया, तो एयरलाइन के वकीलों ने न्यायाधीश को सूचित किया कि वे संदर्भित मामलों में से कई का पता नहीं लगा सके हैं. ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, ऐसे में आप भी अगर चैट जीपीटी के द्वारा दी गई जानकारी को पूरी तरह से सच मानते हैं तो ऐसा करना आपको बंद कर देना चाहिए.