स्विगी ने हाल ही में एक अपडेट किया है जिसके अनुसार वे प्रति ऑर्डर 2 रुपये का 'प्लेटफॉर्म शुल्क' वसूलना शुरू कर दिया है. इसका अर्थ है कि जब आप स्विगी से खाने का ऑर्डर देते हैं, तो आपके कार्ट में पांच आइटम या केवल एक आइटम हो, शुल्क आपसे लिया जाएगा. यह शुल्क आपके ऑर्डर की मात्रा या कार्ट मूल्य के अनुसार नहीं बढ़ेगा.


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स्विगी का कहना है कि यह कदम उनके राजस्व में सुधार और लागत को कम करने के प्रयास का हिस्सा है, जो खाद्य वितरण व्यवसाय में मंदी से प्रभावित हुआ है. इस अतिरिक्त शुल्क को स्विगी ने शुरू में बेंगलुरु और हैदराबाद के यूजर्स के लिए पेश किया था, लेकिन अब इसे मुंबई और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों में भी लागू किया जा रहा है. ध्यान देने वाली बात यह है कि यह शुल्क केवल खाने के ऑर्डर पर लगाया जाता है, न कि क्विक-कॉमर्स या इंस्टामार्ट के ऑर्डर पर.


क्या कहा कंपनी के CEO ने


स्विगी के सीईओ और सह-संस्थापक, श्रीहर्ष मजेटी ने डिलीवरी कारोबार में मंदी के लिए प्लेटफॉर्म शुल्क की शुरुआत को जिम्मेदार ठहराया है, जिसने कंपनी की विकास दर को प्रभावित किया है. उन्होने कर्मचारियों को एक मेल में बताया, 'हमारे अनुमानों के मुताबिक, खाद्य वितरण के लिए विकास दर धीमी हो गई है. जबकि हमारे नकदी भंडार हमें मौसम की कठोर परिस्थितियों के लिए मौलिक रूप से अच्छी स्थिति में रहने की अनुमति देते हैं, हम इसे एक बैसाखी नहीं बना सकते हैं और इसे अवश्य करना चाहिए. हमारे दीर्घकालिक जीवन को सुरक्षित करने के लिए दक्षताओं की पहचान करना जारी रखें.'


Zomato को भी हो रहा नुकसान


यह यूजर्स के लिए छोटा अमाउंट लग सकता है. लेकिन इससे कंपनी को काफी फायदा मिलने वाला है. बता दें, कंपनी हर दिन 1.5 मिलियन से अधिक ऑर्डर डिलीवर करता है. स्विगी के प्रतिद्वंद्वी ज़ोमैटो को भी उद्योग-व्यापी मंदी के प्रभाव का सामना करना पड़ा है.


Zomato के CFO, अक्षत गोयल ने कंपनी के अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के नतीजों में इसका उल्लेख करते हुए कहा कि यह रुझान पूरे देश में देखा गया है, लेकिन शीर्ष आठ शहरों में ऐसा अधिक देखा गया है. हालांकि, Zomato ने अभी तक कोई प्लेटफॉर्म फीस पेश नहीं की है.