नई दिल्ली: देश के पहाड़ों पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रोप वे और केबल कार सेवा शुरू करने के लिए ऑस्ट्रिया की कंपनी से करार हुआ है. भगवान राम की विश्रामस्थली रही चित्रकूट में इस महीने यूपी का पहला रोप-वे शुरू करने की तैयारी है. पर्यटन विभाग ने इसकी टेस्टिंग शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कार्यक्रम मिलते ही इसका लोकार्पण कर दिया जाएगा. पर्यटन विभाग की निगरानी में यह रोप-वे पीपीपी मोड में बनाया गया है. 


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चित्रकूट के पर्यटन अधिकारी शक्ति सिंह ने बताया कि अभी लक्ष्मण पहाड़ी पर जाने में पर्यटकों को करीब आधा घंटा लगता है. इसके लिए 400 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जिसमें बुजुर्गों को काफी कठिनाई होती है.  रोप-वे ये यह सफर आसानी से तय किया जा सकेगा.  


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रोप-वे भारतीय परिवहन का भविष्य : नितिन गडकरी
दुनिया भर में 15 हजार से अधिक रोप वे बना चुकी डॉपेलमेर भारतीय कंपनी वैपकोस का सहयोग करेगी. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस मौके पर कहा कि रोप-वे और केबल कार भारतीय परिवहन का भविष्य हैं. उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के रास्ते ही परिवहन क्षेत्र का विकास संभव है. गडकरी ने शहरी भीड़भाड़ को कम करने तथा प्रदूषण में कटौती की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि रोप-वे, केबल कार, फनीकुलर रेलवे (बिजली के तारों पर चलने वाली रेल) पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों के लिए तथा भीड़भाड़ वाले शहरों में अंतिम संपर्क विकल्प के रूप में परिवहन के उपयोगी साधन हो सकते हैं. 



पर्यटन स्थलों का होगा विकास
उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में रोप वे सेवाओं को बढ़ाने की योजना है. इसके तहत उत्तराखंड ने 10 स्थानों को चिह्नित किया है. राज्य ने भेजे प्रस्ताव में कहा है कि इसके लिए जमीन उपलब्ध कराएगा. ये परियोजनाएं न केवल यातायात, भीड़भाड़ और प्रदूषण को कम करेंगी बल्कि पर्यटन स्थलों के विकास में भी योगदान देंगी और रोजगार के अवसर प्रदान करेंगी. गडकरी ने कहा कि इस समझौते से देश में शहरी परिवहन की छवि बदल जाएगी. 


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भारत में इस तरह की तकनीक की है जरूरत
गडकरी ने कहा कि रोप वे और केबल कार सेवा से परिवहन के क्षेत्र में क्रांति होगी. उन्होंने कहा कि यह सस्ता भी होगा, जहां मेट्रो या हाइड्रो रेल सेवा के लिए एक किलोमीटर में निर्माण में 350 करोड़ रुपये की लागत आती है, वहीं रोप वे और केबल कार में यह महज 50 करोड़ रुपये है. गडकरी ने कहा कि भारत में इस तरह की तकनीक की बहुत जरूरत होने वाली है. देश में ऑटोमोबाइल सेक्टर में प्रतिवर्ष 22 फीसदी की वृद्धि हो रही है, जिससे राजमार्गों की आवश्यकता बढ़ी है और इसके लिए 88 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है. 


(इनपुट: एजेंसी)