3 बार आए ऐसे मौके, जब प्रधानमंत्री को खुद पेश करना पड़ा बजट, जानिए क्यों?
Budget 2019: यह पहली बार नहीं है जब नियमित वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट पेश नहीं कर पा रहे हैं. इससे पहले आजादी के बाद ऐसे तीन मौके आए, जब खुद प्रधानमंत्रियों को बजट पेश करना पड़ा.
नई दिल्लीः 2019 का बजट पेश होने में सिर्फ एक दिन बाकी है. इस बार नियमित वित्त मंत्री अरुण जेटली के बीमार होने के कारण जगह पीयूष गोयल Budget पेश करेंगे. लेकिन ये पहली बार नहीं है, इससे पहले भी आजादी के बाद इतिहास में तीन मौके आए जब खुद प्रधानमंत्री को बजट पेश करना पड़ा.
जवाहर लाल नेहरू
वजहः प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1958-59 का बजट पेश किया था. उस वक्त उनके पास वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो था.
क्या था खासः इस बजट में नेहरू ने डायरेक्ट टैक्स के तहत पहली बार गिफ्ट पर टैक्स का प्रावधान पेश किया. इसे ‘गिफ्ट टैक्स’ कहा गया. 10 हजार रुपए से अधिक की संपत्ति के ट्रांसफर पर गिफ्ट टैक्स का प्रावधान किया गया. इसमें एक छूट यह भी थी कि पत्नी को 1 लाख रुपए तक के गिफ्ट देने पर टैक्स का प्रावधान नहीं था. गिफ्ट टैक्स का प्रस्ताव पेश करते हुए बजट स्पीच में नेहरू ने कहा था, ‘गिफ्ट के जरिए अपने संबंधियों का परिजनों को संपत्तियों का ट्रांसफर न केवल एस्टेट ड्यूटी की चोरी करने बल्कि वेल्थ टैक्स, इनकम टैक्स और एक्पेंडिचर टैक्स बचाने का भी जरिया है.’उस समय अमेरिका, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में इस तरह के टैक्स का प्रावधान था.
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इंदिरा गांधी
वजहः 1970-71 में मोरारजी देसाई के इस्तीफे के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो संभाला और 1970-71 का बजट पेश किया.
क्या था खासः इंदिरा गांधी ने इनडायरेक्ट टैक्स में एक बड़ा फैसला किया, जिसके तहत सिगरेट पर ड्यूटी 3 फीसदी से बढ़ाकर सीधे 22 फीसदी कर दी गई. इंदिरा गांधी ने बजट स्पीच में कहा कि इससे सरकार को 13.50 करोड़ रुपए की अतिरिक्त इनकम होगी. बतौर वित्त मंत्री इंदिरा गांधी ने प्लान आउटले (केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों) के लिए 2,637 करोड़ रुपए का प्रस्ताव पेश किया. यह 1960-70 से करीब 400 करोड़ रुपए अधिक था. डायरेक्ट टैक्स में इंदिरा गांधी गिफ्ट टैक्स के लिए संपत्ति की वैल्यू की अधिकतम 10,000 रुपए की लिमिट घटाकर 5,000 रुपए कर दी. यानी, 5,000 रुपए से अधिक संपत्ति को गिफ्ट करने पर उसे टैक्स के दायरे में लाया गया. इंदिरा गांधी ने डायरेक्ट टैक्स में इनकम टैक्स छूट की लिमिट 40 हजार रुपए की.
राजीव गांधी
वजहः राजीव गांधी सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री वीपी सिंह के सरकार से बाहर होने के बाद राजीव गांधी ने वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो संभाला और 1987-88 का बजट पेश किया.
क्या था खासः राजीव गांधी ने इस बजट के जरिए देश में पहली बार मिनिमम कॉरपोरेट टैक्स का प्रस्ताव पेश किया. जिसे अभी मैट के रूप में जाना जाता है. इस मिनिमम कॉरपोरेट टैक्स के तहत कंपनी की तरफ से घोषित प्रॉफिट का 30 फीसदी टैक्स देने का प्रावधान किया गया. राजीव गांधी ने इससे 75 करोड़ रुपए अतिरिक्त रेवेन्यू हासिल होने का अनुमान लगाया. राजीव गांधी ने विदेशी यात्रा के लिए भारत में जारी होने वाले फॉरेन एक्सचेंज पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगाने का प्रावधान किया. राजीव गांधी ने बतौर वित्त मंत्री ने डिफेंस के लिए 1987-88 में 12,512 करोड़ रुपए का प्रावधान किया.