Vladimir Putin: जर्मनी की पूर्व चांसलर एजेंला मार्केल (70) ने फ्रीडम (Freedom) नाम से एक किताब लिखी है. मंगलवार को बर्लिन में रिलीज हुई इस किताब में उन्‍होंने अपने 16 वर्षों के कार्यकाल के दौरान जिन बड़े नेताओं से मुलाकात की और जिन बड़ी घटनाओं का सामना किया उनके किस्‍से संस्‍मरण के रूप में साझा किए हैं. उन्‍होंने अपने दौर में चार अमेरिकी राष्‍ट्रपतियों, चार फ्रांसीसी राष्‍ट्रपतियों और पांच ब्रिटिश प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया और उनसे जुड़े अनुभवों को साझा किया है. लेकिन उनके लिहाज से सबसे कठिन मुलाकात रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन से हुई है.


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उन्‍होंने पुतिन की अपने संस्‍मरण में आलोचना की है. उनके व्‍यवहार को बचकाना कहा और ये तक कहा है कि पुतिन अपने पॉवर गेम को दिखाने से कभी नहीं चूकते. एजेंला ने एक ऐसी ही घटना का जिक्र करते हुए कहा कि 2007 में जी-8 के शिखर सम्‍मेलन को जब वो होस्‍ट कर रही थीं तो उस दौरान पुतिन ने किस कदर नेताओं को इंतजार कराया था. जबकि मार्केल को समय की पाबंद माना जाता रहा है. उन्‍होंने लिखा भी कि मैं लोगों की लेट-लतीफी को नहीं समझ पाती. आखिर किसी इवेंट में बिना वजह के देर पहुंचने का क्‍या मतलब है? 


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पुतिन को पसंद है पॉवर गेम
इसी तरह उन्‍होंने उसी साल अपने रूसी दौरे का जिक्र किया है. उन्‍होंने कहा कि वो रूस के शहर सोची में ब्‍लैक सी के किनारे राष्‍ट्रपति पैलेस में पुतिन से मिलीं. उन्‍होंने कहा कि पुतिन जानते थे कि मार्केल को कुत्‍तों से डर लगता है लेकिन उसके बावजूद वो अपने साथ अपने पालतू कुत्‍ते कोनी को लेकर आए. सिर्फ इतना ही नहीं दोनों नेताओं की मीटिंग के दौरान कोनी की उपस्थिति भी मीडिया के कैमरे से दूर नहीं रह पाई और उसकी तस्‍वीरें भी कैद हो गईं. इसको पुतिन की बचकाना हरकत करार देते हुए मार्केल ने लिखा कि ऐसा लगता है कि पुतिन ने ऐसा शायद सिचुएशन को एन्‍जॉव करने के इरादे से किया. लेकिन मार्केल ने कहा कि मेरी आदत है कि मैं कभी किसी से किसी चीज की शिकायत नहीं करती. इसलिए मैंने उस मोमेंट को सहजता से लिया. 


इसी तरह की एक अन्‍य घटना की याद करते हुए मार्केल ने लिखा कि 2006 में इसी तरह जब पुतिन से मुलाकात हुई थी तो उन्‍होंने साइबेरिया के लकड़ी के घरों में रहने वाले गरीब लोगों की तरफ अंगुली उठाते हुए कहा था कि इन इलाकों में रहने वाली जनता को आसानी से सत्‍ता के खिलाफ बरगलाया जा सकता है. पुतिन ने बाकायदा उदाहरण देकर बताया था कि 2004 में यूक्रेन में जो कथित चुनावी धांधली को लेकर आरेंज क्रांति हुई थी वो ऐसे ही लोगों को उकसाने पर हुई थी. उसमें अमेरिकी सरकार की भूमिका थी और उन्‍होंने पैसे से समर्थन दिया था. पुतिन ने कहा था कि वो इस तरह की घटनाओं को कभी रूस में नहीं होने देंगे. 


मार्केल का कहना है कि वो रूसी राष्‍ट्रपति के हमेशा खुद को सही ठहराने वाली दलीलों से चिढ़ जाती थीं. उन्‍होंने लिखा है कि ऐसे ही एक मौके पर 2007 में म्‍यूनिख में भाषण देते हुए पुतिन ने अपनी दलीलों के माध्‍यम से ये बताया था कि वो अमेरिका के साथ करीबी संबंध विकसित करने के बहुत इच्‍छुक क्‍यों नहीं हैं. 


मार्केल के मुताबिक पुतिन दूसरों को अपमानित करने से गुरेज नहीं करने वाले और लोगों को घंटों इंतजार कराने वाली शख्सियत हैं. वो बाकायदा इस तरह के पॉवर गेम को एन्‍जॉव करते हैं. अब आप चाहें पुतिन को बचकानी हरकतें वाले शख्‍स के रूप में देखें या चाहें जो कहें पुतिन को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता. साथ ही आप रूसी नेता को चाहें जितना नापसंद/नजरअंदाज करें लेकिन इस सच्‍चाई से मुख नहीं मोड़ा जा सकता कि रूसी नक्‍शे को दुनिया से समाप्‍त नहीं किया जा सकता.