डिप्रेशन से जूझ रहे दुनिया के सबसे खुशहाल देश के लोग, किशोर-युवा कर रहे सुसाइड, क्‍यों?
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डिप्रेशन से जूझ रहे दुनिया के सबसे खुशहाल देश के लोग, किशोर-युवा कर रहे सुसाइड, क्‍यों?

Finland happiest country: दुनिया में सबसे खुशहाल देश के तौर पर मशहूर फिनलैंड में हालात बिगड़ रहे हैं. फिनलैंड के लोगों में डिप्रेशन बढ़ रहा है. लोग आत्‍महत्‍याएं कर रहे हैं. आखिर ऐसा क्‍यों हो रहा है?

डिप्रेशन से जूझ रहे दुनिया के सबसे खुशहाल देश के लोग, किशोर-युवा कर रहे सुसाइड, क्‍यों?

Finland Depression Rate: कई साल से फिनलैंड दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में टॉप पर बना हुआ है. लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर है. यहां के लोगों में उदासी बढ़ रही है, वे डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. कह सकते हैं कि कागजों में फिनलैंड के जो आंकड़े दिख रहे हैं हो सकता है वे इस साल भी सच होते नजर आएं लेकिन असलियत में फिन्‍स खुश नहीं हैं. ये दावा यूनाइटेड नेशन्स के सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन्स नेटवर्क का है. इतना ही नहीं फिनलैंड के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक भी यहां की कुल आबादी से करीब 9 प्रतिशत लोग मेजर डिप्रेशन से जूझ रहे हैं.

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बढ़ी आत्महत्या करने की सोच

यूरोपियन यूनियन ने भी एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की थी. जिसके अनुसार फिन आबादी में आत्महत्या की प्रवृत्ति बाकी यूरोपियन देशों से कहीं ज्यादा है. भले ही नब्बे के दशक में ये कम थी और तब लोग वाकई खुश रहे होंगे लेकिन अब ऐसा नहीं है. यहां अब डिप्रेशन का स्‍तर इतना बढ़ चुका है कि 14 से 24 साल की उम्र में हो रही एक-तिहाई मौतों की वजह खुदकुशी है. फिनलैंड के लोगों में आत्‍महत्‍या करने की सोच बढ़ रही है और उनमें से कई यह कर गुजर भी रहे हैं.

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खत्‍म ही नहीं हो रहा संघर्ष

फिनलैंड ने खुद भी 'इन द शैडो ऑफ हैप्पीनेस' नाम से अपना आंकलन करके पाया है कि यहां बेहद कम उम्र के लोग भी यहां खुद को स्ट्रगल करता मान रहे हैं. इतना ही नहीं उनका स्ट्रगल बढ़ती उम्र के साथ भी खत्म नहीं होता, बल्कि 80 पार के लोग भी यहां आत्महत्याएं कर रहे हैं.

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ये हैं वजहें

- फिनलैंड ने अपने देशवासियों की समस्‍या को भांप लिया है और मेंटल हेल्‍थ पर काम करना भी शुरू कर दिया है लेकिन इसमें यहां का सोशल स्‍ट्रक्‍चर आड़े आ रहा है. फिन्‍स लोग अकेले रहना पसंद करते हैं, जिससे थोड़ा सा तनाव होते ही वे गहरे डिप्रेशन में चले जाते हैं.

- फिनलैंड का मौसम भी डिप्रेशन के लिए जिम्‍मेदार है. इस देश में लंबी और अंधेरी सर्दियां होती हैं, वहीं गर्मियों में भी तापमान घटता-बढ़ता है. सूर्य की रोशनी की कमी भी डिप्रेशन की शुरुआत का कारण बन सकती है.

- गांव के लोग हॉस्पिटल तक नहीं पहुंच रहे और डिप्रेशन के साथ जीते रहते हैं.

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इन पैमानों पर मापी जाती है हैप्‍पीनेस

यूनाइटेड नेशंस हर साल वर्ल्‍ड हैप्‍पीनेस रिपोर्ट जारी करता है. जिससे यह आंका जाता है कि आखिर कौन सी चीज लोगों को खुश रखती है, जीडीपी या फिर सोशल स्ट्रक्चर. इस रिपोर्ट में 6 प्रमुख सवाल पूछे जाते हैं. आपकी जेब कितनी भरी है, क्या बुरा वक्त आने पर कोई आपका साथ देता है, आप कितने साल जीने की उम्मीद करते हैं, क्या आप अपनी जिंदगी के बड़े फैसले खुद ले सकते हैं, क्या आप दूसरों के लिए उदार हैं और आपके देश में भ्रष्टाचार कितना कम है.  

 

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