म्यांमार चल रहा बांग्लादेश-सीरिया की राह पर...दिनोंदिन खो रहा अपने शहर, बनेगा नया देश!
Myanmar Army: भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में हालात खराब हैं. विद्रोही सेना जीत की ओर तेजी से आगे बढ़ रही है. अराकान आर्मी की आजादी के लिए कोशिशें इसी तरह जारी रहीं तो एशिया को एक नया देश मिल सकता है.
United League of Arakan: बांग्लादेश और सीरिया में जो कुछ हुआ, अब म्यांमार में भी उसका दोहराव हो रहा है. भारत का पड़ोसी देश म्यांमार (बर्मा) जिस तरह से गृहयुद्ध में जकड़ा हुआ है, वहां एक नए देश के उदय होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. म्यांमार में विद्रोही सेनाएं हावी हैं और तेजी से देश के विभिन्न शहरों पर कब्जा करती जा रही हैं. इतना ही नहीं विद्रोहियों की ऐसी स्थिति को देखते हुए अपने करोड़ों डॉलर के निवेश को सुरक्षित रखने के लिए भारत और चीन को दखल देना पड़ा है.
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कब्जाया रखाइन राज्य
यूनाइटेड लीग ऑफ अराकान (यूएलए) और इसकी मिलिट्री ब्रांच अराकान आर्मी स्वतंत्र देश बनाने के लिए जंग पर उतरी है. आलम यह है कि अराकान आर्मी ने म्यांमार यूनियन के रखाइन (पूर्व में अराकान) राज्य के 18 में से 15 शहरों पर पहले ही कब्जा कर लिया है. म्यांमार की सैन्य सत्ता के हाथों में अब यहां के 3 ही स्थान हैं. पहला, बंगाल की खाडी में स्थित सित्तेव बंदरगाह. दूसरा, चीन की मदद से बना क्याउकफ्यू पोर्ट और तीसरी जगह है मुआनांग शहर.
....तो बन जाएगा नया देश
यदि ये विद्रोही गुट पूरे रखाइन प्रांत पर कब्जा करके उसकी स्वतंत्रता की घोषणा करने में सफल हो जाते हैं, तो वे भारत के पड़ोस में नया देश बनाने में सफल हो जाएंगे. साथ ही यह 1971 में बांग्लादेश के जन्म के बाद एशिया में पहला सफल अलगाववादी सैन्य अभियान होगा. हालांकि चीन की मध्यस्थता में हुए हाइगेंग समझौते में उन्होंने कहा कि, "हम हमेशा सैन्य समाधानों के बजाय राजनीतिक संवाद के माध्यम से मौजूदा आंतरिक मुद्दों को हल करने के लिए तैयार रहते हैं."
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बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर कब्जा
हाल ही में अराकान आर्मी ने माउंगडॉ नगर को सेना के हाथों से छीन लिया था. इसके साथ ही अराकान आर्मी का बांग्लादेश-म्यांमार की सीमा पर कब्जा हो गया. अराकान आर्मी भारत-चीन को भरोसे में लेना चाहती है. यही वजह है कि उसने कह दिया है कि वह रखाइन राज्य में विदेशी निवेश यानी कि भारत और चीन के निवेश की रक्षा करेगा.
फिर भी राह नहीं आसान
आराकान आर्मी नया देश बनाने के लिए जीतोड़ कोशिश में लगी है कि लेकिन यह अभी भी आसान नहीं लग रहा. दरअसल, एशिया और पश्चिम दुनिया दोनों के महत्वपूर्ण देशों की मान्यता के बिना, यूनाइटेड लीग ऑफ अराकान की स्वतंत्र राज्य बनाने का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा.