बांग्लादेश तख्तापलट में पाकिस्तान-चीन की मिलीभगत, क्यों शेख हसीना का जाना भारत के लिए बैड न्यूज?
Bangladesh News: BNP यानी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, इसे हमेशा से चीन और पाकिस्तान का समर्थक माना जाता रहा है. इतना ही नहीं बीएनपी कट्टरपंथी संगठन जमात ए इस्लामी को भी समर्थन देती है, जिसने 1971 की जंग में पाकिस्तानी फौज का साथ दिया था.
भारत के पड़ोस में और भारत के दोस्तों को अस्थिर करने का इतिहास रहा है चीन और पाकिस्तान का. बांग्लादेश के साथ भी चीन और पाकिस्तान ने यही किया है. 2021 में अफगानिस्तान, जहां आतंकवादी संगठन तालिबान ने लोकतांत्रिक सरकार की जगह पर कब्जा किया था.
पिछले 4 साल में भारत के आसपास तख्तापलट
2021 में म्यांमार, जहां सेना ने चुनी हुई सरकार को गिरा दिया और सैन्य शासन लागू कर दिया. 2022 में श्रीलंका...जहां जनता के विद्रोह के कारण 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा. 2024 में बांग्लादेश...प्रधानमंत्री शेख हसीना को ना सिर्फ इस्तीफा देना पड़ा बल्कि देश छोड़कर भागना पड़ा.
भारत के इर्द-गिर्द बीते 4 सालों में तख्तापलट हुए हैं. उन सभी देशों से भारत के मजबूत रिश्ते रहे हैं और कोई तो है तो चाहता है कि उन देशों से भारत के रिश्ते खराब हों.
विद्रोह से तख्तापलट तक का सफर
बांग्लादेश में आरक्षण के विरोध में शुरू हुआ आंदोलन तख्तापलट तक आ पहुंचा और अब वहां ऐसी सरकार बनने की तैयारी हो रही है,जो लोकतांत्रिक तो नहीं होगी. अब बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनेगी जिस पर सेना का नियंत्रण होगा. सरकार सेना प्रमुख जनरल वकार-उज़-ज़मान के इशारों पर चलेगी.
वकार उज जमान को जून में ही बांग्लादेश के आर्मी चीफ की कमान मिली है और वो 3 साल तक सेना प्रमुख बने रहेंगे. मतलब डेढ़ महीने में ही वकार उज जमान ने बांग्लादेश में लोकतांत्रिक सरकार को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया.
सेना पर ही उठ रहे सवाल
बांग्लादेश की सेना पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि सेना ने छात्रों के आंदोलन पर अगर गोली नहीं चलाई होती तो मामला इतना नहीं बढ़ता. वैसे भी बांग्लादेशी सेना का इतिहास खराब रहा है.
साल 1975 में भी सेना ने ही तख्तापलट किया था. उस वक्त आर्मी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मुजीबुर्रहमान सरकार को उखाड़ फेंका था. तब 15 सालों तक बांग्लादेश में सैन्य शासन था अब 24 साल फिर से बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया और सेना के हाथों में देश की कमान जाती दिख रही है.
चीन-पाकिस्तान का हाथ होने की आशंका
बांग्लादेश में तख्तापलट के पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ होने की पूरी आशंका है. 1971 में बांग्लादेश आजाद होने के बाद से पाकिस्तान बांग्लादेश को अस्थिर करने की कोशिश में रहता है.
इस तख्तापलट के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की साजिश हो सकती है. बांग्लादेश में इस बार आंदोलन में कट्टरपंथी ताकतें और NGO शामिल रहे हैं. हो सकता है कि आंदोलन के लिए ISI ने ही इन्हें फंडिंग की हो. चीन भी बांग्लादेश में निवेश करना चाहता था. लेकिन शेख हसीना की भारत से अच्छी दोस्ती के कारण वो अपनी मंशा में सफल नहीं हो पा रहा था. अब तख्तापलट के बाद चीन...बांग्लादेश में अपनी दखल बढ़ाने की कोशिश कर सकता है.
श्रीलंका में भी की थी नापाक साजिश
इससे पहले श्रीलंका में जो तख्तापलट हुआ था. उसके पीछे कहीं न कहीं चीन का हाथ था क्योंकि चीन के कर्ज के कारण ही श्रीलंका महंगाई और आर्थिक संकट आया था. पाकिस्तान ने तालिबान को मदद दी थी, तभी तालिबान ने अफगनिस्तान पर कब्जा किया था.
चीन के ही इशारे पर नेपाल में भी सत्ता परिवर्तन होता रहता है. दरअसल चीन और पाकिस्तान दोनों ही भारत में अस्थिरता फैलाने की मंशा रखते हैं और इसीलिए वो सबसे पहले भारत के पड़ोसी देशों को अस्थिर करने की साज़िश करते हैं ताकि वहां अपनी दखल बढ़ा सकें और भारत को घेर सकें. लेकिन भारत अपने दुश्मनों की किसी मंशा को कामयाब नहीं होने देगा.
जिस छात्र शिबिर नाम के संगठन ने इस हिंसा को भड़काया, वो कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़ा है. जमात-ए-इस्लामी को ISI का समर्थन हासिल है. दावा ये भी किया जा रहा है कि पाकिस्तान उच्चायोग के जरिए प्रदर्शनकारियों को मदद भेजी गई.
तख्तापलट के पीछे कौन?
इस प्रदर्शन के दौरान एक तस्वीर सामने आई, जो काफी कुछ इशारा कर रही है. प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति को तोड़ दी है. शेख मुजीबुर रहमान को बांग्लादेश में हीरो माना जाता है. मुजीबुर रहमान ने भारत के सहयोग से 1971 में पाकिस्तानी जुर्म का मुकाबला किया और फिर बांग्लादेश के रूप में एक आजाद मुल्क की स्थापना करवाई. लेकिन पाकिस्तान को समर्थन करने वाला तबका हमेशा से उनके खिलाफ रहा.. ऐसे में सवाल उठता है कि आरक्षण खत्म करने की मांग करने वाली अवाम ने आखिर शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति को क्यों तोड़ा. सवाल ये भी है कि इसके पीछे है कौन?
पाक-चीन की समर्थक है बीएनपी
BNP यानी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, इसे हमेशा से चीन और पाकिस्तान का समर्थक माना जाता रहा है. इतना ही नहीं बीएनपी कट्टरपंथी संगठन जमात ए इस्लामी को भी समर्थन देती है, जिसने 1971 की जंग में पाकिस्तानी फौज का साथ दिया था. ऐसे में ये माना जा रहा है कि आरक्षण आंदोलन की आड़ में तख्तापपलट की साजिश रच दी गई. एक सवाल ये भी है कि क्या सेना ने तख्तापलट का प्लान बनाया
बांग्लादेश में 15 दिन बाद जब एक बार फिर हिंसा भड़की तब सेना ने ऐलान कर दिया की वो अवाम के साथ है और किसी भी तरह के एक्शन को रोक दिया. तख्तापलट की खबरें आने के साथ साथ सेना प्रमुख ने ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई, ऐसे में ये भी सवाल उठता है कि क्या इसके पीछे सेना का हाथ है.