बेरूतः लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए धमाकों (Beirut Explosion) को एक माह बीत चुका है. इन धमाकों में करीब 200 लोगों की मौत हुई थी और 6 हजार से अधिक घायल हुए थे. शहर में घटना स्थल का नजदीकी क्षेत्र खंडहर में तब्दील हो गया है. हालांकि बेरूत के घटनास्थल पर अब भी बचाव दल प्रयास में जुटा है. बचावकर्मियों का कहना है कि उन्होंने मलबे में एक व्यक्ति की धड़कनें (heartbeat) सुनी हैं. लिहाजा बचाव दल की टीम को लगता है कि एक माह बाद भी मलबे के नीचे किसी की सांसें चल रही हैं और जो बाहर निकालने के लिए आवाज लगा रहा है. हालांकि अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है.


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रेस्क्यू टीम ने ऑडियो डिटेक्शन उपकरण का प्रयोग सिग्नल या दिल की धड़कन को पकड़ने के लिए किया. बचाव दल ने धड़कन को पकड़ा, जो कि 18 से 19 पल्स प्रति मिनट थी. धड़कन का सिग्नल कहां से आ रहा था इसका तत्काल पता नहीं चला लेकिन इसके बाद बचाव दल में जिंदगी बचाने की नई उम्मीद सी जग गई. हालांकि शुक्रवार (4 सितंबर) की सुबह तक बचाव दल को मलबे के नीचे जिंदगी को तलाशने में कामयाबी नहीं मिली. रेस्क्यू टीम के इस दावे के बाद घटनास्थल पर लोगों की भीड़ देखने को मिली. हादसे के दौरान जब राहत बचाव दल का अभियान बीच में रुक गया था तब वहां के लोगों ने काफी गुस्सा जाहिर किया था और वे बेहद हताश नजर आए थे. 


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बेरुत विस्फोट को लेकर नया क्या?
बता दें कि इस हादसे की जांच को लेकर अब तक सबसे उच्च पद के अधिकारी से पूछताछ की गई है. बता दें कि पीएम दीब इन हमलों को लेकर खूब आलोचनाओं का शिकार हए हैं. लोगों ने उनकी आलोचना की क्योंकि उन्होंने 2750 टन से अधिक विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट को शहर के रिहायशी इलाके से दूर रखने के आदेश नहीं दिए थे. मालूम हो कि बेरूत के बंदरगाह के वेयरहाउस में पिछले छह साल से जब्त किया हुआ अमोनियम नाइट्रेट रखा था जिसके चलते यहां यह हादसा हुआ था. इस धमाके को अब तक का सबसे बड़ा गैर-परमाणु विस्फोट बताया गया था. धमाके के कारण हजारों मकानों को नुकसान भी पहुंचा था.