नई दिल्ली: 3 अप्रैल, 2020 को, कोरोना वायरस (coronavirus) के मामलों ने वैश्विक स्तर पर 1 मिलियन का आंकड़ा पार कर लिया था. दुनिया का ध्यान कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामलों पर केंद्रित था, जबकि चीन के लिए दक्षिण चीन सागर में व्यापार हमेशा की तरह ही जारी रहा.


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दक्षिण चीन सागर चीन के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? इस मार्ग पर कितना कारोबार किया जाता है?


निगरानी करने वाले एक चीनी जहाज ने विवादित पानी में मछली पकड़ने वाली एक वियतनामी नाव को टक्कर मारी और उसे डुबो दिया. डूबे हुए जहाज पर आठ लोग थे, इसके अलावा दो अन्य वियतनामी नाव को पकड़कर अपने कब्जे में कर लिया गया.


पिछले करीब एक सप्ताह से, चीन अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है और चीनी उत्पीड़न के ऐसे मामलों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. चीन, दक्षिण चीन सागर में अपनी स्थिति को और मजबूत कर रहा है, क्योंकि चीन के अलावा इस संसाधन संपन्न जलमार्ग में पांच और अन्य दावेदार हैं.


ताइवान, वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई इस द्वीप पर अपना अपना दावा करते हैं. इन राष्ट्रों में कोरोना वायरस के 11,000 से ज्यादा मामले हैं. इन देशों में कोरोना संकट ने अधिकांश रक्षा गतिविधियों को बाधित किया है लेकिन चीन में इसका असर जाहिर तौर पर कम रहा है.


कोरोनावायरस अब एक 'विदेशी संकट' है और चीन अब अपने छोटे पड़ोसी देशों को अपना वर्चस्व दिखा रहा है. जनवरी से फिलीपीन के कब्जे वाले पगासा द्वीप के पास कम से कम 130 चीनी जहाजों को देखा गया है. चीन के बड़े मानव निर्मित द्वीपों पर दो नए रिसर्च स्टेशन शुरू किए गए हैं. ये स्टेशन जाहिरा तौर पर विवादित द्वीप समूह-Spratlys में फील्ड नेविगेशन और रिसर्च कर रहे हैं.


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मार्च के बाद से, चीनी लड़ाकू जेट ताइवान के तट पर जमकर हवाई अभ्यास कर रहे हैं. इसके बाद एक विमानवाहक पोत- लियाओनिंग की तैनाती की गई थी जिसे जापान की सेना द्वारा रोक दिया गया था. और अब एक वियतनामी नाव को डुबोकर चीन ने अपनी रणनीति साफ कर दी है.


चीन इस जलमार्ग के स्थायी वर्चस्व के लिए, कोरोना महामारी का सहारा लेकर एक 'मौन युद्ध' छेड़ रहा है. अगर ध्यान नहीं दिया गया तो ये युद्ध जल्द ही और अधिक जलमार्गों और देशों को प्रभावित कर सकता है.