United Nations Warning: यह तो तय है कि हम धीरे-धीरे भीषण जलवायु परिवर्तन की गर्त में जा रहे हैं. इसी बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने एक बार फिर इसको लेकर चेतावनी दी है.संयुक्त राष्ट्र ने एक सख्त संदेश में चेतावनी दी है कि दुनिया हर सेकेंड फुटबॉल के चार मैदानों जितनी उपजाऊ जमीन खो रही है. ये चेतावनी सोमवार को मनाए जाने वाले 'सूखा और मरुस्थलीकरण से लड़ने के लिए विश्व दिवस' से पहले दी गई है.


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असल में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि अरबों लोगों की सुरक्षा, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए उपजाऊ जमीन जरूरी है. ये जमीनें लोगों के जीवन, उनकी रोजी-रोटी और पर्यावरण का सहारा हैं, लेकिन हम उसी धरती को बर्बाद कर रहे हैं जो हमारा पालन करती है.


40 फीसदी भूमि खराब हो चुकी


संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पूरे धरती पर करीब 40 फीसदी भूमि खराब हो चुकी है और हम हर सेकेंड और भी हेक्टेयर (बहुत बड़ा जमीन का माप) खो रहे हैं. गुटेरेस ने कहा कि हर सेकेंड, करीब चार फुटबॉल मैदानों जितनी उपजाऊ ज़मीन खराब हो जाती है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, हर सेकेंड खोने वाली जमीन सालाना 100 मिलियन हेक्टेयर के नुकसान के बराबर होती है. गौरतलब है कि स्वस्थ भूमि कथित तौर पर हमें करीब 95 फीसदी भोजन प्रदान करती है, इस तथ्य का उल्लेख नहीं करने के लिए कि यह लोगों को पनाह भी देती है, नौकरियां प्रदान करती है और आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है.


चेतावनी संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की तरफ से


संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, सूखे और मरुस्थलीकरण की वजह से दुनिया भर में लाखों लोगों को अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ सकता है. ये चेतावनी संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की तरफ से आई है. हर साल 17 जून को 'सूखा और मरुस्थलीकरण से लड़ने के लिए विश्व दिवस' मनाया जाता है. इस दिन का मकसद दुनिया का ध्यान इस अहम पर्यावरणीय चुनौती - सूखा, जमीन का बंजर होना और मरुस्थलीकरण की तरफ खींचना है.


'हमारी विरासत, हमारा भविष्य'


इस साल की थीम है 'भूमि के लिए एकजुट, हमारी विरासत, हमारा भविष्य'.  इस खास दिन को मनाने का मुख्य कार्यक्रम जर्मनी सरकार द्वारा बॉन स्थित कला प्रदर्शनी स्थल Bundeskunsthalle में आयोजित किया जाएगा. यह कार्यक्रम 1994 में अपनाए गए संयुक्त राष्ट्र के मरुस्थलीकरण रोधी सम्मेलन (UNCCD) की 30वीं वर्षगांठ को भी चिह्नित करेगा. ये एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो पर्यावरण और विकास को भूमि के टिकाऊ प्रबंधन से जोड़ता है.