काबुल: Afghanistan पर तालिबान के कब्जे के बाद सबके मन में यही सवाल उठा था कि आखिर तीन लाख से ज्यादा सैनिकों वाली फौज चंद हजार तालिबानियों से कैसे हार गई? इस सवाल का जवाब अब मिल गया है. अशरफ गनी सरकार में वित्त मंत्री रहे खालिद पायेंडा का कहना है कि अफगान सैनिकों की गिनती कागजों पर जितनी बड़ी थी असलियत उससे काफी छोटी थी. यही वजह रही कि तालिबानी लड़कों ने महज कुछ ही दिनों में मुल्क पर कब्जा कर लिया.


Corrupt Officials के चलते मिली हार


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हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, खालिद पायेंडा (Khalid Payenda) ने अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार की हार के लिए भ्रष्ट सैन्य अधिकारियों को दोषी बताया. उन्होंने कहा कि करप्ट अधिकारियों ने सरकार और देश को धोखे में रखा. उन्होंने कागजों पर तीन लाख से ज्यादा सैनिकों की फौज खड़ी कर डाली. जबकि असलियत इससे बिल्कुल अलग थी. इन 'घोस्ट सैनिकों' का पैसा जनरलों की जेब में जाता रहा और इसके अलावा, वो तालिबान से भी पैसा लेते रहे.


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'Generals के इशारे पर हुआ खेल'


पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि केवल सेना ही नहीं, पुलिस के मामले में भी यही किया गया. मुल्क के खिलाफ साजिश और भ्रष्टाचार की आदत के चलते उच्च अधिकारियों ने यह दर्शाया कि अफगानिस्तान के पास तालिबान को हारने के लिए पर्याप्त शक्ति है. उन्होंने कहा कि टॉप जनरलों के इशारे पर सारा खेल किया गया. जो सैनिक असल में मौजूद ही नहीं थे, उन्हें कागजों पर दर्शाया गया और उनकी सैलरी से भ्रष्ट अफसरों की जेब भरी गई.


महज इतने सैनिक थे Afghan के पास


खालिद पायेंडा ने कहा कि यदि अधिकारियों के दावों की असलियत पता लगाने की कोशिश की जाती, तो शायद स्थिति कुछ और होती. उनके मुताबिक, अफगानिस्तान के पास मुश्किल से 40,000 से 50,000 सैनिक ही थे, जिन्हें कागजों पर 3 लाख से अधिक दिखाया गया. गौरतलब है कि तालिबान ने कुछ ही दिनों में अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया था. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की भी आलोचना हुई थी, क्योंकि उन्होंने कहा था कि अफगान सेना बाकी देशों की सेना की तरह मजबूत है और अपनी सुरक्षा करना जानती है.