Jaishankar in Quad: भारत और चीन के रिश्तों में सीमा विवाद के बाद से जो कड़वाहट आई है, वो अब तक बनी हुई है. वैश्विक मंचों से भी दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्खी गाहे-बगाहे दिख ही जाती है. इन सबके बीच टोक्यो में सोमवार को विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि भारत-चीन सीमा विवाद में किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है. इस समस्या का समाधान हमें ही निकालना है. 


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समस्या का समाधान हमें ही निकालना है


विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-चीन सीमा विवाद में किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से इनकार करते हुए सोमवार को कहा कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच मुद्दे का समाधान उन्हीं दोनों को निकालना है. जयशंकर ने टोक्यो में संवाददाता सम्मेलन में कई सवालों के जवाब में कहा कि भारत और चीन के बीच वास्तविक मुद्दे को सुलझाने के लिए हम अन्य देशों की ओर नहीं देख रहे हैं. 


चीन के साथ हमारे संबंध अच्छे नहीं हैं..


क्वाड समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए यहां आए जयशंकर ने यह भी कहा कि चीन के साथ भारत के संबंध अच्छे नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हमारे बीच एक समस्या है, या मैं कहना चाहूंगा कि भारत और चीन के बीच एक मुद्दा है...मुझे लगता है कि हम दोनों को इस पर बात करनी चाहिए और समाधान निकालना चाहिए. 


हमारे संबंधों का दुनिया पर पड़ता है असर


उन्होंने इस महीने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ दो बार हुई अपनी बैठक को याद करते हुए कहा कि जाहिर है, दुनिया के अन्य देशों की भी इस मामले में रुचि होगी, क्योंकि हम दो बड़े देश हैं और हमारे संबंधों की स्थिति का बाकी दुनिया पर प्रभाव पड़ता है. लेकिन हम अपने बीच के वास्तविक मुद्दे को सुलझाने के लिए अन्य देशों की ओर नहीं देख रहे हैं. 


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4 जुलाई को ही अस्ताना में मिले थे


जयशंकर और वांग की पिछले सप्ताह लाओस की राजधानी में मुलाकात हुई थी, जहां उन्होंने दक्षिण पूर्व एशियाई संगठन (आसियान) की बैठकों में भाग लिया था. बैठक के दौरान, उन्होंने मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मजबूत मार्गदर्शन देने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की थी. चार जुलाई को जयशंकर और वांग ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन के दौरान कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में मुलाकात की थी.


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भरोसेमंद भागीदारों की जरूरत


इससे पहले विदेश मंत्री ने कहा कि क्वाड के चारों देश लोकतांत्रिक राजनीति, बहुलवादी समाज और बाजार अर्थव्यवस्था, एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए नियम-आधारित व्यवस्था और वैश्विक भलाई के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. यह अपने आप में एक अनिश्चित और अस्थिर दुनिया में एक शक्तिशाली स्थिर कारक है. जयशंकर ने समूह और द्विपक्षीय व त्रिपक्षीय संबंधों के बीच "मजबूत अंतःक्रियात्मक गतिशीलता" को भी रेखांकित किया. आखिर में उन्होंने कहा कि ये चुनौतीपूर्ण समय है. चाहे वह स्थिरता और सुरक्षा हो, या प्रगति और समृद्धि, अच्छी चीजें अपने आप नहीं होती हैं. उन्हें भरोसेमंद भागीदारों की आवश्यकता होती है। उन्हें अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होती है और क्वाड सहयोग का एक बेहतरीन उदाहरण है.