पेरिस, फ्रांस: कोरोना वायरस (Coronavirus) के इलाज में अहम मानी जाने वाली एंटी मलेरियल ड्रग हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) पर संदेह कायम है. इसी कड़ी में यूरोपीय संघ के देश- फ्रांस, इटली और बेल्जियम ने COVID-19 उपचार के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करने को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है. 


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बुधवार को पेरिस में उस आदेश को रद्द कर दिया गया जिसमें गंभीर रूप से बीमार कोरोना वायरस रोगियों के इलाज के लिए डॉक्टरों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा का उपयोग करने की इजाजत दी गई थी. इटली और बेल्जियम के अधिकारियों ने संबंधित अधिकारियों से क्लीनिकल ट्रायल को छोड़कर, इस दवा के उपयोग पर बैन लगाने के लिए कहा.


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यह दवा, जिसे गंभीर रूप से बीमार कोरोना वायरस मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है, इसको लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो ने दवा के उपयोग को बढ़ावा दिया है.


इस दवा के उपयोग के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराने वाले ये पहले देश नहीं हैं. कुछ दिनों पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने  सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के वैश्विक ट्रायल को रद्द कर दिया था. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी इसका पालन किया और इसे शुरू करने के एक सप्ताह के अंदर ही ग्लोबल ट्रायल को रोक दिया गया.


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WHO के प्रमुख टेड्रोस अदनोम ने पहले कहा था कि- 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन और क्लोरोक्वीन को ऑटोइम्यून बीमारियों या मलेरिया के रोगियों के इलाज के लिए आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है.'


फ्रांस के पाश्चर इंस्टीट्यूट के एक शोध में बताया गया कि हल्के कोरोना वायरस वाले 98% मरीजों ने एक महीने बाद वायरस को नाकाम करने में सक्षम एंटीबॉडी विकसित कीं. इससे सभी को उम्मीद बढ़ गईं कि जिन लोगों को बीमारी थी वो इम्यूनिटी का आनंद ले सकते हैं.


डोनाल्ड ट्रंप और सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायिब बुकेले दोनों ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की है कि वे हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ले रहे हैं. और दोनों राष्ट्रपतियों के इस कुबूलनामे की जमकर आलोचनाएं की जा रही हैं.


लैंसेट में प्रकाशित एक स्टडी जिसमें 671 अस्पतालों में करीब 100,000 रोगियों पर अध्ययन किया गया था उसमें बताया गया था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मरीजों में मौत के खतरे को बढ़ा देती है.