संयुक्त राष्ट्र: भारत और अन्य जी-4 देशों ने अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) में निराशाजनक घटनाक्रम पर नाराजगी जाहिर की है जबकि महासभा अध्यक्ष ने संयुक्त राष्ट्र के सबसे शक्तिशाली संगठन के सुधार की दिशा में उठाए कदमों पर संतोष व्यक्त किया है.


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इस सप्ताह 193-सदस्यीय महासभा ने सर्वसम्मति से एक मौखिक निर्णय लिया, जिसमें सितंबर में शुरू होने वाले 74वें सत्र के दौरान सुरक्षा परिषद सुधार पर अनौपचारिक अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) जारी रखने का निर्णय लिया गया. 


महासभा की अध्यक्ष मारिया फर्नांडा एस्पिनोसा ने गुरुवार को यहां पत्रकारों से कहा कि अंतर-सरकारी वार्ता में प्रगति विभिन्न समूहों, उनके विचारों और विभिन्न रुचियों के कारण "बेहद कठिन, विवादास्पद, जटिल" थी, लेकिन उन्होंने कहा कि वह 'बहुत संतुष्ट' हैं.


जी-4 में शामिल ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान ने इस सत्र में ‘आईजीएन’ के कार्य के संचालन की कड़ी आलोचना करते हुए कहा गया कि यह प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है.


समूह ने कहा, हमने 10 साल तक ‘आईजीएन’ के तहत चर्चा की और कोई भी ठोस प्रगति नहीं देखी है. इस सत्र में बेहद निराशाजनक घटनाक्रम देखे गए, जिससे जी-4 के लिए इसे स्वीकार करना और कठिन हो गया है.


समूह ने कहा कि ‘आईजीएन’ को एक दशक पहले शुरू किया गया था और यह अभी तक अपने लक्षय को हासिल नहीं कर पाया है और यहां तक की वास्तविक बातचीत तक अभी शुरू नहीं हो पाई है.