Gaslighting is Word Of The Year 2022: कहा जाता है कि हम सब लोग फेक न्यूज़ के युग में जी रहे हैं. आज जानकारी के सोर्स तो बहुत सारे हैं, लेकिन उनके विश्वसनीय होने की गारंटी नहीं है. इस बीच फेक न्यूज़ (Fake News), डीप फेक (Deep Fake), कॉन्सपिरेसी थ्योरी (Conspiracy Theories) और ट्रोल्स (Trolls) के इस युग में मरियम-वेबस्टर ने 'गैसलाइटिंग' को साल 2022 का शब्द यानी वर्ड ऑफ इयर (Word Of The Year)  चुन लिया गया है. यानी इस शब्द के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से इसे साल का यादगार शब्द माना गया है.


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अब मिली पहचान


मरिएम वेबस्टर के संपादक पीटर सोकोलोवस्की ने द एसोसिएटेड प्रेस को दिए इंटरव्यू में बताया कि Gaslighting शब्द का इस्तेमाल पिछले कुछ महीनों में बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ा है. हालांकि 80 साल पहले ही इसे खोजा जा चुका था, लेकिन अब इस शब्द को भाषणों और आम बोलचाल की भाषा में भी जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है. यूं तो बीते करीब चार सालों में इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है लेकिन इसे साल के सबसे खास शब्द की पहचान इस साल 2022 मिली है.


गैस लाइटिंग का मतलब


मेरियम-वेबस्टर के अनुसार, इस शब्द की दो परिभाषाएं हैं. दोनों के शाब्दिक अर्थ और भाव एक जैसा ही है. इसका आशय भटकाव, अविश्वास, चालाकी और स्वार्थ के मकसद से किए गए कामों से लगाया जाता है. आसान शब्दों में कहा जाए तो इस गैसलाइटिंग का मतलब अपने फायदे के लिए दूसरे को भरमाना है. यानी किसी के साथ मनोवैज्ञानिक तौर पर इस तरह खेल खेला जाए और उसे धोखे में रखते हुए इस तरह से भ्रमित कर दिया जाए कि पीड़ित शख्स अपने विचारों और खुद की काबिलियत पर संदेह करने लगे. यानी वो काम जिससे किसी दूसरे के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को इतनी ठेस पहुंचाई जाए कि वह पूरी तरह से निर्भर हो जाए. ये राजनैतिक और व्यावसायिक स्तर की चालबाजी भी हो सकती है.


'साइकोलॉजी टुडे' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिलेशनशिप में ऐसा कई बार पार्टनर ही ऐसा करने लगते हैं, इससे सामने वाला शख्स बुरी तरह से मानसिक तौर पर प्रताड़ित होता है और आखिर में पूरी तरह से टूट जाता है. मनोवैज्ञानिकों के नजरिए ये गैसलाइटिंग एक आपराधिक कृत्य और गैरकानूनी काम है. आजकल राजनेता भी जनता को भरमाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं.


गैसलाइटिंग का इतिहास


गैसलाइटिंग की उत्पत्ति की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. गैस लाइट पैट्रिक हैमिल्टन का लिखा हुआ एक नाटक है, जिस पर 1940 के दशक में दो फिल्में भी बनीं थीं. दरअसल हैमिल्टन का नॉवेल गैस लाइट एक बेमेल जोड़े की मिसाल है. ये छल यानी धोखे से हुई एक शादी की काली कहानी है, जिसमें पति जैक मनिंघम अपनी पत्नी बेला के साथ ऐसी हरकतों का सहारा लेता है कि वह पागल होने के कगार पर पहुंच जाकी है. 


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