israel iran attack: इजराइल ने शनिवार सुबह पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखा दिया. अपने देश से दो हजार किलोमीटर दूर ईरान में अपने सौ से अधिक लड़ाकू विमानों को भेजकर वहां कोहराम मचा दिया. सबसे बड़ी बात इजरायल को कोई इस मिशन में नुकसान नहीं हुआ. और मिशन पूरा होने के बाद बड़े डंके की चोट पर कह भी दिया कि जिसने भी इजरायल पर आंख उठाई उसे करारा जवाब दिया जाएगा. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अब तक का सबसे भीषण हमला
यरुशलम पोस्ट के मुताबिक इजरायल ने मिसाइल हमलों का बदला लेने के लिए ईरान पर हवाई हमले किए. इजरायल का यह हमला उस हमले का जवाब था जिसमें ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों से 1 अक्टूबर को हमला किया था.1980 के बाद इराक के साथ युद्ध के बाद से किसी शत्रु देश ने ईरान पर इस प्रकार पहली बार लगातार हमले किए हैं. 


सूरज उगने से पहले इजरायल ने कर लिया मिशन पूरा
इजराइल के घंटों चले हमले तेहरान में सूर्योदय से कुछ देर पहले ही समाप्त हुए. इजराइल ने कहा कि उसने ईरान में मिसाइल निर्माण संयंत्रों और अन्य स्थलों को निशाना बनाकर हमले किए. उसने कहा कि ईरान में हमले करने के बाद उसके विमान ‘‘सुरक्षित स्वदेश लौट आए हैं.’’ इजराइली सेना ने कहा कि उसके विमानों ने ‘‘उन मिसाइल निर्माण संयंत्रों पर हमला किया, जिनका इस्तेमाल उन मिसाइलों को बनाने के लिए किया जाता था जिन्हें ईरान ने पिछले साल इजराइल पर दागा था.’’


तो आइए जानते हैं आखिर किस के जरिए इजरायल ने ईरान में मचाया कोहराम. क्या थी उसकी रणनीति. जानें सबकुछ


F-35 लड़ाकू विमान के जरिए हुआ हमला
यरुशलम पोस्ट के मुताबिक, शनिवार को ईरान पर हुए हमले में 100 से अधिक विमान शामिल थे, जिनमें अत्याधुनिक F-35 भी शामिल था. इजरायली फाइटर जेटों ने सबसे पहले सीरिया से ही वायु रक्षा प्रणालियों पर हमला करना करना शुरू किया.  जिसका मेन मकसद था कि ईरान और कोई अन्य देश लोकेशन जान न पाएं. इसके बाद ईरान की राजधानी तेहरान और करज को निशाना बनाया. 


2000 किलोमीटर दूर हुआ हमला
इस बड़े पैमाने पर हमले में 100 से अधिक विमान शामिल थे, जिनमें F-35 "अदिर" स्टील्थ फाइटर शामिल थे, जिन्होंने लगभग 2,000 किलोमीटर की दूरी तय की. विदेशी रिपोर्टों के अनुसार, हमले तेहरान और करज पर केंद्रित थे, आईडीएफ ने कहा कि तीन चरण में हमले हुए और तीनों में विशेष रूप से सैन्य स्थलों को टारगेट किया गया, जिससे आगे के संघर्ष के जोखिम कम हो गए.


1,960 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़े विमान
ईजरायल और ईरान अपने निकटतम बिन्दु पर 900 किमी (560 मील) से अधिक दूरी पर हैं, और ईरान के अधिकांश सैन्य अड्डे और परमाणु स्थल इजरायल से 2,000 किमी (1,243 मील) से अधिक दूर हैं. इसलिए इस मिशन में ईरान के अंदर तक हमला करने के लिए इजरायल ने एफ-35जेट विमानों का इस्तेमाल किया.


एफ-35 की स्पीड 1200 से दो हजार किलोमीटर प्रति घंटा है इस मिशन में मीडिया रिपोर्ट की माने तो F-35A Lightning II का  प्रयोग किया गया है. जिसकी स्पीड 1,960 किलोमीटर प्रति घंटा है. जिस तरह रात 2.30 पर मिशन शुरू हुआ और करीब छह बजे के पहले खत्म हुआ, इससे पता चलता है कि इजरायल ने अपने मिशन में एफ-35 के नए वर्जन का उपयोग किया है. तभी लड़ाकू विमान कोहराम मचाकर वापस भी आ गए. 


इजरायल के लेफ्टिनेंट जनरल मिशन को कर रहे थे लीड
आईडीएफ चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल हर्जी हलेवी किर्या में वायु सेना के बंकर से ईरान में ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे, उनके साथ मेजर जनरल तोमर बार, वायु सेना कमांडर भी थे. ईरान में किसी तरह इजरायली विमानों को तकलीफ न हो और सकुशल वापस आ जाए, इसके लिए इजरायल की विशेष यूनिट 669 हाई अलर्ट पर थी. आईडीएफ अब ईरान, इराक, यमन, सीरिया और लेबनान से संभावित प्रतिक्रियाओं पर बारीकी से नज़र रख रहा है और किसी भी हमले का जवाब देने के लिए तैयारी कर रहा है.