Shahada Lord Vishnu Temple: शाहदा में भगवान विष्णु के पंच धातु से बने सबसे बड़े मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इस मूर्ति को आज इंदौर से शाहदा के लिए रवाना किया जाएगा. 21 टन वजनी इस मूर्ति की लंबाई 11 फीट है. भगवान विष्णु की यह प्रतिमा अलौकिक है.
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Indore News: भगवान विष्णु की दिव्य और अलौकिक प्रतिमा बनकर तैयार है. आज इस प्रतिमा को इंदौर के रजवाड़ा में दर्शन पूजन के लिए रखा गया है. भक्त तुलसी दल लेकर भगवान श्री हरि विष्णु की प्रतिमा पर अर्पित करने पहुंच रहे हैं. आम भक्तों के अलावा इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव और मंत्री कैलाश विजयवर्गी भी राजवाड़ा पहुंचे. भगवान विष्णु की शेषशायी प्रतिमा राजवाड़ा से से महाराष्ट्र के शहादा के लिए रवाना होगी.
जानिए लागत
बता दें कि महाराष्ट्र के शहादा में भगवान विष्णु का मंदिर बनाया जा रहा है. वहीं, पर यह प्रतिमा विराजित होनी है. इस प्रतिमा को तैयार होने में करीब साढ़े चार साल का समय लगा है. यह प्रतिमा पंचधातु की है. जिसकी लंबाई 11 फीट है. इस प्रतिमा का वचन 21 टन है. पंच धातु से निर्मित इस प्रतिमा की लागत करीब 24 करोड़ है. भगवान विष्णु की शेषशायी प्रतिमा को मध्य प्रदेश और राजस्थान में तैयार किया गया है. बताया जा रहा है कि भगवान विष्णु की इतनी विशाल पंच धातु से निर्मित प्रतिमा विश्व की पहली ऐसी प्रतिमा होगी.
शहादा में बनेगा सबसे बड़ा मंदिर
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव भगवान विष्णु की प्रतिमा का दर्शन करने राजवाड़ा पहुंचे. उन्होंने कहा कि यह इंदौर के लिए गर्व की बात है कि भगवान की प्रतिमा यहां से बनकर महाराष्ट्र के शहादा जाएगी, जहां उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. महापौर ने यह भी बताया कि यह मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा होगा और पूरा इंदौर इस यात्रा के लिए खुश है. वहीं, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी भगवान विष्णु के इस विशालकाय प्रतिमा का दर्शन करने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि ऐसे दर्शन मैंने भी पहले बार किए हैं, हमारे शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि कलयुग के बाद कलकी भगवान का अवतार होगा और वे भगवान विष्णु के दर्शन करेंगे.
जानिए प्रतिमा की खासियत
श्री नारायण भक्ति पंथ के प्रमुख लोकेशानंद महाराज ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया, "प्रतिमा में ब्रह्मा-विष्णु-महेश तीनों है. भगवान श्री हरि नारायण एक पुष्प से भगवान महादेव का पूजन कर रहे है. ब्रह्मा जी उनकी नाभी में है. भगवान के शीश की तरफ शेषनाग है. यह लक्ष्मीकांत भगवान है, उनकी चरणों में माता लक्ष्मी की प्रतिमा विराजमान हैं. भगवान की प्रतिमा के समक्ष गरुड़ जी की प्रतिमा है. गरुड़ जी की यह प्रतिमा भी काफी दिव्य है. गुरुड़ जी भगवान के नित्य सेवक है. उनकी दृष्टि भगवान की तरफ है. गरुड़ जी की प्रतिमा में अष्ट नाग है. इसमें से एक ही नाग, गरुड़ जी की आंखों में देख रहा है. वह उनके भावों और विचारों को पड़ता है कि गरुड़ की कहां जाने वाले है. ये सातों नागों को दिशा-निर्देश देते हैं."
जानिए महत्व
श्री नारायण भक्ति पंथ के प्रमुख लोकेशानंद महाराज ने बताया कि मिट्टी की प्रतिमा का पूजा करने से एक गुना फल मिलता है. कांस्य की प्रतिमा की पूजा करने से दस गुना फल प्राप्त होता है. पाषाण की प्रतिमा का पूजन करने से सौ गुना फल मिलता है, लेकिन धातु की जो प्रतिमा होती है, उसकी पूजा का अनंत गुना फल मिलता है. कलयुग में लोगों के पास इतना समय नहीं है कि वह अनंत गुना फल के लिए अनंत गुना प्रयत्न करता रहे. भगवान का ये स्वरूप इसलिए पंचधातु में बनाया है, ताकि भक्तों को बहुत शीघ्र फल प्रदान हो.
इंदौर से शाहदा जाएगी प्रतिमा
इस प्रतिमा की शोभा यात्रा इंदौर के राजवाड़ा से गांधी हाल जाएगी. यहां से महाराष्ट्र के शहादा के लिए प्रस्थान करेगी. इंदौर से शहादा के बीच की दूरी 235 किलोमीटर है. इस यात्रा में अनेक सामाजिक संगठन शामिल होंगे. 235 किमी की इस यात्रा के दौरान विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संगठनों द्वारा रथ यात्रा की अगवानी भी की जाएगी.
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