Palestinian-American journalist Murder Case: फिलिस्तीनी-अमेरिकी पत्रकार शिरीन अबू अकलेह की मौत के मामले में इजरायल सरकार सख्ती के मूड में है. इजरायल ने रविवार को कहा कि, वह उस गोली का फोरेंसिक टेस्ट कराएगा जिसके लगने से पत्रकार की मौत हुई थी. इस टेस्ट को कराने के पीछे मकसद यह जानना है कि यह गोली इजरायल सेना की तरफ से चली है या नहीं. वहीं इस मामले में संडे को फिलिस्तीनी अधिकारियों ने एक अमेरिकी सुरक्षा समन्वयक को कुछ सबूत और वह गोली सौंपी. इजरायल के सैन्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर-जनरल रान कोचव ने रविवार को आर्मी रेडियो को बताया कि अमेरिकी पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में इजरायली जांचकर्ताओं द्वारा गोली का फोरेंसिक टेस्ट किया जाएगा. वहीं फिलिस्तीनी प्राधिकरण (पीए) के सामान्य अभियोजक अकरम अल-खतीब ने वॉयस ऑफ फिलिस्तीन रेडियो को बताया कि यह टेस्ट यरूशलेम में अमेरिकी दूतावास में होगा, लेकिन हमें अमेरिकी समन्वयक से यह गारंटी मिली है कि इस टेस्ट में इजरायली पक्ष भाग नहीं लेगा. दोनों देशों के बयानों से जांच को लेकर गतिरोध बनने लगा है.


11 मई को गोली लगने से हुई थी मौत


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बता दें कि 11 मई 2022 को अल जज़ीरा की रिपोर्टर शिरीन अबू अकलेह की मौत वेस्ट बैंक में इजरायली छापे के दौरान गोली लगने से हो गई थी. फिलिस्तीनियों ने इजरायली सेना पर जानबूझकर उसे मारने का आरोप लगाया था. वहीं, इजरायल ने इस बात से इनकार करते हुए कहा कि, अबू अकलेह सेना की गलती से या किसी फ़िलिस्तीनी बंदूकधारियों की गोली से मारी गई होगी जो सेना के साथ संघर्ष कर रहे थे.


इजरायल का कहना, जल्द सामने आएगी हकीकत


वहीं, रविवार को इजरायल के सैन्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर-जनरल रैन कोचव ने कहा कि, "आने वाले दिनों या घंटों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि क्या गलती से उसे मारने वाले हम ही थे या फिर वह फिलिस्तीनी बंदूकधारी की गोली से मरी थी. अगर वह हमारी वजह से मारी गई है तो हम जिम्मेदारी लेंगे और जो हुआ उसके लिए खेद महसूस करेंगे."


लगातार सवालों में है इजरायल


इस मामले में इजरायल पर फिलिस्तीन की तरफ से लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं. यरुशलम में पत्रकार के अंतिम संस्कार के जुलूस पर धावा बोलने का एक फुटेज भी वायरल हुआ था. इसमें ताबूत को गिराने की कोशिश की गई थी. फिलिस्तीन का दावा था कि हमला करने वाले इरजरायल पुलिस के जवान हैं. वहीं, इज़राइल ने शुरू में फिलिस्तीनी आतंकवादियों पर रिपोर्टर की मौत का आरोप लगाया था, लेकिन बाद में स्वीकार किया कि हो सकता है कि एक आईडीएफ सैनिक ने उसे गलती से मार डाला हो. इजरायल सेना ने कहा कि उसने उस राइफल की पहचान कर ली है जिसका इस्तेमाल इस घटना में किया गया हो सकता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इजरायल सैनिक ने ही हत्या की है. इसकी पुष्टि तब तक नहीं की जा सकती जब तक कि बंदूक की बैरल राइफलिंग और बुलेट की फोरेंसिक जांच नहीं हो जाती.


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