World Biggest Ship Accident: मुंबई में गेट वे ऑफ इंडिया के पास हुए यात्री बोट हादसे में 13 लोगों की जान चली गई. इस दुखद घटना ने दिमाग में टाइटेनिक समेत देश-दुनिया के ऐसे हादसों की याद ताजा कर दी. जानिए दुनिया का सबसे बड़ा शिप हादसा कौनसा था, जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी. इस समुद्री जहाज हादसे में टाइटेनिक से ज्यादा लोग मारे गए थे.
Trending Photos
World's Largest Ship Sinking Wilhelm Gustloff: जर्मनी के विल्हेम गुस्ट्लॉफ जहाज की घटना टाइटैनिक से भी बड़ा त्रासदीपूर्ण हादसा था. इसे इतिहास का सबसे खौफनाक समुद्री जहाज एक्सीडेंट माना जाता है. यह हादसा 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ था. जिसमें जर्मन सैनिक, नागरिक और उनके परिवार के लोग सवार थे.
यह भी पढ़ें: शर्मनाक! भारत के पड़ोसी देश में वेश्यावृत्ति करने पर मजबूर हुए डॉक्टर-नर्स, रुला देगी वजह
9,400 लोगों की हुई थी मौत
विल्हेम गुस्ट्लॉफ जहाज हादसे में करीब 9,400 लोगों की मौत हुई थी, जबकि टाइटैनिक में करीब 1,500 लोगों की मौत हुई थी. बाल्टिक सागर में हुई इस समुद्री दुर्घटना में महज 45 मिनट में जहाज समुद्र की गहराई में समा गया था.
यह भी पढ़ें: बेहद मॉर्डन हैं पैगंबर के वंशज की रानी, शरणार्थी बनकर आईं थीं देश, अब जाने की कगार पर इनकी सत्ता
सोवियत सबमरीन ने किया था हमला
दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान जब जर्मनी और सोवियत संघ की सेना का आमना-सामना हुआ, तब जर्मनी और पोलैंड बॉर्डर पर स्थित पोमेरैनिया और प्रुसिया के लगभग 10 हजार लोग अपनी जान बचाने के लिए जबर्दस्ती इस जहाज में सवार हो गए. उन्होंने बाल्टिक सागर के रास्ते भागने की कोशिश की लेकिन वे तब भी नहीं बच पाए. बाल्टिक सागर में तैनात सोवियत की 3 पनडुब्बियों ने 30 जनवरी, 1945 को इस जहाज पर अटैक कर दिया, जिससे ये जहाज पटल गया और महज 45 मिनट में समुद्र की गहराइयों में समा गया. यह जहाज 700 फीट लंबा और हजारों टन भारी था.
-18 डिग्री सेल्सियस था समुद्री पानी का टेम्परेचर
इस शिप पर 5,000 लोगों के लिए लाइफबोट और रैफ्ट थे, लेकिन ज्यादातर लाइफसेविंग उपकरण जमे हुए थे. जहाज में सवार कुछ लोगों ने बाहर निकलकर खुद को बचाने की कोशिश भी की लेकिन वे भी नाकामयाब रहे. क्योंकि बाल्टिक सागर के पानी का तापमान -18 डिग्री सेल्सियस था. जिसमें जिंदा बचने की संभावना ना के बराबर थी. लिहाजा ठंड और डूबने से इस जहाज में सवार सारे लोग मारे गए. अब इस शिप को युद्ध कब्र माना जाता है और यह करीब 50 मीटर की गहराई में है.