North Korea: उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने एक ऐसा ऐलान कर दिया है जो अमेरिका समेत पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बजने जैसा है. किम जोंग ने अपनी परमाणु ताकत को तेजी से बढ़ाने का ऐलान कर दिया है. उत्तर कोरिया की स्थापना की सालगिरह पर किम ने अपने इरादे जताते हुए साफ तौर पर अमेरिका का नाम लेते हुए उससे खतरा बताया. 


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किम जोंग उन ने कहा कि उनका देश अपने परमाणु शस्त्रागार को तेजी से बढ़ाने के लिए नई नीति लागू कर रहा है. यह राज्य मीडिया KCNA के हवाले से BDNews24 ने बताया कि किम जोंग उन ने कहा कि देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अमेरिका व उसके सहयोगियों से उत्पन्न खतरों का सामना करने के लिए एक मजबूत परमाणु शक्ति आवश्यक है. उन्होंने मौजूदा सुरक्षा स्थिति को गंभीर खतरा करार दिया, जिसका कारण क्षेत्र में अमेरिका के नेतृत्व वाले परमाणु सैन्य गुट को बताया. किम ने क्षेत्रीय तनावों के बीच उत्तर कोरिया के मिसाइल और परमाणु क्षमताओं को बढ़ाने के निरंतर प्रयासों पर जोर दिया.


इसके जवाब में दक्षिण कोरिया के रक्षा उप-नीति मंत्री चो चांग-राय ने अपने अमेरिकी और जापानी समकक्षों के साथ प्योंगयांग की हालिया परमाणु वितरण प्रणालियों और मिसाइल परीक्षणों की निंदा की. सियोल में आयोजित बैठक में तीनों देशों ने क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए त्रिपक्षीय सहयोग को बढ़ाने का संकल्प लिया. उन्होंने फ्रीडम एज नामक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास की भी योजना बनाई है. 


इसके अलावा, दक्षिण कोरिया मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र कमांड (UNC) के सदस्यों के साथ रक्षा मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित करेगा. UNC, जो अमेरिकी कमांडर के नेतृत्व में काम करती है, उत्तर कोरिया के साथ सुरक्षा-चुनौतियों वाली सीमा की निगरानी करती है और युद्ध की स्थिति में दक्षिण कोरिया की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है. हाल ही में जर्मनी UNC में शामिल हुआ, जो उत्तर कोरिया के साथ सीमा पर सुरक्षा और निगरानी में सहायता करेगा.  उत्तर कोरिया ने UNC की आलोचना करते हुए इसे एक अवैध युद्ध संगठन बताया और जर्मनी की भागीदारी को क्षेत्रीय तनाव बढ़ाने वाला करार दिया है. 


अब जरा उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के बारे में भी जान लीजिए. उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम 1950 के दशक में शुरू हुआ. यह अब दुनिया के सबसे विवादास्पद और चिंताजनक परमाणु कार्यक्रमों में से एक है. यह कार्यक्रम उत्तर कोरिया की सुरक्षा और शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा गंभीर खतरे के रूप में माना जाता है. 


1950-1960 के दशक में उत्तर कोरिया ने परमाणु ऊर्जा और विज्ञान के अध्ययन के लिए सोवियत संघ की मदद से अपनी परमाणु योजना की नींव रखी थी. उसके बाद 1985 में उत्तर कोरिया ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर किए, लेकिन बाद में इस संधि के उल्लंघन और गोपनीय तरीके से परमाणु गतिविधियों को जारी रखने के आरोप लगाए गए. 2003 में उसने NPT से खुद को बाहर कर लिया और अपने परमाणु कार्यक्रम को खुलकर जारी रखा. 


अक्टूबर 2006 में उत्तर कोरिया ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया, जिससे दुनिया भर में सनसनी फैल गई. इसके बाद कई और परीक्षण किए गए, जिनमें हाइड्रोजन बम का परीक्षण भी शामिल है. 


2010 के बाद से उत्तर कोरिया ने अपनी मिसाइल और परमाणु क्षमताओं में लगातार सुधार किया. किम जोंग उन के नेतृत्व में देश ने कई बार लंबी दूरी की मिसाइलों और परमाणु बमों का परीक्षण किया है, जिससे अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान और अन्य देशों के साथ तनाव बढ़ा है.


इसके बाद उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कठोर आर्थिक और व्यापारिक प्रतिबंध लगाए हैं. उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों को देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए आवश्यक मानता है. 


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