Lord Mountbatten: भारत के आखिरी वायसराय रहे लॉर्ड माउंटबेटन को किसने मारा था? 45 साल बाद खुद हत्यारे ने खोला राज
Lord Mountbatten Latest News: भारत के आखिरी वायसराय रहे लॉर्ड माउंटबेटन की भारत से जाने के बाद ब्रिटेन में हत्या कर दी थी. यह हत्या किसने की थी, 45 साल बाद अब इसका राज खुल गया है. इसका खुद हत्यारे ने ही किया है.
Lord Mountbatten News in Hindi: भारत के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू के साथ अपने खास संबंध रखने वाले लॉर्ड माउंटमेटन अब इस दुनिया में नहीं है. करीब 45 साल पहले एक बम विस्फोट में उनकी ब्रिटेन में हत्या कर दी गई थी. यह हत्या किसी भारतीय क्रांतिकारी ने नहीं बल्कि आयरिश रिपब्लिक आर्मी (IRA) ने की थी. IRA ब्रिटेन के कब्जे से मुक्त अपने स्वतंत्र देश आयरलैंड की की मांग कर रही थी. इस हत्याकांड के 45 वर्षों बाद अब खुलासा हुआ है कि जिस व्यक्ति को इस हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. उसका मास्टरमाइंड कोई और था और वह कभी कानून की नजरों में आया ही नहीं. यह खुलासा किसी ओर ने नहीं बल्कि उसी हत्यारे ने किया है, जो इस घटना का मास्टरमाइंड भी था. इस खुलासे से ब्रिटेन के लोग हैरत में हैं.
बदला लेने के लिए बनाया हत्या का प्लान
लॉर्ड माउंटबेटन की हत्या का कबूलनामा करने वाले इस व्यक्ति का नाम माइकल हेस है. ब्रिटिश न्यूज वेबसाइट डेली मेल से बात करते हुए उसने कहा कि अगस्त 1979 में अर्ल लुईस माउंटबेटन की हत्या के पीछे थॉमस मैकमोहन नहीं, बल्कि वह था. हेस ने इसकी वजह भी बताई है. उसका कहना है कि ब्रिटेन के लोग उनके देश पर जबरन कब्जा बनाए हुए थे और उनके लोगों की हत्याएं कर रहे थे. इसीलिए बदला लेने के लिए उन्होंने ही माउंटबेटन को मारने का प्लान बनाया और फिर उसे अंजाम दिया.
अब खुद वृद्ध व्यक्ति (90) हो चुके माइकल हेस ने कहा कि वे IRA की एक बटालियन के कमांडिंग अफसर थे. जबकि थॉमस मैकमोहन उनके जूनियर कमांडर हुआ करते थे. फिलहाल आयरलैंड की राजधानी डबलिन में अकेले रह रहे वाले हेस ने बताया कि लॉर्ड माउंटबेटन उत्तरी आयरलैंड को जबरन ताकत के बल पर इंग्लैंड का हिस्सा बनाना चाहते थे. इस बात का IRA विरोध कर रही थी.
ब्रिटेन को कड़ा मैसेज देना चाहती थी IRA
माइकल हेस ने डेली मेल को बताया कि IRA के कमांडर्स ने सोच-विचार के बाद लॉर्ड माउंटबेटन की हत्या का फैसला लिया, जिससे ब्रिटेन को कड़ा मैसेज दिया जा सके कि वह उत्तरी आयरलैंड पर जबरन कब्जा करने से बाज आए. इसके बाद हत्या का प्लान बनाने और उसे अमलीजामा पहनाने का जिम्मा माइकल हेस को सौंपा गया.
हेस ने कहा, 'मुझे यह टास्क सौंपने की वजह ये थी कि मैं एक ब्लास्ट एक्सपर्ट था और बिना कोई नुकसान उठाए इस मिशन को अंजाम दे सकता था. इसके बाद थॉमस मैकमोहन और IRA के दूसरे मिलिटेंट्स ने खुफिया तरीके से काम करते हुए लॉर्ड माउंटबेटन के मछली पकड़ने वाले जहाज शैडो वी पर 50 पाउंड का बम लगा दिया. इसके बाद अगस्त 1979 में उसमें विस्फोट कर दिया गया.'
हमले में माउंटबेटन समेत 3 लोगों की मौत
इस हमले में लार्ड माउंटबेटन, उनका पोता और एक अन्य किशोर समेत 3 लोग मारे गए थे. इस हत्याकांड में थॉमस मैकमोहन एकमात्र IRA सदस्य थे जिन्हें अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था. उन्हें विस्फोट के दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया था. इस अपराध के लिए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, लेकिन गुड फ्राइडे समझौते की शर्तों के तहत 19 साल की जेल के बाद उन्हें 1998 में रिहा कर दिया गया था.
कभी नहीं चला माइकल हेस पर मुकदमा
इस बम अटैक में माइकल हेस का नाम संदिग्धों की सूची में आया लेकिन उन पर कभी मुकदमा नहीं चलाया गया. हेस कहते हैं, 'मैं ही इस हमले का मेन कमांडर था. मैंने ही अटैक की पूरी योजना बनाई थी और उसे सही तरीके से अंजाम तक पहुंचाया था.' लॉर्ड माउंटबेटन ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के दूसरे चचेरे भाई थे. वे भारत के आखिरी वायसराय भी रहे थे. जब बम विस्फोट हुआ तो वह आयरलैंड के उत्तर-पश्चिमी तट पर डोनेगल खाड़ी में अपने परिवार के साथ दिन बिता रहे थे.