नई दिल्ली. भारत, नार्वे और स्पेन के साईंटिस्टों ने ब्रह्मांड के अत्यंत गूढ़ रहस्यों को पता लगाते हुए बहुत ही महत्वपूर्ण खोज की है. यह खो तब की गई जब अत्यधिक चुंबकीय क्षेत्र वाले न्यूट्रान तारे में विस्फोट हआ जिसे मैग्नेस्टार कहा जाता है. नेचर मैग्जीन में यह खोज प्रकाशित हुई थी. इस खोज में शामिल आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडेय ने अहम भूमिका निभाई है. 


कभी-कभी प्रचंड विस्फोटों के शिकार होते हैं मैग्नेटार 


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मैग्नेटार का द्रव्यमान 20 किलोमीटर के व्यास का होता है, जो पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग पांच लाख गुना अधिक हो सकता है. इस तरह के ब्रह्मांड में अभी तक मात्र 30 ही पिंडों का पता चल पाया है. यह कभी-कभी प्रचंड विस्फोटों के शिकार होते हैं. मैग्नेटार विस्फोट भी ऐसा ही है जो अपने अप्रत्याशित स्वभाव और एक सेकेंड के 10वें हिस्से में होने के कारण बहुत दुर्लभ होते हैं. 


विस्फोट के एक्स्ट्रीम लेवल पर देखे गए कई रहस्य


इस खगोलीय घटना के अध्ययन से विस्फोट के एक्स्ट्रीम लेवल पर देखे गए कई रहस्यों को जाना जा सका है. यह रिसर्च अंडलूसिया शोध संस्थान (आइएए-सीएसआइसी, स्पेन) के वैज्ञानिक प्रो. अल्बर्टो जे कास्त्रो-तिराडो के नेतृत्व में की गई जो इस खगोलीय घटना के उच्चतम ऊर्जा के उन विस्फोटक क्षणों के विभिन्न दोलनों या स्पंदनों को मापने में कामयाब रहे हैं. 


मैग्नेटार का यह विस्फोट 15 अप्रैल 2020 को हुआ था, जो एक सेकंड के लगभग 10वें हिस्से तक ही चला. इससे निकलने वाली ऊर्जा हमारे सूरज द्वारा एक लाख वर्षों में निकली ऊर्जा के बराबर थी. इस शोध से कई स्पदंनों का खुलासा हुआ. पहला स्पंदन लगभग एक सेकेंड के लाखवें हिस्से के बराबर था, जो अन्य ज्ञात चरम विस्फोटों की तुलना में बहुत तेज था. मैग्नेटार हमारे सूर्य की तुलना में एक लाख गुना अधिक चमकदार हो सकते हैं.


मैग्नेटार तारे के चुंबकीय मंडल में एक प्रकार की तरंगें


मैग्नेटार में विस्फोट उनके चुंबकीय मंडल में अस्थिरता के कारण हो सकता है या उनकी ऊपरी सतह के लगभग एक किलोमीटर मोटी एक कठोर और लचीले परत में उत्पन्न एक प्रकार के भूकंप के कारण हो सकता है। मैग्नेटार तारे के चुंबकीय मंडल में एक प्रकार की तरंगें बनती हैं.


भविष्य में आसपास की आकाशगंगाओं में मैग्नेटार तारों की निरंतर निगरानी में मिलेगी मदद 


अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के जरिए यह शोध संभव हो सका. लगभग एक करोड़, 30 लाख प्रकाश वर्ष दूर स्थित स्कल्पटर आकाश गंगाओं के समूह में यह रिसर्च किया गया. यह अध्ययन न्यूट्रान तारों और उसके आसपास चुंबकीय तनाव कैसे उत्पन्न होता है, इसका पता लगाने में महत्वपूर्ण घटक सिद्ध होगा. भविष्य में आसपास की आकाशगंगाओं में मैग्नेटार तारों की निरंतर निगरानी कर इस घटना को समझने में अधिक मदद करेगी. 


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