Brian Dorsey death sentenced: लोकतांत्रिक देशों में जब किसी दोषी को अदालत (Court) द्वारा मौत की सजा सुनाई जाती है तो वह संविधान के तहत राष्ट्रपति को दया याचिका पेश कर सकता है. यहां बात अमेरिका के मिसौरी में 2006 में हुए उस डबल मर्डर के दोषी की जिसे बचाने के लिए 18 साल में दर्जनों क्षमादान याचिकाएं लगाई गईं. चर्च के पादरी से लेकर जेल अफसरों तक ने उसके अच्छे आचरण का हवाला देते हुए उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के लिए अदालतों के चक्कर काटे. लेकिन लगातार मर्सी पिटीशन खारिज होने के बाद आखिरकार कुदरत का इंसाफ हुआ और दोषी डोर्सी को जहरीला इंजेक्शन लगाया गया और उसकी मौत हो गई.


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कजिन की लाश से संबंध बनाने का भी था आरोप


इस हेट स्टोरी में न सिर्फ रिश्तों का कत्ल हुआ बल्कि पूरी मानवता ही शर्मसार हो गई थी. वो साल था 2006 जब ऑरोपी ब्रॉयन डोर्सी एक आम अमेरिकी की तरह खुशहाल जिंदगी जी रहा था. अचानक फिर उसे नशे की लत लग जाती है. अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए डोर्सी जुर्म की दुनिया के लोगों के संपर्क में आता है. उस पर काफी कर्ज बढ़ जाता है. पैसों का तगादा करने वाले एक दिन उसके घर पहुंच जाते हैं. उधारी न चुकाने पर उसे जान से मारने की धमकी दी जाती है. तब वो ऐसा कदम उठा लेता है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. 


दोनों हत्याएं 23 दिसंबर, 2006 की रात को हुईं. क्राइम रिकॉर्ड्स को ट्रैक करने वालों के मुताबिक, कत्ल से कुछ घंटे पहले, डोर्सी ने बहन सारा से मदद मांगने के लिए उसे फोन किया था. दो ड्रग डीलर उसके अपार्टमेंट में थे, उसे कर्ज चुकाने के लिए पैसों की जरूरत थी. डोर्सी कजिन सारा के घर जाता है. वो चचेरी बहन सारा और उसके पति बेंजामिन बोनी की हत्या करके घर में रखा कैश-कीमती चीजें ले जाता है. उस पर कजिन के शव के साथ संबंध बनाने का भी आरोप लगता है. वो चार साल की भांजी को उसके पैरेंट्स के शव के साथ बेडरूम में बंद कर देता है. सबूत न मिलने की वजह से वह कुछ दिन पुलिस के राडार से बच जाता है. सारा के पिता और बेंजामिन का परिवार डोर्सी पर शक जताते हुए उस पर आरोप लगाते हैं. 2008 में उसके खिलाफ कुछ पक्के सबूत मिलते हैं, इसके बाद वो जेल पहुंच जाता है.


18 साल बाद मिली गुनाहों की सजा


कुछ घंटे पहले डोर्सी के वकील और अन्य जूरी की मौजूदगी में दोषी को जहरीला इंजेक्शन लगाया जाता है. फिर शाम 6 बजकर 11 मिनट पर डॉक्टर उसे मृत घोषित कर देते हैं. सारा के परिजनों ने कहा भले ही उनकी चहेती सारा उनसे दूर चली गई लेकिन उन्हें इस बात का संतोष है कि आखिरकार उन्होंने उसे देर से ही सही लेकिन इंसाफ दिलाया.


दया याचिका में क्या लिखा था?


डोर्सी की दया याचिका में तर्क दिया गया कि कैदी को और पश्चाताप करने के लिए दया दिखाने की जरूरत है. उसके वकीलों ने कहा- 'डोर्सी को की गई हत्याओं पर गहरा पश्चाताप था. उसकी क्षमादान याचिका में दावा किया गया कि हत्याएं तब हुईं जब डोर्सी नशीले दवाओं के लेने का आदी था. वो क्रोनिक अवसाद से गठित था. सामान्य स्थितियों में कोई इस तरह से किसी का कत्ल नहीं कर सकता.'


जेल की सेवाओं और अच्छे रिकॉर्ड का हवाला


उनके प्रायश्चित के साक्ष्य के रूप में डोर्सी के वकीलों ने जेल में उसके बेदाग रिकॉर्ड का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'जेल मैनुअल के हर नियम का पालना हुआ. दोषी ने जेल में 11 सालों तक हज्जाम के तौर पर कैदियों, वार्डन और जेल के अन्य कर्मचारियों के बाल काटे. इस तरह उसकी क्षमादान याचिका के लिए 72 लोगों ने गवर्नर के सामने मर्सी पिटीशन फाइल की थी. सबने लिखा कि नशे की हालत में डोर्सी इन हत्याओं को अंजाम दिया. उस समय उनका अपने दिमाग पर कंट्रोल नहीं रहा होगा. ऐसे में उनकी मौत की सजा को आजीवन कैद में बदल देना चाहिए.'


आखिरी नोट में डोर्सी ने क्या लिखा?


52 वर्षीय डोर्सी को उस समय के कानून के हिसाब से फांसी की सजा मिली थी. कोर्ट के इनकार और मिसीरौ के गवर्नर के याचिका ठुकरा देने के बाद नए पैटर्न के तहत डोर्सी को जहरीली सुई लगाई गई. इस तरह डबल मर्डर का मुकदमा अपने अंजाम तक पहुंचा. अपनी फांसी से पहले एक अंतिम लिखित बयान में डोर्सी ने उन सभी चाहने वालों का आभार जताया, जिन्होंने उसकी मौत की सजा को आजीवन कैद में बदलने की वकालत की थी. उसने अपने पीड़ितों के प्रियजनों से माफी भी मांगी थी.