kenya students illness news: अफ्रीकी देश केन्या में एक साथ 95 अधिक स्कूली छात्राओं के बीमार पड़ने के बाद हड़कंप मच गया. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीमारी की वजह तलाशने की कोशिश जारी है. इस बीच स्वास्थ्य विभाग के कुछ लोगों का कहना है कि यह मास हिस्टीरिया हो सकता है वहीं शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों को कहना है कि परीक्षा की डर से इस तरह के मामले सामने आए हैं हालांकि कुछ जानकार इसे पैरालाइजिंग इलनेस का नाम दे रहे हैं. अब तर्क जो भी हो रहस्यमय बीमारी से हर कोई सकते में है. 


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अब तक 95 छात्राओं पर असर


केन्या की स्थानीय मीडिया के मुताबिक राजधानी नैरोबी से करीब 375 किमी दूर मुसोली शहर में  95 छात्राएं इस बीमारी से पीड़ित हैं. स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि एक दिन उन्होंने देखा कि बड़ी संख्या में छात्राओं को चलने फिरने में दिक्कत हो रही है, उनकी शरीर में बुरी तरह से कंपन हो रहा था. डॉक्टरों को भी पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर इस बीमारी के पीछे वजह क्या है. पीड़ित छात्राओं के खून और पेशान के नमूने को लैब में जांच के लिए भेजा गया है. कुछ जानकारों का कहना है कि यह मास हिस्टीरिया के लक्षण हो सकते हैं. 


एग्जाम का डर या वजह कुछ और


शिक्षा से संबंधित अधिकारियों का कहना है कि ऐसा भी संभव है कि इस साल के अंत में होने वाली परीक्षा के डर से ज्यादातर छात्राओं में इस तरह की दिक्कत आ रही है. केन्या के स्वास्थ्य मंत्री सुशन नाखुमिचा का कहना है कि अभी तक सेंट थेरेसा एरगी स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं में से किसी में भी पैथोजेन की पहचान नहीं हुई है. अभी इस संबंध में ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं ताकि रोग के बारे में पहचान हो सके. अभी तक पांच मामलों में रिपोर्ट सामने है और अभी तक उसमें कोई पैथोजेन नहीं मिला है.


बीबीसी ने बताया कि विशेषज्ञों का मानना है कि यह 'सामूहिक उन्माद' का मामला हो सकता है.पश्चिमी क्षेत्र के शिक्षा निदेशक जेरेड ओबिएरो ने डेली नेशन को बताया कि कुछ छात्र अस्वस्थ हो सकते हैं लेकिन अधिकांश  अपनी बीमारी का बहाना कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि फॉर्म तीन के छात्रों की साल के अंत की परीक्षाएं बुधवार से शुरू होनी थीं लेकिन उनमें से कुछ स्कूल कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वे परीक्षा के लिए तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि छात्रों में कुछ लक्षण असली नहीं हो सकते.