Iran News: ईरान का प्रचीन रेगिस्तानी शहर यज्द दुनिया के लिए इंजनीयरिंग चमत्कारों में से एक है. यहां के लोगों ने बिजली की खोज से सदियों पहले प्राकृतिक एयर कंडीशनर बनाना सीख लिया था. इस शहर के सदियों पुराने एडोब घरों में चिमनी जैसी मीनारें हैं, जो पृथ्वी के सबसे गर्म शहरों में से एक में ठंडी हवाएं लाती हैं. इन मीनारों को विंड कैचर या फ़ारसी में बदगीर कहा जाता है. यह इंजीनियरिंग कला का बेहतरीन नमूना है. इस शहर में गर्मियों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104 फ़ारेनहाइट) से अधिक तक पहुंच जाता है.


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ईरान के सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन मंत्रालय के प्रांतीय डिप्टी अब्दोलमाजिद शकेरी ने कहा, ‘सदियों से, हमारे पास बिजली होने से पहले, बदगीरों घरों को ठंडा करना संभव बना दिया था.’


शहर के 700  हवा पकड़ने वाली मीनारों यानी बदगीरों में सबसे पुराना 14वीं शताब्दी का है, लेकिन इसका इतिहास 2,500 साल पहले से माना जाता है जब फ़ारसी साम्राज्य ने मध्य पूर्व के अधिकांश हिस्से पर शासन किया था.


शकेरी ने उस रेगिस्तानी शहर के बारे में कहा, जो प्राचीन सिल्क रोड पर एक कारवां पड़ाव था, ‘बदगीरों ने शहर की समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.’ उन्होंने बताया कि कैसे बदगीर ताजी हवा को इमारतों में खींचते हैं और गर्म हवा को बड़े वर्टिकल स्लॉट के माध्यम से बाहर निकलने निकाल देते हैं.


सबसे ऊंचा बदगीर 100 फुट ऊंचा
इस शहर के दौलताबाद गार्डन में 33 मीटर (100 फुट) ऊंचा बदगीर है - जो दुनिया के सबसे ऊंचे विंड कैचर में से एक है. यहां के प्रमुख माजिद ओलौमी, ठंडक लाने की इस प्राचीन विधि को ‘पूरी तरह से स्वच्छ’ बताया इसमें क्योंकि यह न तो बिजली और न ही प्रदूषणकारी सामग्री का इस्तेमाल होता है.


यूनेस्को ने 2017 में यज़्द को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया और शहर को ‘जीवित रहने के लिए रेगिस्तान में सीमित उपलब्ध संसाधनों के बुद्धिमान उपयोग का जीवंत प्रमाण’ बताया.


पेरिस स्थित वास्तुकार रोलैंड देहघन कामराजी, जिन्होंने ईरान के बदगीरों का अध्ययन किया है, ने कहा, ‘बदगीर बताते हैं कि सादगी स्थिरता के लिए एक आवश्यक गुण हो सकती है.‘. उन्होंने कहा, ‘यह आम ग़लतफ़हमी के ख़िलाफ़ है कि टिकाऊ समाधानों को जटिल या उच्च तकनीक वाला होना चाहिए.’


भूमिगत जल नेटवर्क
यज़्द की एक और स्थायी वास्तुशिल्प विशेषता इसकी भूमिगत जलसेतुओं की प्रणाली है जिसे क़ानाट कहा जाता है, जो भूमिगत कुओं या पहाड़ों से पानी पहुंचाती है.


जल प्रणाली के विशेषज्ञ ज़ोहरे मोंटेज़र ने कहा, ‘इन भूमिगत जलसेतुओं की बहुत उपयोगिता है.  ये पानी की आपूर्ति का एक स्रोत बनते हैं और आवासों को ठंडा करना और भोजन को एक आदर्श तापमान पर संरक्षित करना संभव बनाते हैं.’ यह जल नेटवर्क यज़्द में 70 किलोमीटर तक फैला है, और लगभग 30 मीटर की गहराई तक जाता है.


अनुमान है कि ईरान में आज लगभग 33,000 क़नात कार्यरत हैं, जो 20वीं शताब्दी के मध्य में उपयोग में आने वाले 50,000 क़ानाट से एक महत्वपूर्ण गिरावट है. यूनेस्को का कहना है कि क़ानात में गिरावट आंशिक रूप से अत्यधिक खपत के कारण भूमिगत जल स्रोतों के सूखने से प्रेरित है.


ईरानी अधिकारियों ने हाल के वर्षों में ज़ारच के क़ानात के पुनर्वास की मांग की है - जिसे लगभग 3,000 साल पहले का सबसे लंबा और सबसे पुराना माना जाता है. मोंटेज़र ने कहा, ‘जिस दिन जीवाश्म ईंधन ख़त्म हो जाएगा, हमें इन तरीकों की ओर लौटना होगा.’


फोटो साभार:; whc.unesco.org