काठमांडो : भारत और 33 अन्य देशों की बचाव टीमों को नेपाल ने वापस जाने को कहा है क्योंकि यह विनाशकारी भूकंप से बेघर हुए लाखों पीड़ितों के पुनर्वास के लिए बड़ा अभियान शुरू करने वाला है। इस त्रासदी में 41 भारतीयों सहित कम से कम 7, 365 लोगों की जानें गई हैं। यह फैसला भारत के राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) पर भी लागू होगा जिसकी नेपाल में सबसे बड़ी मौजूदगी है।


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सोशल मीडिया पर नयी दिल्ली की सहायता कोशिशों को भारतीय मीडिया द्वारा महिमामंडित किए जाने की नेपालियों द्वारा आलोचना किए जाने के बाद यह फैसला किया गया है। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने देशों से अपनी ‘फर्स्ट रिस्पांस’ टीमों को हटाने को कहा है क्योंकि अब बचाव कार्य की बजाय राहत पर जोर होगा। मंत्रालय ने कहा, जैसा कि, नेपाल ने 34 देशों को अपनी बचाव टीमें वापस बुलाने को कहा है। उन्हें अब मलबा हटाने वाले उपकरणों की जरूरत है और भारत से मदद मांगी है, एक आर्मी इंजीनियरिंग टीम आएगी।


जापान, तुर्की, यूक्रेन, ब्रिटेन और हालैंड की टीमों ने नेपाल छोड़ने का काम पहले ही शुरू कर दिया है। एनडीआरएफ प्रमुख ओपी सिंह ने कहा कि विदेशी बचाव टीमों को नेपाल सरकार द्वारा जाने को कहने के पीछे वजह यह है कि तलाश अभियान खत्म होने को है और मलबे से जीवित बचे लोगों के मिलने की बहुत कम संभावना है।


उन्होंने कहा, इसे ध्यान में रखते हुए हम नेपाल से हट रहे हैं और हम अपने सैनिकों को वापस भेज रहे हैं। नेपाल में 80 साल में सबसे भीषण त्रासदी के बाद करीब 4,500 विदेशी कार्यकर्ता पहुंचे थे। व्यापक तबाही से नेपाल की करीब 2. 8 करोड़ आबादी प्रभावित हुई है और बचावकर्मियों की रवानगी होने पर शेष राहत कार्य और पुनर्वास के जरिए संकट से निपटने में देश की क्षमताओं की जांच होगी।


वहीं, 25 अप्रैल को आए 7. 9 की तीव्रता वाले भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 7,365 हो गई है जबकि घायलों की संख्या 14,355 पहुंच गई है। नेपाल पुलिस ने कहा है कि भूकंप में मारे गए भारतीयों की संख्या 41 हो गई है जो 57 विदेशी नागरिकों में शामिल हैं। कम से कम 10 भारतीय भी घायलों में शामिल हैं। एवरेस्ट फतह करने वाले भारत के सबसे युवा अरूण वाजपेयी को भी मकालू आधार शिविर से निकाल लिया गया है और काठमांडो ले जाया गया है। वाजपेयी को नेपाल सेना की टीम ने पर्वतीय इलाके से निकाला।


प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने भी चौतारा इलाके का आज निरीक्षण किया जो कि सर्वाधिक प्रभावित जिलों में शामिल सिंधुपालचौक में है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि पीड़ितों को बचाने और पुनर्वास की कोशिशों में कोई कसर नहीं छोड़ें। कोइराला ने कहा, हमारा देश आपदा प्रबंधन में तकनीकी रूप से सुसज्जित नहीं है फिर भी मैंने अधिकारियों से अपनी क्षमता के मुताबिक कोई कसर नहीं छोड़ने को कहा हैं


अधिकारियों ने बताया कि भूकंप के चलते हुए हिमस्खलन में पर्वतारोहियों और ग्रामीणों के करीब 100 शव दफन पाए गए हैं। राष्ट्रीय भूकंपविज्ञान केंद्र (एनएससी) के मुताबिक नेपाल में आज भूकंप के सात हल्के झटके महसूस किए गए जिनमें एक झटके की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4. 6 थी जिसका केंद्र सिंधुपालचौक में था।


रिक्टर पैमाने पर पांच की तीव्रता से कम के भूकंप के जो छह अन्य झटके महसूस किए गए उनका केंद्र दोलखा, गोरखा और नुवाकोट जिलों में थे जिससे लोग सहम गए। उनमें से ज्यादातर लोग खराब मौसम का सामना करते हुए और भोजन एवं पानी की कमी के बीच खुले में रह रहे हैं। हालांकि, भूकंप से किसी के घायल होने या कोई तबाही होने की सूचना नहीं है।


एनएससी के एक अधिकारी के मुताबिक नेपाल में 25 अप्रैल को आए जबरदस्त भूकंप के बाद से रिक्टर पैमाने पर चार से अधिक तीव्रता के 138 झटके आए हैं। अधिकारियों ने पूर्वानुमान लगाया है कि ये हल्के झटके एक महीने से अधिक समय तक दर्ज किए जाएंगे। एक सवाल के जवाब में कोइराला ने कहा कि कोई नेपाली राहत सामग्री की पहुंच से दूर नहीं है।


उन्होंने बताया, वह घर जहां मैं रहता हूं उसकी दीवारें पूरी तरह से दरक गई हैं। आप आ सकते हैं और देख सकते हैं। भूकंप से हुए हादसों को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कैबिनेट ने केंद्रीय आपदा राहत समिति की कल की सिफारिश को मंजूरी दे दी और विदेशी बचावकर्मियों से देश छोड़ने को कहा।


गृह मंत्रालय के अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद ढकाल ने बताया, केंद्रीय प्राकृतिक आपदा राहत समिति ने नेपाल की मदद में किए गए काम के लिए इन टीमों का शुक्रिया अदा करने को कहा है ताकि वे देश से जा सकें। अब इसकी अपील करना सरकार के उपर है। अंतरराष्ट्रीय तलाश एवं बचाव समूह (इनस्राग) के दिशानिर्देशों के मुताबिक तलाश एवं बचाव टीमें सात दिनों तक अपना काम करेंगी, जब जीवित बचे लोगों की सर्वाधिक संभावना होती है। शेष तलाश एवं बचाव कार्य अब नेपाल सेना और पुलिस करेगी।


सबसे अधिक संख्या में मौतें सिंधुपालचौक में दर्ज की गई जहां मृतकों की संख्या फिलहाल 2, 838 पहुंच गई है जबकि काठमांडो में मृतकों की संख्या बढ़कर 1,202 हो गई है। करीब 1,91,058 मकान और 10,744 सरकारी भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 1934 में आए भूकंप की तुलना में नुकसान पहुंचे मकानों की संख्या दोगुनी से अधिक है। मानवीय सहायता एवं संकट प्रबंध के लिए यूरोपीय संघ के आयुक्त क्रिश्टोस स्टाइलियांडर्स ने कहा कि इतनी बड़ी त्रासदी दुनिया में किसी भी सरकार की क्षमताओं की जांच करेगा।


वित्त मंत्री राम शरन महत ने कहा है कि देश में मृतकों की संख्या काफी अधिक बढ़ने की उम्मीद है। कोइराला पहले ही इस संख्या के 15,000 के छूने की बात कह चुके हैं। भारतीय दूतावास स्थित सूत्रों के मुताबिक इस बीच, गोरखा जिले में एक दूर दराज के गांव से 22 बौद्ध भिक्षुओं को भारतीय वायुसेना की एक टीम ने निकाल लिया।


संयुक्त राष्ट्र ने नेपाल से सीमाशुल्क नियंत्रण में ढील देने को कहा है जिसके बारे में इसने कहा है कि यह दुनिया भर के देशों से आने वाली सहायता सामग्री को जीवित लोगों तक पहुंचने से रोक रहा है। ढकाल ने कहा है कि विदेश से आने वाले सारे सामान का निरीक्षण होगा।