Israel-Lebanon War: इजरायल सिर्फ गाजा ही नहीं लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर भी कहर बरपा रहा है. इधर हमास को मिटाने की कसम खाकर बैठा इजरायल हिजबुल्लाह का भी द एंड करने की प्लानिंग कर चुका है. लेकिन इस बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका की अगुआई वाले सीजफायर प्लान को लेकर की गई गलत रिपोर्टिंग के कारण कुछ चीजें स्पष्ट करने की जरूरत बताई है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अमेरिका चाहता है सीजफायर


शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर नेतन्याहू के कार्यालय ने लिखा, 'इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिका ने इजरायल के साथ अन्य अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय साझेदारों के साथ मिलकर लेबनान में युद्ध विराम का प्रस्ताव रखने की अपनी मंशा साझा की.'


बयान में कहा गया, 'इजराइल, अमेरिका की अगुआई वाली इस पहल के मकसदों से सहमत है, जिसके तहत हमारी उत्तरी सीमा पर रहने वाले लोगों को सुरक्षित और सुरक्षित तरीके से उनके घरों में वापस लौटने में सक्षम बनाया जाएगा. इजराइल इस मामले में अमेरिका की कोशिशों की तारीफ करता है, क्योंकि इस क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ाने में अमेरिका की भूमिका बहुत जरूरी है.'


अमेरिका-इजरायल के बीच हुई बैठक


नेतन्याहू के दफ्तर ने कहा कि दोनों पक्ष (अमेरिका और इजरायल) ने गुरुवार को बैठक की थी और इस बात पर वार्ता हुई कि लोग अपने घरों तक वापस जल्दी कैसे लौटें. 


इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इजरायल के स्ट्रैटजिक अफेयर मंत्री रॉन डेरमर से न्यूयॉर्क में सीजफायर को लेकर बातचीत की. मंत्रालय ने प्रेस रिलीज में कहा, 'विदेश मंत्री ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यूनाइटेड किंगडम, कतर की तरफ से इजरायल-लेबनान बॉर्डर पर 21 दिन के सीजफायर के प्रस्ताव पर जल्द पहुंचने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि सीमा के दोनों ओर के नागरिक अपने घर सुरक्षित लौट सकें.'


'जंग आगे बढ़ी तो लोगों के लिए होगी मुश्किल'


विदेश मंत्रालय के मुताबिक, एंटनी ब्लिंकन ने इजरायली मंत्री से कहा कि अगर लेबनान के साथ जंग और आगे बढ़ी तो इससे नागरिकों के घर लौटने में मुश्किलें खड़ी हो जाएगी. 


बयान में कहा गया, 'ब्लिंकन ने गाजा में युद्ध विराम के लिए चल रही कोशिशों पर भी चर्चा की, जिससे बंधकों की रिहाई सुनिश्चित हो सकेगी, फिलिस्तीनी लोगों की पीड़ा कम हो सकेगी और युद्ध की समाप्ति के लिए परिस्थितियां तैयार हो सकेंगी और इस बात पर जोर दिया कि सभी पक्षों को समझौते पर पहुंचने के लिए जरूरी फैसले लेने होंगे.'