लंदन: दुनियाभर में कई तरह की गंभीर बीमारियां हैं और उनमें से कइयों का इलाज काफी महंगा है. ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ने एक ऐसी ही गंभीर बीमारी को ठीक करने के लिए दुनिया की सबसे महंगी दवा को मंजूरी दी है. एनएसएस ने जोलजेन्स्मा (Zolgensma) नाम की दवा को मंजूरी दी है, जिसकी एक खुराक की कीमत 18 करोड़ रुपये से ज्यादा है. इससे पहले अमेरिका ने इस्तेमाल की मंजूरी दी थी.


इस गंभीर बीमारी में होता है इस्तेमाल


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Theguardian की रिपोर्ट के अनुसार जोलजेन्स्मा (Zolgensma) का इस्तेमाल बच्चों की गंभीर बीमारी स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy - SMA) के इलाज में किया जाता है. एसएमए बहुत ही दुर्लभ बीमारी है और यह शरीर में एसएमएन-1 जीन की कमी से होती है. इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के सीने की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है.


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ब्रिटेन में हैं सबसे ज्यादा मामले


स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी (SMA) के सबसे ज्यादा मामले ब्रिटेन में हैं और इस बीमारी से ज्यादातर बच्चे पीड़ित होते हैं. इंग्लैंड में हर साल करीब 80 बच्चे इस गंभीर बीमारी के साथ पैदा होते हैं. अगर समय पर इसका इलाज ना किया जाए तो बाद में दिक्कत बढ़ने से मरीजों की मौत भी हो जाती है.


18.11 करोड़ रुपये है दवा की कीमत


जोलजेन्स्मा (Zolgensma) को दुनिया की प्रसिद्ध दवा कंपनी नोवार्टिस (Novartis) ने बनाया है, जिसकी कीमत 1.79 मिलियन पाउंड यानी 18.11 करोड़ रुपये है. एनएसएस इंग्लैंड (NHS England) ने अपने बयान में कहा कि नोवार्टिस जीन थैरेपी द्वारा निर्मित जोलजेन्स्मा दुनिया की सबसे महंगी दवा हो सकती है.