China Weapons In Bangladesh: बांग्लादेश की सेना आजकल दुश्मनों से नहीं, अपने ही हथियारों से जूझ रही है. वही हथियार जो चीन उसे दशकों से बेच रहा है. बांग्लादेशी सेना की शिकायत है कि चीन ने उसे खराब मिलिट्री हार्डवेयर बेचा. लड़ाकू विमान ठीक से फायर नहीं करते, रडार भी बेकार हो रखे हैं. चीन से जो स्पेयर पार्ट्स भेजे गए, उनकी क्वालिटी भी घटिया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की - आर्मी, नेवी और एयरफोर्स - तीनों तरह की सेनाओं को ऐसी परेशानी उठानी पड़ रही है.


बांग्लादेश की सेना, नौसेना और वायुसेना सब हैं परेशान


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बांग्लादेश ने हाल ही में चीनी कंपनियों पर फॉल्टी स्पेयर पार्ट्स सप्लाई करने का आरोप लगाया है. ये पार्ट्स कोरवेट, पेट्रोल क्राफ्ट और तटवर्ती गश्ती वाहनों के लिए भेजे गए थे. रिपोर्ट के अनुसार, नावों में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट्स के साथ-साथ तकनीकी दिक्कतें भी आ रही हैं. बांग्लादेश की वायु सेना भी चीनी F-7 लड़ाकू विमानों से आजिज आ चुकी है. इन जेट्स में तकनीकी खामियां भरी पड़ी हैं. कम दूरी के एयर डिफेंस सिस्टम में भी गड़बड़ी है.


एयरफोर्स के मुताबिक, चीन में बने K-8W एयरक्राफ्ट में डिलीवरी के कुछ दिन बाद ही गोले दागने में परेशानी आने लगी. चीन से सप्लाई हुए हवाई इंटरसेप्शन रडार भी ठीक से काम नहीं कर रहे. बांग्लादेश के लड़ाकू विमानों में लगे चीनी रडार भी सटीक मानकों पर खरे नहीं उतरते.


बांग्लादेश की थल सेना ने चीन के नॉर्थ इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन (NORINCO) से मेन बैटल टैंक्स (MBT 2000 ) मंगाए थे . खबर है कि NORINCO को इन टैंकों की रिपेयरिंग और मेंटेनेंस के लिए पार्ट्स सप्लाई करने में दिक्कत हो रही है.


नेवी की भी अपनी परेशानियां हैं. चीन में बने दो फ्रिगेट (BNS उमर फारूक और BNS अबू उबैदा) में कई खामियां पाई गईं. चीनी कंपनियों ने इन्हें ठीक करने के लिए अतिरिक्त रकम की मांग की है.


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करीब एक दशक पहले, चीन ने दो रीफर्बिश्‍ड मिंग-क्लास पनडुब्बियां बांग्लादेश को बेची थीं. हर एक पनडुब्बी के लिए 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा अदा किए गए थे. बाद में बांग्लादेश को पता लगा कि ये पनडुब्बियां चलन से बाहर हो चुकी थीं. पिछले साल, जब नेवी ने शिकायत की कि 'BNS निर्मूल' युद्धपोत पर लगा C704 सिस्टम काम नहीं कर रहा तो चीनी कंपनी ने सिस्टम अपग्रेड करने के लिए एक्स्ट्रा पैसे मांगे.


चाइना का माल है! क्वालिटी की कोई गारंटी नहीं


चीनी माल की घटिया क्वालिटी से केवल बांग्लादेश ही परेशान नहीं, म्यांमार की एयरफोर्स भी तंग है. उसे भी चीनी लड़ाकू विमानों में खराबी से जूझना पड़ रहा है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन के पास अब भी हाई क्वालिटी के मिलिट्री हार्डवेयर  बनाने की क्षमता नहीं है. चीन जो हथियार बेचता है, उनमें से अधिकतर दोयम दर्ज के या चलन से बाहर हो चुकी तकनीक पर आधारित होते हैं. गरीब देश चीन से हथियार खरीदते हैं क्योंकि वे सस्ते पड़ते हैं.