China Reaction Pakistani Iran Attack: पाकिस्तान और ईरान के बीच वार-पलटवार पिछले लगभग 48 घंटों से चल रहा है. पाकिस्तान ने आज सुबह ईरान की सीमा में बलूच लिबरेशन आर्मी के ठिकानों पर हवाई हमले किये हैं. ईरान ने आज तेहरान में पाकिस्तान के सीनियर राजनयिक को समन किया. ईरान की मीडिया का दावा है कि पाकिस्तानी हमले में 9 लोगों की मौत हुई है. अपने 'इस्लामी बिरादर' के साथ अचानक बढ़ी इस तनातनी से वहां की आम जनता समेत पाकिस्तान की सरकार- सेना परेशान है. उसे सबसे ज्यादा झटका 'आयरन फ्रेंड' चीन के रुख से लगा है, जिसने पाकिस्तान पर हुए हमले पर आलोचना करना तो दूर, उसे संयम बरतने के लिए और कह दिया है. 


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पाकिस्तान अटैक में मारे गए 7 ईरानी


पाकिस्तान ने आज सुबह ईरान की सीमा में बलूच लिबरेशन आर्मी के ठिकानों पर हवाई हमले किये हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है. ऐसे दावे किये गये हैं कि ईरान में हुए हमलों में 7 विदेशियों की मौत हुई है जिसमें 3 महिलाएं और 4 बच्चे हैं. ईरान की मेहर न्यूज एजेंसी का दावा है. ईरान की मेहर एजेंसी का दावा है कि ड्रोन से ईरान पर हमला किया गया. 


 ईरान में हुए ऑपरेशन को पाक वायुसेना ने 'मर्ग बर सरमाचर' का नाम दिया. इसका मतलब 'विद्रोहियों को मौत' है. सरमाचर का मतलब विद्रोही होता है. पाकिस्तान के इस नाम को देने की वजह विदेश मंत्रालय के बयान में ही छुपी है. बयान में कहा गया है कि पाकिस्तानी मूल के ये आतंकी खुद को सरमाचर्स (यानी बागी या विद्रोही) कहते हैं और ईरान की धरती से अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं. ये लगातार पाकिस्तान में बेगुनाहों का खून बहाते रहे हैं. ऐसे में पाक सेना ने ऑपरेशन को ये नाम दिया, जिसका आम भाषा में मतलब है- विद्रोहियों को मारने का ऑपरेशन.


बलूचिस्तान के नाम पर किया हमला


बड़ी बात ये है कि जिस बलूच मूवमेंट को कुचलने की कोशिश पाकिस्तानी सेना कर रही है, उसी बलूचिस्तान का नाम लेकर हमला किया गया है. पाकिस्तान दुनिया का अकेला देश है, जिसने 1980-1988 के ईरान-इराक युद्ध के बाद ईरान पर हमला किया है. वही ईरान भी दुनिया के उन कुछ गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है. जिसने एक परमाणु शक्ति पर हमला किया और उसपर जवाबी हमला कुछ खास नहीं हुआ.


पाकिस्तान-ईरान के बीच एक-दूसरे पर हमलों को लेकर कई देशों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. अमेरिका ने कहा कि इस मसले को शांतिपूर्वक हल किया जा सकता है. चीन ने बयान जारी करके कहा कि वो पाकिस्तान और ईरान के बीच जारी तनाव से बहुत ज्यादा चिंतित है. पर भारत के बयान को सुनकर पाकिस्तान की सेना और सरकार टेंशन में आ गई. भारत ने कहा कि वह आत्म रक्षा में किए हमले के औचित्य को समझती है. यह एक तरह से भारत का ईरानी अटैक का मूक समर्थन था, जिसने पाकिस्तान की प्रभुसत्ता की धज्जियां उड़ा दी.


संकट में 'आयरन फ्रेंड' दे गया धोखा


पाकिस्तानी हुक्मरानों को इस बात भी जबरदस्त झटका लगा कि जिस चीन को वहां के नेता और मिलिट्री जनरल अपना आयरन फ्रेंड कहते हुए नहीं अघाते थे, वही ईरानी अटैक पर चुप्पी साध गया. यह बात तब है, जब पाकिस्तान अपने अधिकतर हथियार और उपकरण चीन से ही खरीदता है. देश को हवाई खतरे से बचाने के लिए उसने चीन से ही खरीदे हुए HQ9 रेडार लगा रखे हैं. लेकिन भारत की बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद अब ईरान की मिसाइल स्ट्राइक में ये रेडार कबाड़ साबित हुए और पाकिस्तान को हमले की भनक तक नहीं लग पाई.


अपने हथियार के नाकारापन को स्वीकार करने और ईरानी अटैक की आलोचना करने के बजाय चीन ने बयान जारी करके कहा कि दोनों देश संयम बरतें. ऐसा कहकर उसने एक प्रकार से पाकिस्तान के जवाबी हमले के अधिकार को ही नकार दिया. 


चीन के सामने बढ़ा संकट


इस घटनाक्रम का चीन का असमंजस इस वजह से भी बढ़ा है कि पाकिस्तान उसका करीबी मित्र है जबकि ईरान ने हाल के वर्षों में पश्चिम एशिया क्षेत्र में चीन को अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद की है. चीन, ईरान से भी काफी मात्रा में तेल का भी आयात करता है. 


चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने प्रेस वार्ता में कहा, ‘क्या आप कह रहे हैं पाकिस्तान ने ईरान पर हमले किए? मैं इससे अवगत नहीं हूं. लेकिन हम इस पर गौर कर रहे हैं और चीन का हमेशा से मानना रहा है कि देशों के बीच संबंधों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों के आधार पर संभाला जाना चाहिए.’


'दोनों देश बरतें संयम'


उन्होंने कहा कि सभी देशों की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और सुरक्षा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘ईरान और पाकिस्तान करीबी पड़ोसी और प्रभाव रखने वाले देश हैं. हमें उम्मीद है कि दोनों पक्ष संयम और शांति बरतेंगे तथा तनाव बढ़ाने से दूर रहेंगे. अगर जरूरत पड़ी तो हम स्थिति को सामान्य करने में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं.’


'चीन की मध्यस्थता हो सकती है कठिन'


पाकिस्तान के एक पत्रकार की ओर से पूछे जाने पर कि क्या चीन, सुन्नी चरमपंथी समूह जैश-अल-अदल के एक शिविर पर ईरान के हवाई हमले को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों एवं अंतराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन मानता है, माओ ने कहा, ‘मैंने अभी-अभी चीन का रुख जाहिर किया है.’ उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि दोनों पक्ष अपने विवादों का हल परामर्श और वार्ता के जरिए करेंगे. चीन की मध्यस्थता की पेशकश एक कठिन राह हो सकती है क्योंकि सुन्नी बहुल देश पाकिस्तान और मुख्य रूप से शिया बहुल ईरान के बीच अच्छे संबंध नहीं हैं.