SCO Summit in Pakistan: पाकिस्तान के अंदरूनी हालात इस समय ठीक नहीं हैं. कई जगहों पर हिंसा की खबरें हैं. ऐसे में पड़ोसी मुल्क शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. विदेशी प्रतिनिधिमंडल पहुंचने भी लगे हैं. भारत से चार सदस्यीय आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल वहां पहुंच गया है. विदेश मंत्री जयशंकर भी अगले कुछ घंटों में पाकिस्तान पहुंचने वाले हैं. हालात की गंभीरता और आंतरिक उथल-पुथल को देखते हुए इस्लामाबाद में सेना की तैनाती की गई है.



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भारत-पाक में चर्चा नहीं


वैसे, जयशंकर भले ही पाकिस्तान जा रहे हों लेकिन उनके दौरे से दोनों देशों के रिश्ते बेहतर होने की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं है. भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि यह दौरा एक बहुपक्षीय कार्यक्रम के लिए है. विदेश मंत्री भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर चर्चा करने के लिए नहीं जा रहे हैं. जयशंकर ने खुद कहा कि वह एससीओ के एक अच्छे सदस्य के तौर पर पाकिस्तान जा रहे हैं. उनका यह बयान कुछ-कुछ पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की तरह है जो एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए मई 2023 में गोवा आए थे.


दूसरी तरफ पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. कश्मीर का मुद्दा उठाने के साथ ही वह अपने देश की अस्थिरता के लिए भारत पर आरोप लगा रहा है.


रूस, चीन और ईरान भी आए


‘जियो न्यूज’ ने हवाई अड्डे के सूत्रों के हवाले से बताया है कि रूस का 76 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और SCO के सात प्रतिनिधि पाकिस्तान पहुंचे हैं. चीन से 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, किर्गिस्तान से चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और ईरान से दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी इस्लामाबाद पहुंचा है.


एससीओ के सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों की 23वीं बैठक 15 और 16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होगी जिसके लिए अधिकारियों ने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए हैं. इस्लामाबाद के पुलिस महानिरीक्षक नासिर अली रिजवी ने बताया है कि राजधानी में होने वाले महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन से पहले व्यापक सुरक्षा योजना तैयार की गई है. सुरक्षा कर्मियों को होटलों और उन स्थानों पर तैनात किया गया है जहां विदेशी प्रतिनिधिमंडल ठहरा है. उन्होंने कहा कि वे विदेशी नेताओं, प्रतिनिधिमंडलों और मेहमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे.


तलाशी और रेड चल रही


रिजवी ने बताया कि तलाशी और सूचना-आधारित अभियान चलाए जा रहे हैं और पाकिस्तानी सेना, खुफिया एजेंसियां, फ्रंटियर कोर और रेंजर्स के कर्मियों को तैनात किया गया है. पुलिस प्रमुख ने बताया कि सुरक्षा के लिए पुलिस बल के 9,000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया गया है और नागरिकों की सुविधा के लिए एक एकीकृत यातायात योजना भी जारी की गई है. सरकार ने किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए राजधानी में पहले ही सेना को तैनात कर दिया है और इस्लामाबाद, पड़ोसी रावलपिंडी और कुछ अन्य शहरों में हर प्रकार के विरोध प्रदर्शनों और रैलियों पर प्रतिबंध लगाया गया है.



एक आधिकारिक बयान के अनुसार, चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग, रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन और विदेश मंत्री एस जयशंकर इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले क्षेत्र के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों में शामिल होंगे.


इमरान की पार्टी ने दी है धमकी


हालांकि ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ पार्टी ने जेल में बंद अपने नेता इमरान खान पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ 15 अक्टूबर को विरोध प्रदर्शन करने की धमकी दी है और मांग की है कि सरकार उन्हें अपने परिवार, कानूनी टीम और चिकित्सक से मिलने की अनुमति दे.



असद कैसर, हामिद खान और रऊफ हसन उन नेताओं में से हैं जो मानते हैं कि इस तरह का विरोध प्रदर्शन करना पाकिस्तान के हित में नहीं है। अली मोहम्मद खान पीटीआई की राजनीतिक समिति का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन वह भी 15 अक्टूबर को विरोध प्रदर्शन करने के आह्वान से नाखुश हैं.


पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि देश एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए पूरी तरह तैयार है. उन्होंने इस्लामाबाद में कार्यक्रम की व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान मीडिया से कहा, ‘हम भारतीय विदेश मंत्री सहित शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए तैयार हैं.’


कई साल बाद ऐसा मौका


उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कई वर्षों के बाद किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है और वह अपनी जिम्मेदारियों को बेहतरीन तरीके से निभाएगा. डार ने कहा कि चीनी प्रधानमंत्री अपने पाकिस्तानी समकक्ष के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे. उन्होंने कहा कि भारत ने द्विपक्षीय बैठक के लिए कोई अनुरोध नहीं किया है. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का नाम लिए बिना डार ने विरोध प्रदर्शन का आह्वान करके शिखर सम्मेलन को विफल करने की कोशिश करने के लिए पार्टी की आलोचना की.


डार ने कहा, ‘राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण आयोजनों के दौरान विरोध प्रदर्शन सकारात्मक संदेश नहीं देते.’ 2001 में स्थापित एससीओ का उद्देश्य क्षेत्र में राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है. एससीओ में पाकिस्तान, चीन, भारत, रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस शामिल हैं और 16 अन्य देश पर्यवेक्षक या ‘वार्ता साझेदार’ के रूप में संबद्ध हैं. (भाषा और एजेंसी इनपुट के साथ)