Shaksgam Valley में हरकत के पीछे 5 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट का है कनेक्शन? क्या है चीन का मकसद
Shaksgam Valley CPEC: शक्सगाम घाटी में चीन की हरकत पर भारत ने करारा जवाब दिया है. आइए समझते हैं कि शक्सगाम घाटी में चीन सड़क क्यों बना रहा है.
Shaksgam Valley Controversy: चीन (China) भारत का ऐसा पड़ोसी देश है जिसने धोखेबाजी करने की कसम खाई है. जिसे भारत के साथ रिश्ते सुधारने की चिंता तो है लेकिन चोरी-छिपे वो भारत के खिलाफ कोई ना कोई बड़ी हरकत करता रहता है. ऐसा ही उसने शक्सगाम घाटी में करने की कोशिश की है. लेकिन भारत ने उसकी चोरी पड़ ली है और कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए साफ कर दिया कि शक्सगाम घाटी भारत की है. इसे देखना भी मत. चीन यहां पर चोरी-छिपे अवैध निर्माण की कोशिश कर रहा था.चीन को अब समझ में आ गया है कि उसकी चालबाजी के नए रिकॉर्ड नहीं बन पाएंगे. इस बीच, चीन के 5 लाख करोड़ रुपये वाले प्रोजेक्ट की भी चर्चा हो रही है. आइए जानते हैं कि चीन का असली मकसद क्या है.
हरकत से क्यों बाज नहीं आ रहा चीन?
जान लें कि शक्सगाम घाटी, सियाचिन और उसके आसपास का इलाका है. सियाचिन के पास चीन की चालबाजी पर पैनी नजर रखते हुए भारत को अहम जानकारी मिली है. सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि सीमा से लगे शक्सगाम घाटी में चीन ने अवैध निर्माण शुरू किया है. चीन को लगा भारत को इसका पता ही नहीं चलेगा लेकिन भारत ने शक्सगाम घाटी में चीन की चोरी पकड़ ली है. भारत ने चीन को कायदे से समझा दिया कि शक्सगाम घाटी भारत का अभिन्न हिस्सा है.
रणनीतिक तौर पर अहम है शक्सगाम घाटी
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि शक्सगाम घाटी भारत का अभिन्न हिस्सा है. नई दिल्ली ने 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते को कभी स्वीकार नहीं किया, जिसे इस्लामाबाद ने गैरकानूनी तरीके से बीजिंग को सौंपने की कोशिश की थी. चीन सियाचिन ग्लेशियर के पास अवैध तरीके से इस घाटी में सड़क बना रहा है. भारत ने चीन को ये भी साफ कहा है कि उसकी चालबाजी बंद नहीं हुई तो भारत भी चुप नहीं बैठेगा. आपको बता दें कि शक्सगाम घाटी रणनीति रूप से भारत का अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है.
चीन का असली मकसद क्या है?
गौरतलब है कि शक्सगाम घाटी के 5,180 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को पाकिस्तान ने 1963 में एक समझौते के तहत गैरकानूनी तरीके से चीन को दे दिया था. 1963 का साइनो-पाकिस्तान बॉर्डर एग्रीमेंट हुआ था. इस समझौते को चीन-पाकिस्तान सीमा समझौता भी कहा जाता है. चीन का मकसद शक्सगाम घाटी पर रोड बनाकर सीपेक (CPEC) कोरिडोर से ग्वादर पोर्ट तक सीधी पहुंच बनाना है. चीन के CPEC प्रोजेक्ट की कॉस्ट 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. भारत बीते 6 दशक से लद्दाख में भारतीय इलाके की 38,000 वर्ग किमी जमीन पर चीन के अवैध कब्जे का विरोध भी करता रहा है.
सैटेलाइट इमेज से हुआ खुलासा
आपको बता दें कि शक्सगाम घाटी, जम्मू-कश्मीर में एक खूबसूरत सी जगह है. भारत का स्विट्जरलैंड मानी जाने वाली इस घाटी को ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट भी कहा जाता है. चीन, सियाचिन ग्लेशियर के पास अवैध तरीके से PoK स्थित इस घाटी में सड़क बना रहा है. सैटेलाइट इमेज से इसका खुलासा हुआ है. आपको बता दें कि 1948 के युद्ध के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर के कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया, जिसे POK भी कहा जाता है. 1963 के सीमा समझौते में शक्सगाम इलाके को चीन का देने के पीछे पाकिस्तान की दलील थी कि इससे पाकिस्तान और चीन की दोस्ती और मजबूत होगी.