Masood Azhar: सामने आया आतंकी मसूद अजहर, सोशल मीडिया पर देगा सवालों का जवाब, पाकिस्तानी फोन नंबर किए जारी
Masood Azhar News: दो साल पहले पाकिस्तानी अधिकारियों ने दावा किया था कि अजहर अफगानिस्तान में तालिबान के संरक्षण में रह रहा था.
Pakistan News: भगोड़ा आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर अल्वी हर सुबह और दोपहर में अपने अनुयायियों के सवालों का सीधे जवाब देना शुरू करने वाला है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का प्रतिनिधित्व करने वाले सोशल मीडिया चैनलों ने गुरुवार को इसकी घोषणा की. बता दें दो साल पहले पाकिस्तानी अधिकारियों ने दावा किया था कि अजहर अफगानिस्तान में तालिबान के संरक्षण में रह रहा था.
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक 'मुझसे कुछ भी पूछें (Ask-Me-Anything)' सर्विस की घोषणा जैश-ए-मोहम्मद के मकतब-उल-रबीता या ऑफिस फॉर कम्युनिकेशन की ओर से की गई.
दो पाकिस्तानी मोबाइन नंबर उपलब्ध कराए गए
गुरुवार देर शाम, मकतब-उल-रबीता ने दो पाकिस्तानी मोबाइल फोन नंबर उपलब्ध कराए और कहा कि संगठन के समर्थक टेलीग्राम, व्हाट्सएप और टेक्स्ट मैसेजिंग का इस्तेमाल करके सवाल भेज सकते हैं. इन सवालों का जवाब अज़हर हर दिन सुबह 9 बजे से 10 बजे के बीच और फिर दोपहर 3 बजे से शाम 4 बजे तक देगा.
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक एक भारतीय खुफिया अधिकारी ने बताया कि घोषणा के समय से पता चलता है कि जैश-ए-मोहम्मद दरअसल यह देखना चाहता है कि क्या महीनों की राजनीतिक अराजकता से कमजोर हो गई पाकिस्तान सरकार, एक कुख्यात आतंकवादी को सार्वजनिक रूप से सामने आने से रोकने की हिम्मत कर पाएगी या नहीं.
भगोड़ा अजहर
गृह मंत्रालय ने पुलवामा में बमबारी के बाद 2019 में अजहर को भगोड़ा आतंकवादी नामित किया था. हमले में 40 केंद्रीय पुलिस कर्मियों की जान चली गई.
2001 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर आतंकवादी हमले और नई दिल्ली में संसद भवन पर हमले में भी अजहर की कथित भूमिका मानी जाती है.
पुलवामा बम विस्फोट के बाद, पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि 'मेरी जानकारी के अनुसार, अजहर पाकिस्तान में है. वह इस हद तक अस्वस्थ हैं कि वह अपना घर नहीं छोड़ सकता.'
इससे पहले पंजाब के प्रांतीय कानून मंत्री राणा सनाउल्लाह ने कहा था कि पठानकोट में इंडियन एयरफोर्स बेस पर जैश-ए-मोहम्मद के 2016 के हमले के बाद अज़हर को 'सुरक्षात्मक हिरासत' में लिया गया था.
हालांकि विदेश मंत्री क़ुरैशी के दावे के एक साल से भी कम समय के बाद, गुजरांवाला की एक आतंकवाद विरोधी अदालत ने अजहर को अपराधी घोषित कर दिया. अदालत से पुलिस ने कहा था कि वे आतंकवादी अभियानों के लिए धन जुटाने और जिहादी साहित्य प्रसारित करने के आरोप में मुकदमे का सामना करने के लिए उसे खोजने में असमर्थ हैं.
जियो न्यूज का खुलासा
दो साल पहले, सरकारी सूत्रों ने जियो न्यूज को बताया था कि विदेश मंत्रालय ने ‘अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय को एक पेज का पत्र लिखकर मसूद अज़हर का पता लगाने, रिपोर्ट करने और गिरफ्तार करने के लिए कहा था, क्योंकि हमारा मानना है कि वह अफगानिस्तान में कहीं छिपा हुआ है.’
दो साल पहले, सरकारी सूत्रों ने जियो न्यूज को बताया था कि विदेश मंत्रालय ने 'अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय को एक पेज का पत्र लिखकर अजहर का पता लगाने, रिपोर्ट करने और गिरफ्तार करने के लिए कहा था.'
पत्र के खुलासे के बाद, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, 'पाकिस्तानी अधिकारियों ने औपचारिक रूप से कई मौकों पर अपने संबंधित तालिबान वार्ताकारों के साथ इस मुद्दे को उठाया है.' उन्होंने कहा, 'हमने दस्तावेजी सबूत भी साझा किए हैं और पता लगाने के लिए खुफिया और परिचालन सहायता की पेशकश की है.'
प्रवक्ता ने अज़हर को ‘संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित व्यक्ति बताया जो एक घोषित अपराधी है और पाकिस्तान में आतंकवाद से संबंधित कई मामलों में वॉन्टेड है.’ हालांकि, इस्लामिक अमीरात ने इन दावों को खारिज कर दिया कि अज़हर उसके क्षेत्र में छिपा हुआ था.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचने के लिए जरूरी आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों के अनुपालन की निगरानी के लिए अगस्त 2023 में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान का दौरा किया. फोर्स को बताया कि अजहर अब देश में नहीं है.
इस्लामाबाद ने अपनी धरती पर जिहादी जमावड़े को समाप्त करने की प्रतिबद्धता के सबूत के रूप में जैश-ए-मोहम्मद के कई निचले स्तर के सदस्यों के खिलाफ मुकदमा चलाया,
उन हालात का बहुत कम विवरण सामने आया है जिनमें अजहर पाकिस्तान से रवाना हुआ होगा. हालांकि कुछ विवरण से पता चलता है कि वह तालिबान नेताओं को उनकी जीत पर बधाई देने के लिए मई 2022 में बहावलपुर से कंधार के लिए रवाना हुआ था.
हालांकि अब्दुल बासित उन कई एक्सपर्ट्स में से एक थे जिन्होंने इन दावों का विरोध किया, यह देखते हुए कि अज़हर गंभीर गुर्दे की समस्याओं से पीड़ित है, जिसकी वजह से उसका अफगानिस्तान में ‘जीवित रहना कठिन’ हो जाता.