Pakistan Utility Store: पाकिस्तान सरकार देश में सभी यूटिलिटी स्टोर बंद करने पर विचार कर रही है. द डॉन के मुताबिक उद्योग एवं उत्पादन मंत्रालय (एमओआईपी) के सचिव ने शुक्रवार को यह बात कही. यह फैसला संघीय सरकार के मंत्रालयों और उनके अधीन काम करने वाले संस्थानों के खर्च को कम करने की कोशिशों का नतीजा है . 16 अगस्त को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान इसे लागू करने की जिम्मेदारी उद्योग एवं उत्पादन मंत्रालय को दी गई.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यूटिलिटी स्टोर्स कॉरपोरेशन (USC) भी संघीय सरकार की उन संस्थाओं की नई सूची में है, जिनका चरणबद्ध तरीके से निजीकरण किया जाना है.


बता दें USC एक सरकारी स्वामित्व वाला एंटरप्राइज है जो पूरे देश में चेन स्टोर ऑपरेट करता है. इन स्टोर्स में आम जनता को बुनियादी वस्तुएं खुले बाजार की तुलना में कम कीमत पर उपलब्ध होती हैं क्योंकि सरकार उन्हें सब्सिडी देती है.


उद्योग एवं उत्पादन पर सीनेट की स्थायी समिति की शुक्रवार को हुई बैठक के दौरान सीनेटर सैफुल्लाह नियाजी ने सवाल उठाया कि क्या सरकार देश में उयूटिलिटी स्टोर बंद करेगी.


स्टोर्स के कर्मचारियों का किया जाएगा ट्रांसफर
MoIP सचिव सैफ अंजुम ने जवाब दिया कि सरकार देश के यूटिलिटी स्टोर्स को बंद करने पर विचार कर रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि यूटिलिटी स्टोर्स के कर्मचारियों को अन्य संस्थानों में ट्रांसफर करने के लिए काम चल रहा है.


अंजुम ने कहा, 'सरकार गैर-आवश्यक व्यवसायों से बाहर निकलना चाहती है.' उन्होंने कहा कि यूटिलिटी स्टोर्स को राहत प्रदान करने से कंपटीशन का माहौल खत्म हो गया है.


सचिव ने कहा कि मामला संघीय मंत्रिमंडल के साथ विचार-विमर्श के अधीन है और सरकार को अभी यह तय करना है कि निगम को पूरी तरह से बंद किया जाए या इसकी जिम्मेदारी प्रांतों को सौंपी जाए.


USC की स्थापना जुलाई 1971 में कर्मचारी कल्याण संगठन से 20 खुदरा दुकानों को लेकर की गई थी. विस्तार और पुनर्गठन के विभिन्न चरणों से गुजरते हुए, USC वर्तमान में पूरे देश में 4,000 से अधिक स्टोर संचालित कर रहा है.


देश के लिए दुखद दिन
मीडिया से बात करते हुए, स्थायी समिति के अध्यक्ष एओन अब्बास बुप्पी ने कहा कि यह 'देश के लिए बहुत दुखद दिन' है. उन्होंने बताया, 'जब मैंने उनसे पूछा कि क्या उनके पास [यूटिलिटी स्टोर्स के] कर्मचारियों के लिए कोई योजना है, तो सरकार के पास इसके लिए कोई योजना नहीं थी.'


बुप्पी ने कहा कि इस फैसले के बाद लगभग 60,000 कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे. उन्होंने कहा, 'यह स्पष्ट नहीं है कि हजारों कर्मचारियों का क्या होगा. यह अक्षम सरकार बेरोज़गारी के अलावा कुछ नहीं दे सकती.'


(Symbolic photo)