इस्लामाबाद: पड़ोसी देश पाकिस्तान में ठीक पांच दिन बाद यानी कि 25 जुलाई को आम चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में सियासी गलियारों में गहमागहमी बढ़ गई है. इस बीच जनता को लुभाने के लिए उम्मीदवारों ने खूब अलग-अलग तरीकों से प्रचार किया. वहीं राजनीतिक पार्टियों ने भी एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने में कोई कसर नहीं छोड़ी. खैर, पाकिस्तान की सत्ता किसे मिलेगी और किस पार्टी को देश की अवाम नकार देगी, इसका खुलासा तो चुनावी नतीजों के बाद ही होगा. इस बीच पाकिस्तान की अलग-अलग एजेंसियां चुनाव पूर्व सर्वे के जरिए लोगों का मिजाज जानने में लग गई हैं 


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इसी तरह का एक सर्वे Dawn.com ने कराया है. सर्वे के मुताबिक पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को सबसे ज्यादा वोट मिलते नजर आ रहे हैं. Dawn.com का दावा है कि उसने अपने ऑनलाइन पाठकों के बीच यह सर्वे किया है. सर्वे में 18-44 साल के लोगों को शामिल किया गया है. सर्वे के मुताबिक 41.5 प्रतिशत लोगों को लगता है कि देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष होगा, जबकि 31.12 प्रतिशत मानते हैं कि ऐसा नहीं होगा. वहीं, करीब 28 प्रतिशत लोगों की इस बारे में कोई राय नहीं है. 


पीटीआई को 86% वोट मिलने का अनुमान
सर्वे में करीब 86 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि वो क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान की पीटीआई को वोट देंगे. जबकि नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को वोट देने वालों की संख्या साढ़े नौ प्रतिशत के करीब है. बिलावल भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को मात्र 1.73 प्रतिशत वोट मिलने की संभावना है, जबकि 3.39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह अन्य पार्टियों को वोट दोंगे. सर्वे में यह भी कहा गया है कि ऐसे मतदाताओं की संख्या ज्यादा है जिन्होंने साल 2013 में पीटीआई को वोट दिया था और इस साल भी उसी को वोट देंगे. 

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पीटीआई जीतेगी 2018 का चुनाव!
उधर, जब मतदाताओं से पूछा गया कि कौन सी पार्टी 2018 का चुनाव जीतेगी. तो इसमें भी पीटीआई ने ही बाजी मारी है. 83 प्रतिशत मतदाताओं को लगता है कि पीटीआई चुनाव जीतेगी जबकि करीब 13 प्रतिशत मतदाता मानते हैं कि पीएमएल-एन चुनाव जीतेगी. इस मामले में पीपीपी काफी पीछे नजर आई. मात्र 1.31 प्रतिशत मतदाताओं इस पार्टी में भरोसा जताया है जबकि 3.04 प्रतिशत मतदाताओं को लगता है कि कोई अन्य पार्टी चुनाव जीतेगी. 

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इमरान खान को फायदा
इमरान खान ने पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान की राजनीति में काफी तेजी से अपनी पकड़ मजबूत की है. साल 2008 में हुए आम चुनावों का बहिष्कार करने के बावजूद पीटीआई साल 2013 में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. इसके बाद से ही इमरान खान ने लगातार सरकार के खिलाफ अपना झंडा बुलंद रखा और सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलते रहे. जिसका फायदा उन्हें अब मिलता नजर आ रहा है. 


दूसरी तरफ, पाकिस्तान की सबसे बड़ी पार्टी पीएमएल-एन में पिछले दिनों काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. पार्टी के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज को कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेज दिया है. इसके बाद पार्टी में मतदाताओं का भरोसा घटा है. साथ ही इमरान खान की पूर्व पत्नी रेहम खान की विवादित किताब ने भी इमरान खान को चर्चा में बनाए रखा. 

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वहीं, देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी पीपीपी के नेता बिलावल भुट्टो अपने मतदाताओं पर खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए हैं. सर्वे में उनकी लोकप्रियता काफी कम नजर आई. इन सभी का फायदा इमरान खान को मिलता नजर आ रहा है. खैर, पाकिस्तान की जनता किस पार्टी को चुनती है और PM की कुर्सी पर कौन बैठेगा, यह तो चुनाव नतीजों के बाद ही साफ हो पाएगा.