जमात उद दावा और हक्कानी नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाएगा पाकिस्तान: रिपोर्ट
पाकिस्तान 26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के नेतृत्व वाले जमात-उद-दावा और अफगानिस्तान आधारित खौफनाक हक्कानी नेटवर्क समेत 10 आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगने की योजना बना रहा है। विशेषज्ञ पाकिस्तान के इस कदम को पेशावर के स्कूल में हुए जनसंहार के बाद देश की सुरक्षा नीति में एक ‘बड़े बदलाव’ के तौर पर देख रहे हैं। पाक जल्द प्रतिबंध की आधिकारिक घोषणा करेगा।
इस्लामाबाद : पाकिस्तान 26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के नेतृत्व वाले जमात-उद-दावा और अफगानिस्तान आधारित खौफनाक हक्कानी नेटवर्क समेत 10 आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगने की योजना बना रहा है। विशेषज्ञ पाकिस्तान के इस कदम को पेशावर के स्कूल में हुए जनसंहार के बाद देश की सुरक्षा नीति में एक ‘बड़े बदलाव’ के तौर पर देख रहे हैं। पाक अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों आतंकी संगठनों पर बैन की खबर सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान आने वाले दिनों में दोनों आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध की आधिकारिक घोषणा करेगा।
पाकिस्तान के इस कदम से एक ही दिन पहले अमेरिका ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के भगौड़े प्रमुख मुल्ला फजल्लुलाह को विशेष रूप से चिन्हित वैश्विक आतंकी घोषित किया था। अमेरिका की इस घोषणा से पहले इस सप्ताह विदेश मंत्री जॉन कैरी ने पाकिस्तान की यात्रा की थी। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा कि इसके बारे में एक औपचारिक घोषणा ‘आगामी दिनों’ में की जाएगी। विश्लेषकों का मानना है कि वाशिंगटन, काबुल और नई दिल्ली द्वारा निश्चित तौर पर इस फैसले का स्वागत किया जाएगा।
उनका मानना है कि जमात-उद-दावा पर प्रतिबंध एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि भारत और अमेरिका दोनों ही लंबे समय से जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोएबा का ही एक रूप मानते आए हैं, जो कि वर्ष 2008 में मुंबई हमलों में शामिल था। उन हमलों में 166 लोग मारे गए थे।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुंबई हमलों के बाद जमात-उद-दावा को लश्कर-ए-तोएबा का मुखौटा संगठन घोषित किया था। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने जमात-उद-दावा के कई नेताओं को प्रतिबंधित किया हुआ है। जलालुद्दीन हक्कानी द्वारा स्थापित हक्कानी नेटवर्क को वर्ष 2008 में काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर हमले का आरोपी बताया जाता रहा है। इस हमले में 58 लोग मारे गए थे। इसके अलावा काबुल में अमेरिकी दूतावास पर वर्ष 2011 में किए गए हमले और अफगानिस्तान में कई बड़े ट्रकों में विस्फोटों का आरोप भी उसपर लगता रहा है।
अमेरिकी और अफगान अधिकारियों ने लगातार कहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चोरी-छिपे हक्कानी नेटवर्क की मदद करती रही है। हालांकि इस्लामाबाद इस आरोप को नकारता रहा है। सितंबर 2012 में इस समूह को अमेरिका ने एक आतंकी संगठन करार दिया था। पेशावर स्कूल पर हमले के बाद पाकिस्तान की सरकार और विपक्षी दलों ने आतंकवाद के खिलाफ एक विस्तृत राष्ट्रीय कार्य योजना को मंजूरी दी है। दिसंबर में हुए इस स्कूल हमले में 150 लोग मारे गए थे और इनमें से अधिकतर स्कूली छात्र थे।
गृहमंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान ने इस सप्ताह कैरी की पाकिस्तान यात्रा से कुछ ही दिन पहले 12 नए संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके साथ ही, पाकिस्तान में निषिद्ध संगठनों की संख्या 72 पहुंच जाएगी।